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ग्रेगोरियन यूनिवसिटी के प्रोफेसर फादर लीनुस कुजूर एस.जे का निधन।
रोम के परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी के प्रोफेसर फादर लीनुस कुजूर येसु समाजी का निधन 14 अक्टूबर को सुबह 8.30 हुआ। 23 सितम्बर को कोविड -19 पोजिटिव पाये जाने के बाद, वे 24 सितम्बर को रोम के एक अस्पताल में भर्ती किये गये थे।
परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी के रेक्टर नूनो दा सिल्वा गोंजाल्स येसु समाजी ने एक शोक समाचार जारी करते हुए कहा, "बड़े दुःख के साथ आप सभी को सूचित करता हूँ कि 14 अक्टूबर को रोम में फादर लिनुस कुजूर एस.जे का निधन हो गया।"
उन्होंने बतलाया कि कुछ ही साल पहले फादर ने गुर्दे का प्रतिरोपण कराया था और अपनी सेहत में सुधार लाने की कोशिश में थे किन्तु काफी कमजोर भी थे।
परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी के प्रोफेसर फादर प्रेम खलखो येसु समाजी ने 30 सितम्बर को जानकारी दी थी कि फादर लीनुस को 23 सितम्बर को कोविड -19 पोजिटिव पाये जाने के बाद, 24 सितम्बर को अस्पताल में भर्ती किया गया था। एक सप्ताह के बाद उन्हें सेलेब्रल इस्केमिया हो गया था जिसके कारण वे चेतन अवस्था में होने पर भी बोल नहीं पा रहे थे।
फादर लीनुस कुजूर येसु समाजी का जन्म 23 सितम्बर 1952 को नवाडीह के पेरवाँटोली (भारत) में हुआ था। उन्होंने 6 अक्टूबर 1972 को येसु समाज में प्रवेश किया था और 10 अगस्त 1985 को उनका पुरोहिताभिषेक हुआ था। उन्होंने रोम के परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी से ईशशास्त्र की पढ़ाई की थी, उसके बाद 1988 में परमधर्मपीठीय संत अंसेलेम कॉलेज से धर्मविधि में लाईसेंशियेट की पढ़ाई पूरी की थी, तत्पश्चात् 1991 में परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी से मिस्सयोलोजी में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी।
फादर लीनुस ने सन् 1994 से राँची के संत अल्बर्ट कॉलेज में मिस्सियोलोजी विभाग में प्राध्यापक का काम शुरू किया था। उसके बाद 2008 में उन्हें परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन यूनिवसिटी का प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
उन्होंने "बिझान" (बिहार, झारखंड और अंडामन) के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन को हिन्दी भाषा में धर्मविधि आयोग के महासचिव के रूप में भी अपना बड़ा योगदान दिया है। वे हिन्दी रोमन मिस्सल के अनुवाद आयोग के भी सदस्य थे।
1996 से वे भारत में पुरोहितों एवं धर्मविधि के संचालकों के लिए "लाईफ एड वॉर्शिप" पत्रिका के हिन्दी और अंग्रेजी संस्करण के संपादक रहे। वे "ऑल चर्चेस राँची कमिटी" के संचालक थे। 2007 से वे अंतरधार्मिक वार्ता संघ "झारखंड सदभावना मंच" के महासचिव भी रहे। उन्होंने शास्त्रीय संगीत भी सीखी थी और सेमिनरी के छात्रों को सिखाने के लिए इसका प्रबंध भी किया।
वे अपनी सज्जनता, शांत स्वभाव एवं उदारता के लिए लोगों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय थे। इस तरह झारखंड की कलीसिया ने अपनी एक महान हस्ती को खो दी। ईश्वर उनकी आत्मा को अनन्त शांति प्रदान करे।
फादर लीनुस कुजूर का अंतिम संस्कार 16 अक्टूबर को पूर्वाहन 10.00 (रोम समय) रोम के संत इग्नासियुस गिरजाघर में सम्पन्न होगा।
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