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चमकी’ के चक्कर में तीन अस्पतालों में भटके, मासूम की मौत, प्रदेश में जारी हुआ अलर्ट
सीएम कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में अभी चमकी बुखार का केस नहीं आया है, लेकिन सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।
इंदौर/देवास. खातेगांव में बुखार से पीडि़त 9 साल के बच्चे को लेकर परिजन तीन अस्पतालों के चक्कर काटते रहे। बाद में इंदौर एमवाय अस्पताल लेकर आए। यहां बच्चे के परिजन से लिव अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस (लामा) लिखवाकर वापस भेज दिया। रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई। परिवार का कहना है, डॉक्टरों के कहने पर ही बच्चे को वापस लाए थे। डॉक्टरों का दावा है कि बच्चे को चमकी बुखार नहीं था। पूरे घटनाक्रम ने स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल के रख दी है। स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने देवास सीएमएचओ को गांव में जाकर सर्वे के निर्देश दिए हैं। खातेगांव बीएमओ डॉ. जीएस बघेल का दावा है कि बच्चे को वायरल बुखार था। इधर, प्रदेश में चमकी बुखार से बचाव के लिए अलर्ट जारी कर दिया गया है। सीएम कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश में अभी चमकी बुखार का केस नहीं आया है, लेकिन सतर्कता के निर्देश दिए गए हैं।
नेमावर थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत जामनेर में डेरे पर रहने वाले घुमंतु जनजाति के 9 वर्षीय बालक असलम पिता इब्राहिम शाह को 21 जून को रात 11 बजे तेज बुखार आया व बदन ठंड से कांपने लगा। दो-तीन बार उल्टी व दस्त हुए और झटके आए। बेसुध हुए बच्चे ने बोलना बंद कर दिया। शनिवार सुबह परिजन असलम को खातेगांव के शासकीय अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां प्रारंभिक इलाज कर डॉक्टरों ने हरदा रैफर कर दिया। वहां के शासकीय अस्पताल से इंदौर ले जाने की सलाह दी गई। परिजन बच्चे को हरदा के प्राइवेट पल्स हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉ. सोमानी ने 3 से 4 घंटे इलाज करने के बाद इंदौर ले जाने की सलाह दी, तब परिजन असलम को लेकर जामनेर आ गए। जामनेर के पूर्व सरपंच मनीष पटेल, कन्नौद जनपद अध्यक्ष ओम पटेल ने 108 एंबुलेंस का प्रबंध कर असलम को परिजन के साथ एमवाय हॉस्पिटल इंदौर भेजा।
परिवार व डेरे के लोगों की जांच
स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट ने देवास सीएमएचओ को गांव में जाकर परिवार व अन्य लोगों की दिमागी बुखार को लेकर सर्वे के निर्देश दिए। रविवार सुबह 10.30 बजे शव जामनेर लाया गया, जहां कब्रिस्तान में दफन किया गया। चमकी बुखार को लेकर चली चर्चा के बाद 11 बजे खातेगांव शासकीय अस्पताल से डॉ. आरिफ खान, डॉ. जुगल किशोर जाटव, मलेरिया इंस्पेक्टर धर्मदास देवड़ा टीम के साथ पहुंचे और डेरे पर उपस्थित परिजन एवं बच्चों की 36 रक्त पट्टिका बनाकर जांच की जो सभी सामान्य पाई गई।
क्या हे चमकी बुखार
चमकी बुखार को अक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कहा जाता है। यह तंत्रिका तंत्र यानी नर्व सिस्टम संबंधी गंभीर बीमारी है जो मस्तिष्क में सूजन पैदा करती है।
बीमारी के लक्षण
चमकी बुखार के लक्षणों में सिरदर्द, तेज बुखार, भ्रम की स्थिति, गर्दन में अकड़न और उल्टी शामिल है। यह बीमारी सामान्यत: पांच से सात साल के बच्चों को अपना शिकार बनाती है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टन के मुताबिक यह बीमारी विषाणुओं के साथ-साथ जीवाणुओं, फफूंदी, रसायनों, परजीवियों, विषैले तत्वों और गैर संक्रामक एजेंटों से भी हो सकती है।
बीमारी के लक्षण नजर आते ही मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इलाज में देरी होने पर मरीज की जान तक जा सकती है।
बच्चे को वायरल बुखार था
बच्चे को वायरल बुखार था। समय पर इलाज नहीं कराने पर दिमागी बुखार का रूप ले लिया। प्राथमिक उपचार के बाद इन्हें हरदा रैफर किया गया था एवं बाद में इन्हें इंदौर रैफर किया गया। रिपोर्ट में ऐसे कोई विशेष लक्षण नहीं मिले हैं बल्कि वायरल दिमागी बुखार होने के लक्षण पाए गए हैं।
परिजन छुट्टी कराकर ले गए
शनिवार रात 9.30 बजे बच्चे को एमवाय लाया गया। डॉ. निर्भय मेहता की निगरानी में बच्चे को वेटिंलेटर पर रख इलाज शुरू हुआ। बच्चे के परिजन ने लामा कराने की बात कही तो उन्हें कहा गया बच्चा मरणासन्न अवस्था में है, वेटिंलेटर हटाने पर बचना मुश्किल है, फिर भी वह छुट्टी कराकर ले गए।
चमकी बुखार के लक्षण नहीं थे
- इस केस में चमकी बुखार के लक्षण नहीं थे। बच्चे को वायरल दिमागी बुखार था। उसी वजह से बेहोशी, झटका, उल्टी व बुखार था। परिवार ने कहा, बच्चे की हालत बेहद गंभीर हैं, इसलिए उसे ले जाना चाहते हैं। बच्चे के पीठ के पानी की जांच की गई है। एमआरआई व सिटी ब्रेन नहीं किया जा सका था।
कोई महामारी के लक्षण नहीं पाए गए
- मूलत: यह परिवार महाराष्ट्र का निवासी है। गत 5-6 वर्षों से जामनेर आकर रहने लगा तथा घुमक्कड़ की तरह अपना जीवन यापन करता था और अभी काफी वक्त से यह बाहर था। अभी 8 से 10 दिन पूर्व ही यह खातेगांव के जामनेर में आकर रहने लगा था। यहां कोई महामारी के लक्षण नहीं पाए गए हैं।
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