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नस्लवाद का खण्डन कर डर्बर घोषणा का वाटिकन ने कराया स्मरण।
वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने बुधवार को एक विडियो सन्देश प्रसारित कर डर्बन घोषणा का स्मरण दिलाया तथा नस्लवाद एवं सहिष्णुता की निन्दा की।
न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में बुधवार डर्बर घोषणा की 20 वीं वर्षगाँठ मनाई गई, जिसमें अफ्रीकी मूल के लोगों के विरुद्ध नस्लवाद एवं असहिष्णुता की निन्दा की गई है। इस समारोह विभिन्न राष्ट्रों एवं सरकारों के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर "क्षतिपूर्ति, नस्ल एवं जातिगत न्याय, और अफ्रीकी मूल के लोगों के लिए समानता" पर विशद विचार विमर्श किया।
वाटिकन राज्य के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने अपने विडियो सन्देश में कहा, "जातिवाद इस ग़लत, भ्रामक एवं बुरे दावे में निहित है कि एक इंसान की दूसरे की तुलना में कम गरिमा है।" उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि इस तरह का भ्रष्ट दृष्टिकोण इस बात को नज़रअन्दाज़ कर देता है "सभी मानव प्राणी स्वतंत्र, समान गरिमा एवं समान अधिकार के साथ जन्में हैं", इसलिये "भ्रातृत्व की भावना" को सदैव बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
सन्त पिता फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "फ्रातेल्ली तूती विश्व पत्र में सन्त पिता फ्राँसिस कहते हैं कि नस्लवाद से पता चलता है कि सामाजिक प्रगति उतनी वास्तविक या निश्चित नहीं है जितनी हम सोचते हैं।"
महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने आशा व्यक्त की कि "अफ्रीकी मूल के लोगों के लिए स्थायी मंच" नस्लवाद के पीड़ितों के लिए न्याय और समर्थन प्रदान करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा, "दुनिया भर में अफ्रीकी मूल के कई व्यक्ति प्रवासी या शरणार्थी हैं जो अपने घर छोड़ने के बाद - या छोड़ने के लिए मजबूर होने के बाद - गंतव्य के देशों में समर्थन के बजाय ज़ेनोफोबिया, भेदभाव और असहिष्णुता का सामना करते हैं।"
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि "साक्षात्कार, बंधुत्व और एकजुटता की संस्कृति" को प्रोत्साहित कर जातिवाद को पराजित किया जा सकता है। धर्म और विश्वास के ख़ातिर सताये जानेवाले लोगों का भी महाधर्माध्यक्ष ने किया तथा कहा कि धर्म के आधार पर व्यक्तियों को भेदभाव का शिकार बनाया जाना मानवता के विरुद्ध है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नस्लवाद, जातिवाद एवं धर्म पर आधारित भेदभाव को मिटाने के लिये हमें अपनी सोच को बदलना होगा।
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