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बुर्किना फासो: कैथोलिक चर्च पर हमले में 4 की मौत
काथलिक कलीसिया पर हमलों के मद्देनजर, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि आज भी कई ख्रीस्तीय येसु ख्रीस्त के लिए मारे एवं सताये जा रहे हैं।
उत्तरी बुकिना फासो में 26 मई को एक काथलिक गिरजाघर में हुए हमले में चार लोग मारे गये।
संत पापा फ्राँसिस ने ट्वीट संदेश में कहा, "आज भी ख्रीस्त के प्रेम के कारण कई ख्रीस्तीय मारे और सताये जाते हैं। वे चुपचाप अपनी जान दे देते हैं क्योंकि उनकी शहादत समाचार नहीं बनती, जबकि आज पहली शताब्दी से कहीं अधिक ख्रीस्तीय शहीद हैं।"
बुरकीना फासो में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा
बुरकीना फासो में ख्रीस्तीय विरोधी हमले फिर बढ़ रहे हैं और खासकर, काथलिक समुदाय के खिलाफ। हमले इस्लामी आतंकियों द्वारा किये जा रहे हैं जो अक्सर मिस्सा अथवा किसी धार्मिक समारोह के दौरान हमला करते हैं। आतंकवादी दलों में मुस्लिम बहुल देशों के सदस्य हैं, जो अपने देश में ख्रीस्तियों के साथ शांति से रहते हैं किन्तु यहाँ उनका उद्देश्य अंतर-धार्मिक संघर्ष उत्पन्न करना हो गया है।
ख्रीस्तियों की अहिंसा
ख्रीस्तीय समुदायों की अहिंसक प्रतिक्रिया का आतंकियों के उद्देश्यों के ठीक विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इसके द्वारा विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय एकजुट हो गये हैं जैसा कि दूसरे देशों में होता है। श्रीलंका में इसी तरह का प्रभाव देख गया, जब ईस्टर के दिन गिरजाघर में ख्रीस्तियों पर हमला किया गया था। इस हमले के बाद विभिन्न धर्मों के लोगों का ध्यान कलीसिया की ओर बढ़ा और उनमें ख्रीस्तियों के प्रति महान एकात्मता की भावना जागी।
दुनिया का मौन
संत पापा फ्राँसिस ने अपने परमाध्यक्षीय काल के आरम्भ से ही, ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि ख्रीस्तियों पर हो रही हिंसा बहुधा मीडिया द्वारा रिपोर्ट नहीं की जाती है तथा नेताओं द्वारा इसपर चुप्पी साध ली जाती है। (संत मर्था, मिस्सा उपदेश, 7 सितम्बर 2015)
छिपे शहीद
संत पापा ने कहा, "आज की कलीसिया शहीदों की कलीसिया है। हर दिन के छिपे शहीदों की, जिनका नाम हम नहीं जानते, जो येसु के प्रति विश्वस्त बने रहने के लिए जेल भेजे जाते अथवा मारे और सताये जाते हैं। वे कष्ट झेलते हैं, अपना जीवन अर्पित करते और उनके साक्ष्य द्वारा हम ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।" (संत मर्था मिस्सा उपदेश, 21 अप्रैल 2015)।
येसु के शब्द
सुसमाचार में येसु अपने शिष्यों को चेतावनी देते हैं, "वे तुम्हें सभागृहों से निकाल देंगे। इतना ही नहीं, वह समय आ रहा है, जब तुम्हारी हत्या करने वाला यह समझेगा कि वह ईश्वर की सेवा कर रहा है। वे यह सब इसीलिए करेंगे क्योंकि उन्होंने न तो पिता को पहचाना है और न मुझ को। मैंने तुम लोगों से यह इसलिये कहा है कि समय आने पर तुम्हें यह स्मरण रहे कि मैंने तुम्हें पहले ही सचेत किया था। मैंने प्रारंभ से ही तुम लोगों से यह नहीं कहा, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ था।"(यो. 16: 2-4)
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