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दुर्बलों की रक्षा हेतु राजदूतों को संत पापा का निमंत्रण
संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ के लिए राजदूत के रूप में, थाईलैंड, नार्वे, न्यूजीलैंड, सियेरा लेओने, गिनी, गिनी बिसाऊ, लक्ष्मबर्ग, मोजम्बिक एवं इथोपिया के राजदूतों का प्रत्यय पत्र स्वीकार किया। उन्होंने उन्हें सम्बोधित कर विश्व की जटिल समस्याओं के मद्देनजर भाईचारा के महत्व पर ध्यान देने हेतु प्रेरित किया।
परमधर्मपीठ के लिए नौ विभिन्न देशों के राजदूतों के प्रत्यय पत्रों को स्वीकार करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने विश्व के कल्याण हेतु उनके सकारात्मक योगदानों के लिए प्रेरित किया, खासकर, उन्होंने सबसे कमजोर भाई बहनों की सेवा एवं रक्षा के लिए उन्हें निमंत्रण दिया।
कमजोर लोगों के प्रति जिम्मेदारी
उन्होंने कहा, "हमारे देश के सबसे गरीब सह-नागरिकों पर ध्यान देना हमारा परम कर्तव्य है जिन्हें वैध विविधता के सम्मान में, स्पष्ट रूप से व्यक्त किया जाए। हम सभी समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हैं। उस एकता का ठोस नाम है भ्रातृत्व।"
संत पापा ने भ्रातृत्व के महत्व की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब हम जटिल वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तब यह उचित है कि भाईचारा के महत्व को रेखांकित किया जाए, जो न्याय और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने के लिए केवल सामाजिक-राजनीतिक रणनीति नहीं है, बल्कि उस एकजुटता का उदाहरण है जो एक साझा लक्ष्य को प्राप्त करने की पारस्परिक इच्छा से अधिक गहरा है। इस भाईचारा की भावना को व्यक्तियों, समुदायों एवं राष्ट्रों के बीच मित्रता की विश्वव्यापी चाह के रूप में देखा जाना चाहिए।
सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने के लिए सबसे बड़े खतरों में हिंसा और सशस्त्र संघर्ष हैं। फिर भी, विभाजन और नफरत का दर्दनाक सबक हमें यह भी सिखाता है कि शांति हमेशा संभव है। संघर्ष के संकल्प और मेल-मिलाप, एकता के सकारात्मक संकेत हैं जो विभाजन और भाईचारे से अधिक शक्तिशाली हैं।
भाईचारा में एकता
संत पापा ने राजदूतों को प्रोत्साहन दिया कि वे सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों को दूर करने और शांति के मार्ग के निर्माण हेतु अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के चल रहे प्रयासों का साक्ष्य दें और लोगों को दिखलायें कि इस सबसे अनमोल लक्ष्य को प्राप्त करने में भाईचारापूर्ण संवाद कितना अपरिहार्य है।
उन्होंने कहा कि निश्चय ही संवाद, सहिष्णुता की संस्कृति, दूसरों को स्वीकार करने तथा शांति से एक-दूसरे के साथ रहने को बढ़ावा देता है, कई आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है जो मानवता के एक बड़े हिस्से पर बहुत अधिक भार डाले हुए हैं।”
अपने देश की सेवा की जिम्मेदारी को शुरू करने वाले राजदूतों को संत पापा ने परमधर्मपीठ के विभिन्न कार्यालयों में अपने सहयोग एवं समर्थन का आश्वासन दिया। उनके कार्यों के लिए शुभकामनाएं देते हुए उनपर ईश्वर के प्रचुर आशीष की कामना की।
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