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स्वास्थ्य मंत्री की बर्खास्तगी मोदी सरकार की विफलता।
कोविड -19 महामारी के संकट से निपटने में कथित बहुपक्षीय विफलताओं के लिए विपक्षी दलों और वाम-उदारवादी लेखकों और कार्यकर्ताओं के हमले का सामना करते हुए, 7 जुलाई को, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, अपने मंत्रियों का बड़े पैमाने पर फेरबदल किया। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहली बार मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया। बुधवार को हुए इस फेरबदल में 43 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिनमें 15 कैबिनेट मंत्री और 28 राज्य मंत्री शामिल हैं।
इस फेरबदल प्रक्रिया में प्रधान मंत्री मोदी ने चिकित्सक और दिल्ली के एक विधायक संघीय स्वास्थ्य मंत्री, डॉ. हर्षवर्धन को भी बर्खास्त कर दिया। प्रधान मंत्री के इस कदम को विपक्षी कांग्रेस और अन्य राजनैतिक दल महामारी से निपटने में मोदी सरकार की विफलता बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह कदम दर्शाता है कि प्रधान मंत्री अपना अपराध स्वीकार कर रहे हैं। अप्रैल-मई में महामारी की दूसरी लहर ने सैकड़ों लोगों की मौत सहित विनाशकारी परिणाम छोड़े, जिनमें से कई लोग ऑक्सीजन की कमी और अस्पतालों में अन्य कुप्रबंधन के कारण मर गये।
पूर्व संघीय गृह और वित्त मंत्री, कांग्रेस के पी. चिदंबरम ने ट्वीट किया कि वर्धन का जाना "एक स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि मोदी सरकार महामारी के प्रबंधन में पूरी तरह से विफल रही है।" कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा कि वर्धन को सरकार के कुप्रबन्ध का ज़िम्मेदार ठहरा कर उन्हें बली का बकरा बनाया गया।
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