म्यांमार की "तबाही" को रोकने के लिए "तत्काल" प्रतिक्रिया आवश्यक। 

संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव अन्तोनियो गुत्तेरेस ने म्यानमार की नाज़ुक स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा है कि म्यानमार की तबाही को रोकने के लिये तत्काल प्रतिक्रिया आवश्यक है, अन्यथा यह संकट बड़े पैमाने पर आपदा में बदल सकता है।  
विगत फरवरी माह में म्यानमार में सेना के तख्तापलट के बाद राष्ट्र में उत्पन्न संकटपूर्ण स्थिति के मद्देनज़र श्री गुत्तेरेस ने दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों तथा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल ठोस प्रतिक्रिया का आह्वान किया। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 29 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा में परिचालित एक दस्तावेज में उन्होंने कहा, "म्यांमार को लोकतांत्रिक सुधार के रास्ते पर वापस लाने में मदद करने के लिए एक एकीकृत अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया शुरू करना जरूरी है।" उन्होंने कहा, सेना को शासन पर पूर्ण कब्ज़ा करने से रोकने का अवसर कम हो सकता है।" उनका कहना था कि "म्यांमार के लोगों की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं" का समर्थन करना महत्वपूर्ण है।
राइट्स ग्रुप असिस्टेंस एसोसिएशन फॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स (एएपीपी) के अनुसार, तख्तापलट विरोधी प्रदर्शनकारियों, असंतुष्टों और हड़ताल करनेवालों  पर सैन्य सुरक्षा बलों द्वारा की गई क्रूर कार्रवाई में कम से कम 1,146 लोग मारे गए हैं और 8,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली
गुत्तेरेस ने कहा कि म्यांमार की संवैधानिक व्यवस्था को बहाल करना और 8 नवंबर, 2020 के चुनाव के परिणामों को बनाए रखना अनिवार्य है, जिसे आऊन सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) पार्टी ने भारी बहुमत से जीता था।
श्री गुत्तेरेस ने म्यानमार के पड़ोसी देशों से आग्रह किया कि वे म्यानमार की सेना पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देश तथा प्रान्त में शांति एवं स्थिरता के लिये लोगों की इच्छा का सम्मान करायें। उन्होंने कहा कि अन्तरराष्रीय एवं राष्ट्रीय प्रयासों में आऊन सान सू ची, राष्ट्रपति विन मिईन्त तथा अन्य सरकारी अधिकारियों को तुरन्त रिहा किया जाना तथा लोगों तक मानवतावादी एवं लोकोपकारी मदद मुहैया कराना शामिल होना चाहिये। उन्होंने राखिन प्रान्त में निवास करनेवाले लगभग छः लाख तथा म्यानमार से पलायन कर बांगलादेश में शरण पानेवाले लगभग सात लाख रोहिंग्या मुसलमानों  के लिये भी अपील की और कहा कि इन्हें हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जाये।
क्रूर दमन
अगस्त 2020 के मध्य से अगस्त 2021 के मध्य तक की अवधि पर प्रकाशित गुटेरेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि सैन्य अधिग्रहण के बाद से, सुरक्षा बल व्यापक रूप से ``क्रूर दमन'' में लगे हुए हैं, विशेष रूप से, सू ची के निष्कासन का विरोध करने वालों  के विरुद्ध दमनचक्र चलाया जा रहा है तथा गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन को अंजाम दिया जा रहा है।
गुत्तेरेस ने कहा, "जो लोग सेना का विरोध करते हैं और लोकतांत्रिक आंदोलनों में शामिल होते हैं, उनके साथ  उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों को भी अन्धाधुन्ध हत्याओं और हिरासत का सामना करना पड़ता है, कई बार उन्हें लापता कर दिया जाता है, उनके घरों पर रात में छापेमारी की जाती है, उन्हें धमकाया जाता है और प्रताड़ित किया जाता है।"
संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव ने कहा कि सुरक्षा बलों द्वारा यौन और लिंग पर आधारित हिंसा की भी कई रिपोर्टें मिली हैं। उन्होंने कहा कि छात्र और शिक्षा कर्मचारी दमन का प्राथमिक लक्ष्य रहे हैं, म्यांमार शिक्षक संघ ने कम से कम 70 छात्रों और पांच शिक्षकों को सुरक्षा बलों द्वारा मारे जाने की सूचना दी है, जिनमें से कई को हिरासत में लिया गया है, निलंबित कर दिया गया है या बर्खास्त कर दिया गया है।

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