यहूदी विरोधी धारणा को दूर करने के लिये सम्वाद ज़रूरी, कार्डिनल।

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने कहा है कि विश्व के विभिन्न भागों में नित्य बढ़ती यहूदी विरोधी धारणा के उन्मूलन के लिये अन्तरधर्म सम्वाद की नितान्त आवश्यकता है।  

रोम स्थित परमधर्मपीठ के लिये अमरीकी राजदूतावास ने गुरुवार को विश्व में बढ़ती यहूदी विरोधी धारणाओं को दूर करने के लक्ष्य से एक ऑनलाईन विचार गोष्ठी का आयोजन किया था जिसमें कार्डिनल पियोत्रो पारोलीन ने अपने विचार व्यक्त किये।  

पोप फ्राँसिस के प्रति आभार :- विचार गोष्ठी का उदघाटन करते हुए अमरीकी राजदूत कलीस्ता जिनग्रिक ने हाल के वर्षों में यहूदियों, उनके सभाग्रहों एवं कब्रस्तानों पर हुए हमलों का स्मरण दिलाया और कहा कि इस प्रवृत्ति को उलटने में "हर स्वतंत्र समाज" की हिस्सेदारी होनी चाहिये।" इस दिशा में उन्होंने सन्त पापा फ्राँसिस के प्रति आभार व्यक्त किया। जनवरी में की गई सन्त पापा की टिप्पणी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस "यहूदी-विरोधीवाद और सर्वनाश के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण सहयोगी हैं, जिन्होंने यहूदी नरसंहार की स्मृति को सजीव रखने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।"

शान्ति और हर्ष के प्रोत्साहक :- कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने विचार गोष्ठी के समापन पर सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को प्रतिध्वनित करते हुए कहा कि किसी भी प्रकार का यहूदी विरोधी-वाद "हमारे ख्रीस्तीय मूल का बहिष्करण है।"  

कार्डिनल महोदय ने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस का विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती आधारभूत संकल्पनाओं जैसे लोकतंत्र, स्वतंत्रता, उदासीनता, पर चिन्तन व्यक्त करने के साथ-साथ, "इतिहास की भावना के अर्थ की हानि" और नस्लवाद जैसी "मौलिक अवधारणाओं" की विकृतियों पर चिन्तन प्रस्तुत करता है, जो कि यहूदी-विरोधीवाद में भी परिलक्षित होती हैं।

उन्होंने कहा कि यहूदी-विरोधी धारणाओं का समाना करने के लिये अन्तरधर्म सम्वाद एक शक्तिशाली अस्त्र है, क्योंकि उन्होंने कहा, भ्रातृत्व की नींव विभिन्न धर्मों में व्याप्त सत्य पर ही मज़बूत होती है।

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