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अफगानिस्तान में संकट के प्रति वाटिकन की चिंता।
"गंभीर मानवाधिकार चिंताओं और अफगानिस्तान में स्थिति पर" जेनेवा में मानव अधिकार समिति की 31वीं विशेष सत्र में, परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि ने दो मुख्य बातों; मानव प्रतिष्ठा का सम्मान और समावेशी वार्ता को रेखांकित किया।
परमधर्मपीठ "बड़े ध्यान एवं गहरी चिंता के साथ" अफगानिस्तान की बिगड़ती स्थिति पर नजर लगाये हुए है तथा 15 अगस्त को संत पिता फ्राँसिस द्वारा जारी अपील को पुनः दुहराता है कि उनके साथ सभी लोग "शांति के ईश्वर से प्रार्थना करें ताकि हथियारों का कोलाहल समाप्त हो सके तथा वार्ता की मेज पर समाधान प्राप्त किया जा सके।"
संत पिता फ्राँसिस ने कहा था कि "सिर्फ इसी रास्ते से देश की कुचल दी गई जनता ˸ पुरूष, स्त्री, बूढ़े और बच्चे अपने घर लौट सकते हैं और शांति एवं सुरक्षा में पूर्ण आपसी सम्मान में जी सकते हैं।"
संयुक्त राष्ट्र में परमधर्मपीठ के स्थायी मिशन और जेनेवा के अन्य संगठनों के प्रभारी मोनसिन्योर जॉन पुजर ने सत्र में वक्तव्य पेश किया। मानव अधिकार समिति पर 31वें विशेष सत्र पर बोलते हुए वाटिकन प्रतिनिधि ने सभी दलों से अपील की कि वे मानव प्रतिष्ठा का सम्मान एवं हरेक व्यक्ति के मौलिक अधिकार का आह्वान किया जिसमें जीवन, स्वतंत्रता, धर्म मानने, घूमने की आजादी एवं शांतिमय सभा का अधिकार शामिल है।
उन्होंने कहा, "इस कठिन समय में यह महत्वपूर्ण है कि "अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता की भावना से देश के भीतर मानवीय प्रयासों की सफलता और सुरक्षा का समर्थन किया जाए, ताकि विशेष रूप से, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में हुई प्रगति को न खोएं।"
उन्होंने जारी तनाव का शांतिमय एवं त्वरित समाधान की आशा व्यक्त की तथा कहा कि शांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सबसे शक्तिशाली माध्यम है समावेशी वार्ता।
अंत में, उन्होंने पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वे शरणार्थियों का स्वागत "मानवीय भाईचारा की भावना" से करते हुए, घोषणा को कार्य में परिणत करें।
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर के अनुसार, अफगानिस्तान से करीब 2.5 मिलियन दर्ज शरणार्थी हैं जो एशिया में सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी शरणार्थी संख्या है। इन दिनों हजारों लोगों ने देश से पलायन करने की कोशिश की है, विशेषकर, काबुल हवाई अड्डे से। मौजूदा तनाव को देखते हुए आसपास के देश अपनी सीमाओं के पार पलायन को लेकर चिंतित हैं।
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