ईसा के विषय में मतभेद

सन्त योहन के अनुसार सुसमाचार
7: 40-53

ये शब्द सुन कर जनता में कुछ लोगों ने कहा, "यह सचमुच वही नबी है"। कुछ ने कहा, "यह मसीह हैं"। किन्तु कुछ लोगों ने कहा, "क्या मसीह गलीलिया से आने वाले हैं? क्या धर्मग्रन्थ यह नहीं कहता कि दाऊद के वंश से और दाऊद के गाँव बेथलेहेम से मसीह को आना है?" इस प्रकार ईसा के विषय में लोगों में मत भेद हो गया। कुछ लोग ईसा को गिरफ़्तार करना चाहते थे, किन्तु किसी ने उन पर हाथ नहीं डाला। जब प्यादे महायाजकों और फरीसियों के पास लौटे, तो उन्होंने उन से पूछा, "उसे क्यों नहीं लाये?" प्यादों ने उत्तर दिया, "जैसा वह मनुष्य बोलता है, वैसा कभी कोई नहीं बोला"। इस पर फरीसियों ने कहा, "क्या तुम भी उसके बहकावे में आ गये हो? क्या नेताओं अथवा फरीसियों में किसी ने उस में विश्वास किया है? भीड़ की बात दूसरी है। वह संहिता की परवाह नहीं करती और शापित है।" निकोदेमुस, जो पहले ईसा से मिलने आया था, उन में एक था। उसने उन से कहा, "जब तक किसी की सुनवाई नहीं हुई और यह पता नहीं लगा कि उसने क्या किया है, तब तक क्या यह हमारी संहिता के अनुसार उचित है कि किसी को दोषी ठहराया जाये?" उन्होंने उसे उत्तर दिया, "कहीं आप भी तो गलीली नहीं हैं? पता लगा कर देख लीजिए कि गलीलिया में नबी नहीं उत्पन्न होता।" इसके बाद सब अपने-अपने घर चले गए।

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