ईश्वर के प्रेम में अग्नि, वचन में सामर्थ्य है

आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को “प्रेरित चरित” पर अपनी धर्मशिक्षा माला जारी करते हुए उन्हें संबोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पास्का से पचास दिन बाद, अंतिम व्यारी की कोठरी में जो अब शिष्यों के लिए एक निवास स्थल बन गया था, चेले येसु की माता मरियम की उपस्थित में पवित्र आत्मा के आने की प्रतीक्षा में थे, जो उन्हें विस्मित कर दिया। शिष्य प्रार्थना द्वारा एकता में बने हुए थे जो उनके लिए जीवन का सार था।

प्रार्थना और सांस

संत पापा ने कहा कि प्रार्थना के बिना हम येसु के शिष्य नहीं हो सकते हैं, प्रार्थना के बिना हम ख्रीस्तीय नहीं रह जाते हैं। यह हमारे लिए साँस है। यह ख्रीस्तीय जीवन के लिए फेंफड़े के सदृश है। शिष्य अपने जीवन में ईश्वर के धावे से आश्चर्यचकित हो जाते हैं। ईश्वर का यह हमला अपने में बंद रहना स्वीकार नहीं करता है, यह हवा के तीव्र झोंके से दरवाजों को खोलने के समान है जो हमें रूह, उस प्रथम सांस की याद दिलाती है जिसे पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त ने अपने शिष्यों को अपने विदा लेने के पूर्व अपनी “शक्ति” से विभूषित करने की प्रतिज्ञा की थी। (प्रेरित.1.8) अचानक आकाश से “आंधी-जैसी एक आवाज सुनाई पड़ी और जहाँ वे बैठे थे गूंज उठा”।(प्रेरित 2.2)  

आग और हवा

इसके बाद हम एक आग का जिक्र सुनते हैं जो हमें जलती हुई झाड़ी की याद दिलाती है जो हमें सिनाई पर्वत की याद दिलाती है जहाँ दस आज्ञाओं की पाटी एक उपहार स्वरूप दिया गया था। धर्मग्रंथ बाईबल के परम्परानुसार आग हमारे लिए ईश्वर के प्रकटीकरण को दिखलाता है। आग के रुप में ईश्वर अपने जीवंत और शक्तिशाली वचनों को हमें देते हैं (ईब्रा.4.12) जो भविष्य को हमारे लिए खोलता है। आग हमारे लिए प्रतीकात्मक रुप है जो ईश्वर के कार्यों को ऊर्जा, ज्योति स्वरुप प्रकट करती और हमारे हृदय की परख करती है। यह मानवीय अनमने विचारों की जांच करते हुए उन्हें परिशुद्ध कर उन्हें नवीन बनाती है। सिनाई पर्वत और येरुसलेम में हम ईश्वरीय वाणी को सुनते हैं वहीं पेन्तेकोस्त के दिन संत पेत्रुस बातें करते जिनके ऊपर येसु अपनी कलीसिया का निर्माण करने की प्रतिज्ञा करते हैं। पेत्रुस के शब्द जो अपने में ईश्वर के लिए कमजोर थे जिन्होंने येसु को अस्वीकार किया पवित्र आत्मा की आग से शक्तिशाली हो जाते हैं वह अपने में दूसरों के हृदय को बेधित करने और लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने के योग्य बनते हैं। ईश्वर उन लोगों का चुनाव करते हैं जो दुनिया की दृष्टि में कमजोर हैं जिससे वे शक्तिशाली को लज्जित कर सकें। (1.कुरि. 1.27)

सत्य और प्रेम

संत पापा ने कहा कि इस तरह कलीसिया का जन्म प्रेम की आग से होता है जिसे पवित्र आत्मा पेन्तेकोस्त के दिन पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त के वचन और शक्ति को शिष्यों में प्रकट करते हैं। नये विधान को हम पत्थर की पाट्टियों में अंकित नहीं पाते, वरन् यह ईश्वरीय आत्मा की शक्ति और कार्यों के फलस्वरुप विश्वासियों के हृदय में उत्कीर्ण है जो सारी चीजों को नवीन बना देती है।

प्रेरितों के शब्द पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त में पवित्र आत्मा की शक्ति से भरे हैं जो अपने में एक नये और अलग शब्द बन जाते हैं। वे दूसरों के द्वारा समझे जाते हैं मानों वे समान्तर समय में दूसरी भाषाओं में अनुवादित किये जा रहे हों। वास्तव में, “हर कोई उन्हें अपनी भाषा में बोलते सुन रहा था”। (प्रेरित.2.6) यह सत्य और प्रेम की भाषा है जो सारे विश्व में समझी जाती है, जिसे अनपढ़ भी समझ सकते हैं। संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि प्रेम और सत्य की भाषा को सारी मानव जाति समझती है। यदि हम अपने हृदय में सत्य को धारण करें और प्रेम के द्वारा संचालित हों तो सभी लोग हमें समझेंगे क्योंकि शब्दों को उच्चरित किये बिना भी यह हमारी सहृदयता, सच्चाई और प्रेम को अभिव्यक्त करती है।

एकता और मेल-मिलाप

पवित्र आत्मा हमें न केवल आवाज रुपी संगीत में अपने को केवल प्रकट करते, जो विभिन्नताओं के बावजूद हमें एकता में बांध कर रखती है बल्कि हमें संगीत संचालक के रुप में व्यक्त करते हैं जो ईश्वर के “महान कार्यों” का बखान करता है। पवित्र आत्मा एकता के निर्माता हैं, वे मेल-मिलाप के शिल्पाकार हैं जो हमारे बीच से हमारी विभिन्नताओं को दूर करते और हमें एक शरीर के रुप में संगठित करते हैं। वे मानवीय कमजोरियों, पापों और अपमान के परे कलीसिया का विकास करने में सहायता करते हैं।

पवित्र आत्मा से पूर्ण शिष्य सुनने वालों के लिए बड़े विस्मय का कारण बनते हैं मानो वे नशापान किये हों। पेत्रुस शिष्यों की ओर से पवित्र आत्मा के वरदानों से विभूषित किये जाने की घोषणा करते हैं। येसु के अनुयायी अपने में मतवाले नहीं हैं लेकिन वे संत अम्बोस के अनुसार अपने जीवन को, “ पवित्र आत्मा के नशे” के समान जीते हैं जो ईश्वरीय प्रजा हेतु दिव्यदर्शनों और सपनों को भविष्यवाणी में परिणत कर देता है। यह भविष्यवाणी कुछेक लोगों तक सीमित नहीं है वरन् यह उन सबों के लिए है जो ईश्वरीय नाम की दुहाई देते हैं।

संत पापा ने कहा कि तब से लेकर आज तक ईश्वर का आत्मा येसु से मिलने वाली मुक्ति को ग्रहण करने हेतु लोगों के हृदयों को प्रेरित करता है जिन्हें लोगों ने क्रूस के काठ पर कीलों से ठोक दिया, जिन्हें पिता ने सभी प्रकार के दुःख कष्टों से मुक्त कर, मृतकों में से पुनर्जीवित कर दिया। (प्रेरित 2.24) यह वही प्रभु हैं जो हमें पवित्र आत्मा के वरदनों से विभूषित करते, जो बहुस्वरता में ईश गुणगान का कारण बनता जिसे सभी लोग सुन सकते हैं। संत पापा बेनेदिक्त 16वें इसकी चर्चा करते हुए कहते हैं, “पेन्तेकोस्त में येसु और उनमें स्वयं पिता ईश्वर हमारे बीच में आते और हमें अपनी ओर आरोहित करते हैं।” (प्रवचन 3 जून 2006) पवित्र आत्मा हमें अपनी दिव्यता में आकर्षित करते हैं, ईश्वर हमें अपने प्रेम में सम्मोहित करते और हमें अपने में संयुक्त करते हैं जिससे उनके कार्यो आगे बढ़ सकें और हमारे द्वारा नये जीवन की प्रक्रिया का संचार हो सके। वास्तव में केवल ईश्वर की आत्मा में वह शक्ति है जो मानवीयकारण और भ्रातृत्व के संदर्भ को उनमें विकसित करता जो उनका स्वागत करते हैं।

संत पापा ने कहा कि हम ईश्वर से निवेदन करें कि वे हमें नये पेन्तेकोस्त को अनुभव करने की कृपा प्रदान करें जिससे हम अपने हृदय का विस्तार करते हुए अपने अनुभवों को येसु ख्रीस्त के मनोभावों संग संयुक्त कर सकें जो हमें उनके परिवर्तनशील वचनों को बेहिचक घोषित करने में मदद करता है जो हमें प्रेम मिलन में नये जीवन के संचार को दिखलाता है।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और विश्वासी समुदाय के संग “हे पिता हमारे” प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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