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कलीसिया का कार्य सेवा है, शासन नहीं, महाधर्माध्यक्ष वेल्बी।
सन्त पिता फ्राँसिस के साथ विभिन्न बैठकों में भाग लेने रोम आये एंग्लिकन ख्रीस्तीयों के धर्माधिपति, महाधर्माध्यक्ष जस्टीन वेल्बी ने इस सप्ताह वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में कहा कि कलीसिया का कार्य सेवा करना है शासन करना नहीं।
सन्त पिता फ्राँसिस के साथ अपनी मुलाकातों के विषय में महाधर्माध्यक्ष वेल्बी ने बताया कि इटली एवं यूके की सरकारें 31 अक्टूबर से 11 नवम्बर तक ग्लासगो में जारी कॉप 26 सम्मेलन की तैयारी हेतु संयुक्त रूप से संलग्न रहें हैं। उन्होंने कहा कि धर्म 80 प्रतिशत विश्व का प्रतिनिधित्व करते हैं, अस्तु यह सवाल नहीं है कि विभिन्न कलीसियाएं क्या कर सकती हैं, अपितु सवाल यह है कि विभिन्न धर्म मिलकर विश्व के लिये क्या कर सकते हैं।
महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि धरती की सुरक्षा के लिये, जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों को रोकने के लिये तथा भाईचारे को बढ़ावा देने के लिये ज़रूरी है कि कलीसियाएँ क्रियाशील रहें, गतिमान रहें। उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों के समान केवल भाषण देने का कोई लाभ नहीं अपितु हमें अपने विचारों को क्रियाओं में बदलने की ज़रूरत है।
काथलिक कलीसिया तथा एंग्लिकन कलीसिया के बीच ख्रीस्तीय एकतावद्धर्क वार्ताओं के विषय में महाधर्माध्यक्ष जस्टीन वेल्बी ने कहा कि कलीसिया द्वारा धर्मसभाओं का आयोजन महत्वपूर्ण है जिसमें धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों सहित लोकधर्मी विश्वासी भी अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं तथा कलीसिया के मिशन में योगदान देते हैं। महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि इस सप्ताह सन्त पापा फ्राँसिस के साथ सम्पन्न बातचीत में इसी तथ्य को रेखांकित किया गया कि कलीसिया को स्थगित नहीं होना चाहिये, उसे अनवरत गतिमान एवं क्रियाशील रहना चाहिये।
उन्होंने कहा कि काथलिक एवं एंगलिकन कलीसियाओं के बीच सम्पन्न एकतावद्धर्क वार्ताओं द्वारा दोनों कलीसियाओं के बीच समझदारी और मैत्री की वृद्धि हुई है, जो कि इन कलीसियाओं के सेवाकार्यों के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कलीसिया का कार्य सेवा है, शासन नहीं।
महाधर्माध्यक्ष वेल्बी ने कहा, "मुझे लगता है कि विगत कई वर्षों में हुए ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक सम्वाद में सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक यह रहा है कि हम एक दूसरे से यह सीख सके हैं कि केवल भाषण देना या व्याख्यान करना पर्याप्त नहीं होता बल्कि विचारों को कार्यरूप देना नितान्त आवश्यक होता है।"
महाधर्माध्यक्ष ने आशा व्यक्त की कि ईश कृपा से एंग्लिकन कलीसिया, काथलिक कलीसिया के गहन ज्ञान से, कुछ सीख सके और दूसरी ओर काथलिक कलीसिया भी एंग्लिकन कलीसिया के योगदान को समझकर उससे कुछ पा सके।
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