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RVA Hindi News - Tuesday, 16 March 2021 | Voice of local Church
- पोप फ्रांसिस ने सीरिया के विनाशकारी गृह युद्ध के लिए दुःख प्रकट किया
- सीरिया में बच्चों का कोई भविष्य नहीं, सेव द चिल्ड्रेन
- विदेशी नागरिकों पर अंकुश अब कानूनी।
- स्टेन स्वामी की जमानत कोर्ट ने 15 मार्च को आदेश की अवहेलना की।
- डॉ. ललिता शर्मा ने कहा, इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान है
पोप फ्रांसिस ने सीरिया के विनाशकारी गृह युद्ध के लिए दुःख प्रकट किया
संत पिता फ्रांसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के उपरांत युद्धग्रस्त सीरिया की याद की।संत पापा ने कहा, "दस साल पहले सीरिया में रक्तरंजित संघर्ष शुरू हुआ, जो हमारे समय में एक गंभीर मानवीय तबाही का कारण बना है : असंख्य लोग मौत के शिकार हुए हैं एवं घायल हैं, लाखों विस्थापित हुए हैं, हजारों लापता हैं, हर प्रकार से विनाश और हिंसा हुई है"संत पिता ने अपील करते हुए कहा, "मैं संघर्ष की पार्टियों से अपनी हार्दिक अपील दोहराता हूँ कि वे भली इच्छा का चिन्ह प्रकट करें ताकि थक चुके लोगों के लिए आशा की एक किरण दिखाई दे।
सीरिया में बच्चों का कोई भविष्य नहीं
सेव द चिल्ड्रेन (बच्चों को बचाओ) की नई रिपोर्ट के अनुसार, सीरिया में दस सालों तक युद्ध जारी रहने के बाद, अब बच्चों की एक बड़ी संख्या अपने देश में भविष्य की कल्पना नहीं कर सकती। जॉर्डन, लेबनान, तुर्की और नीदरलैंड में करीब 86 प्रतिशत सीरियाई शरणार्थी बच्चों के सर्वेक्षण में पाया गया है कि वे अपने मूल देश में वापस लौटना नहीं चाहते हैं। बच्चे जो अपने घरों से भाग गये हैं वे अभी जहाँ भी हैं सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं और सेव द चिल्ड्रेन के सर्वेक्षण अनुसार करीब पाँच में से दो बच्चे भेदभाव एवं शिक्षा की कमी की समस्या झेल रहे हैं। कई बच्चे महसूस करते हैं कि वे अपने भविष्य के बारे कुछ नहीं कह सकते।
विदेशी नागरिकों पर अंकुश अब कानूनी।
मार्च के प्रारंभ में संघीय सरकार के गैजट नोटिफिकेशन ने भारत के प्रवासी नागरिकों (OCI) पर पत्रकारिता या अनुसंधान का अभ्यास करने, और तब्लीगी या मिशनरी गतिविधियों में संलग्न होने से प्रतिबंध लगा दिया, जो प्रभावी रूप से पहले केवल दिशानिर्देशों का एक सेट था, उसे कानूनी रूप से मंजूरी दे दी थी।5 मार्च को एक अनौपचारिक ब्रीफिंग के दौरान, गृह मंत्रालय ने दावा किया कि अधिसूचना में उल्लिखित अधिकार और प्रतिबंध 2005, 2007 और 2009 में जारी की गई अधिसूचनाओं की "समेकित सूची" केवल "अधिक स्पष्टीकरण के साथ" थे।हालांकि, विदेश मंत्रालय (MEA) की वेबसाइट पर उपलब्ध इन अधिसूचनाओं की समीक्षा से पता चलता है कि उन्होंने इनमें से कोई भी प्रतिबंध नहीं लगाया था।
स्टेन स्वामी की जमानत कोर्ट ने 15 मार्च को आदेश की अवहेलना की।
11 मार्च को मुंबई की एक विशेष अदालत ने आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता जेसुइट फादर स्टेन स्वामी की जमानत याचिका पर अपना आदेश टाल दिया और उनके समर्थकों को निराशा में डुबो दिया।दक्षिण एशिया के जेसुइट सम्मेलन ने खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हां, यह वास्तव में बुरा है।" 83 वर्षीय जेसुइट कार्यकर्ता के मित्रों और समर्थकों को भेजे गए एक व्हाट्सएप संदेश में कहा गया, "प्रतीक्षा, चिंता, संघर्ष, आशा जारी है।"उनकी इस धारणा को मानते हुए कि सत्य और न्याय की जीत होगी, सम्मेलन, जो दक्षिण एशिया में 4,000 से अधिक जेसुइट का प्रतिनिधित्व करता है, ने कहा कि वे स्वामी की रिहाई के लिए प्रार्थना करना जारी रखेंगे।
डॉ. ललिता शर्मा ने कहा, इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में महिलाओं का सर्वाधिक योगदान है
मध्यप्रदेश घरेलू कामकाजी संगठन एवं ट्रेड यूनियन के तत्वाधन में सेंट रेफ़ियल्स स्कूल के प्रांगण में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में आयोजन किया गया। इस आयोजन में अतिथियों व यूनियन सदस्यों सहित 125 महिलाएं उपस्थित थी। मध्यप्रदेश घरेलू कामकाजी संगठन एवं ट्रेड यूनियन की निर्देशिका सिस्टर रोसिना जोसफ ने उपस्थित अतिथियों व यूनियन के सदस्यों का स्वागत किया और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएँ दी। सिस्टर रोसिना जोसफ जी ने अपने संबोधन में कहा, यह दिन हम महिलाओं के लिये अहम है। विशेष अतिथि प्रोफेसर डॉ. ललिता शर्मा ने महिलाओं की भूमिका को समझाते हुए कहा, इस दुनिया को खूबसूरत बनाने में तमाम महिलाओं का सर्वाधिक योगदान है। प्रति दिन सृष्टिकर्त्ता हमने धैर्य, आत्म विश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से नवाज़ता है। हर कठिन परिस्थिति का हम डट कर सामना करना सीखें। समस्त जानकारी हमारे संवादाता आकाश जंगरा द्वारा दी गई
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