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इटली के लुंग्रो धर्मप्रांत के ख्रीस्तियों को संत पापा का अभिवादन
संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 25 मई को वाटिकन के संत पापा पॉल छठे सभागार में इटली के लुंग्रो धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष दोनातो ओलिवेरो के नेतृत्व में रोम की तीर्थयात्रा पर आये करीब 6 हजार इटालियन-अल्बानियाई ख्रीस्तियों का सहृदय स्वागत किया।
यह तीर्थयात्रा संत पापा बेनेदिक्त पंद्रहवें द्वारा लुंग्रो धर्मप्रांत की स्थापना के शतवर्षीय जुबली के अवसर पर की गई है। इस खुशी में शरीक होते हुए संत पापा फ्राँसिस ने धर्माध्यक्ष दोनातो और सभी विश्वसियों को पूरी काथलिक कलीसिया के सामने अपने समुदाय के विश्वास और भक्ति को प्रदर्शित करने के लिए और गवाही देने हेतु धन्यवाद दिया।
लुंग्रो धर्मप्रांत की स्थापना
संत पापा ने कहा कि एक सौ साल पहले, प्रथम विश्व युद्ध के कारण दुनिया अलग-थलग हो गई थी, उस परिस्थिति में मेरे पूर्ववर्ती संत पापा बेनेदिक्त पंद्रहवें ने आपकी वैध जरूरतों के साथ-साथ आपकी साहसिक आध्यात्मिक यात्रा और कठिनाइयों के बावजूद परंपरा के प्रति आपकी निष्ठा की बात सुनी। संत पापा ने "विश्वव्यापी कलीसिया, पूर्वी कलीसिया और अन्य विशेष कलीसियाओं की जरूरतों पर विचार विमर्श एवं मनन चिंतन किया और उन्होंने इटली के कलाब्रिया में “ग्रीक संस्कार के धर्मप्रांत की स्थापना" करने का फैसला किया।
संत पापा ने कहा कि यह महत्वपूर्ण वर्षगांठ सौ सालों में ईश्वर द्वारा प्राप्त उनकी दया और कृपा के लिए धन्यवाद करने का एक अवसर है संत पापा ने इस जुबली को एक लक्ष्य के रूप में नहीं बल्कि उनकी मानवीय प्रतिबद्धता और ख्रीस्तीय यात्रा में एक नए और आनंदमय प्रेरणा के रूप में जीने हेतु आमंत्रित किया। इस अर्थ में, अतीत को गहरा करने और उसे कृतज्ञ स्मृति बनाने के लिए, आशा के साथ, ईश्वर की इच्छानुसार भविष्य की ओर एक साथ आगे चलने की आवश्यकता है।
ख्रीस्तीय गवाही
संत पापा ने उन्हें प्रभु के प्रेम को स्वीकारने और समुदायिक कार्यों में अपना योगदान देने हेतु प्रोत्साहित किया और कहा, “प्रभु ही हमारी खुशी और सच्चे आनंद के स्रोत हैं। प्रभु के प्रेम को आप अपने समुदाय में अपने परिवारों के बीच बांटें। संस्कारों में भाग लेना, हर परिवार के साथ निकटता दिखाना, सबसे गरीब और जरूरतमंदों पर ध्यान देना, युवा पीढ़ी का साथ देना जो आज की बड़ी शैक्षिक चुनौती है जिसमें हम सभी शामिल हैं, ये ऐसे आयाम हैं जिनमें हम अपनी परंपराओं के साथ-साथ, मसीह और उनकी कलीसिया से जुड़े रह सकते हैं। हमें ख्रीस्तीय गवाही देना है, हम जानते हैं कि प्यार, नफरत से ज्यादा सुंदर है। दोस्ती, दुश्मनी से ज्यादा खूबसूरत है। हम सभी के बीच भाईचारा, संघर्षों से ज्यादा खूबसूरत है।
संत पापा ने कृतज्ञता के साथ उन सभी पूर्वजों की याद करते हुए उनके लिए प्रार्थना की जिन्होंने अपने शब्दों से और जीवन से विश्वास को प्रसारित किया। संत पापा ने कहा,“ विशेष रूप से मैं धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसंधियों, माता-पिता और दादा-दादी के बारे में सोचता हूं, जिन्होंने जिन्होंने ईमानदारी से आपकी सुंदर परंपरा के धन को सुरक्षित रखा और आपको सौंप दिया। आप उनके उदाहरण का अनुकरण करें और उस आध्यात्मिक विरासत को आप नई पीढ़ियों की हस्तांतरित करें।
अंत में संत पापा ने पुनः शतवर्षीय जुबली की शुभकानमायें देते हुए उन्हें और लुंग्रो धर्मप्रांत के प्रत्येक परिवार को माता मरियम के संरक्षण में सुपुर्द करते हुए ईश्वरीय कृपा का आशीर्वाद दिया।
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