श्रीलंका में प्रथम ख्रीस्तयाग 5 मई को

श्रीलंका के कुछ पुरोहित

कार्डिनल रंजित ने कहा कि श्रीलंका में प्रथम ख्रीस्तयाग 5 मई को अर्पित की जाएगी। उन्होंने आर्मर्ड कार को अस्वीकार किया तथा पूरे देश की सुरक्षा की याचना की है। श्रीलंका में पास्का पर्व के दिन की हमले में मारे गये कुल 42 विदेशी एवं 45 बच्चों की पहचान कर ली गयी है।

श्रीलंका में पास्का पर्व के दिन हुए हमले के बाद इस्लामिक आतंकवादियों से बचने के लिए गंभीर सतर्कता बरती जा रही है। अधिकारियों से मिली जानकारी अनुसार इस समय मुस्लिम समुदाय के लिए अधिक ध्यान दिया जा रहा है जो उपवास एवं प्रार्थना के पवित्र महीने रमजान की तैयारी कर रहा है। इस महीने की शुरूआत 6 मई को होगी।

 

इधर, ख्रीस्तीय समुदाय में भी गंभीर चिंता बनी हुई है। कोलंबो के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल मालकोम रंजित ने सरकार द्वारा उपलब्ध की गयी बख़्तरबंद (आर्मर्ड) कार को अस्वीकार किया तथा 5 मई से कुछ गिरजाघरों के खुलने एवं ख्रीस्तयाग अर्पित किये जाने की घोषणा की। उन्होंने ख्रीस्तयाग अर्पित किये जाने की शुरूआत करने की घोषणा करते हुए कहा, "हम कुछ स्थलों पर ख्रीस्तयाग शुरू करेंगे और देखेंगे कि क्या हम धीरे-धीरे इसकी संख्या में वृद्धि कर सकते हैं अथवा नहीं। सब कुछ परिस्थिति पर निर्भर करेगा।" आर्मर्ड कार को अस्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि मैं भयभीत नहीं हूँ। मुझे आगे बढ़ने के लिए अनुरक्षी की आवश्यकता नहीं है। प्रभु ही मेरे रक्षक हैं बल्कि मैं अपने लोगों और अपने देश की रक्षा करना चाहता हूँ।"

 

कार्डिनल ने धर्मविधि अनुष्ठान पुनः शुरू किये जाने की घोषणा से ख्रीस्तीय विश्वासियों में सामान्य स्थिति आने की उम्मीद की जा रही है जिन्होंने सभी गिरजाघर बंद होने के कारण विगत रविवार को जीवन में पहली बार दूरदर्शन पर ख्रीस्तयाग में भाग लिया था।

 

ईसाई धर्म के सभी धार्मिक स्थलों में प्रवेश पर प्रतिबंध का आदेश स्वयं कलीसियाई अधिकारियों ने नरसंहार के बाद सावधानी के उपाय के रूप में दिया था क्योंकि पास्का की धर्मविधियों में भाग लेते हुए 253 विश्वासी मौत के शिकार हो गये और 500 अन्य घायल हुए थे। हमले में मारे गये कुल 42 विदेशी एवं 45 बच्चों की पहचान कर ली गयी है। जबकि देश में छापे जारी हैं, जांचकर्ता अभी भी अंधेरे में टटोल रहे हैं। इस्लामिक स्टेट ने नरसंहार के लिए ज़िम्मेदारी का दावा किया है, लेकिन कोलंबो में अधिकारियों का मानना है कि ज़िम्मेदारी दो स्थानीय इस्लामी गुटों (राष्ट्रीय थोहेड जमात और जमात-उल-मुजाहिदीन) की है जिनका कथित विदेशी संबंध हैं।

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