येरूसालेम में ईसा का प्रवेश

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
12:1-17

पास्का के छः दिन पहले ईसा वेथानिया आये। वहाँ लाज़रुस रहता था, जिसे उन्होंने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था। लोगों ने वहाँ ईसा के सम्मान में एक भोज का आयोजन किया। मरथा परोसती थी और ईसा के साथ भोजन करने वालों में लाज़रुस भी था मरियम ने आधा सेर असली जटामांसी का बहुमूल्य इत्र ले कर ईसा के चरणों का विलेपन किया और अपने केशों से उनके चरण पोछे। इत्र की सुगन्ध से सारा घर महक उठा। इस पर ईसा का एक शिष्य यूदस इसकारियोती जो उनके साथ विश्वासघात करने वाला था, यह बोला, "तीन सौ दीनार में बेचकर इस इत्र की कीमत गरीबों में क्यों नही बाँटी गयी?" उसने यह इसलिये नहीं कहा कि उसे गरीबों की चिंता थी, बल्कि इसलिये कि वह चोर था। उसके पास थैली रहती थी और उस में जो डाला जाता था, वह उसे निकाल लेता था। ईसा ने कहा, "इसे छोड दो। इसने मेरे दफ़न के दिन की तैयारी में यह काम किया। गरीब तो बराबर तुम्हारे साथ रहेंगे, किन्तु मैं हमेशा तुम्हारे साथ नहीं रहूँगा। बहुत-से यहूदियों को पता चला कि ईसा वहाँ हैं। वे ईसा के कारण ही नहीं बल्कि उस लाज़रुस को भी देखने आये, जिसे ईसा ने मृतकों में से पुनर्जीवित किया था। इसलिये महायाजकों ने लाज़रुस को भी मार डालने का निश्चय किया, क्योंकि उसी के कारण बहुत-से लोग उन से अलग हो रहे थे और ईसा में विश्वास करते थे। दूसरे दिन पर्व के लिये आये हुये विशाल जनसमूह को पता चला कि ईसा येरूसालेम आ रहे हैं।  इसलिये वे लोग खजूर की डालियाँ लिये उनकी अगवानी करने निकले और यह नारा लगाते रहे- होसन्ना! धन्य हैं वह जो प्रभु के नाम पर आते हैं! धन्य हैं, इस्राएल के राजा! ईसा को गदही का बछेडा मिला और वह उस पर सवार हो गये जैसा कि धर्मग्रंथ में लिखा है - सिओन की पुत्री! नहीं डरना! तेरे राजा, गदही के बछेडे पर सवार होकर, तेरे पास आ रहे हैं। ईसा के शिष्य पहले यह नहीं समझते थे, परन्तु ईसा के महिमान्वित हो जाने के बाद उन्हें याद आया कि यह उनके विषय में लिखा हुआ था और लोगों ने उनके साथ ऐसा ही किया था। जब ईसा ने लाज़रुस को कब्र से बाहर बुलाकर मृतकों में से जिलाया था, उस समय जो लोग उनके साथ थे वे उस घटना को चर्चा करते रहे थे।

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