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"महामारी के अंत" के लिए संत पापा द्वारा तीर्थस्थानों का दौरा
संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को कोविद -19 कोरोना वायरस प्रकोप से उबरने के लिए रोम शहर और दुनिया के लिए प्रार्थना करने हेतु रोम के दो महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों का दौरा किया।संत पापा ने रोम के संत मरिया मेजर महागिरजाघर में स्थित माता मरिया "सालुस पोपोली रोमानी" (रोम वासियों की संरक्षिका) के आइकन और रोम शहर को भयानक प्लेग से बचाने वाले लकड़ी के क्रूस के सामने प्रार्थना की।चालीसा के तीसरे रविवार के दोपहर को संत पापा फ्राँसिस ने महामारी के कारण पीड़ा सह रहे लोगों को माता मरिया के चरणों में सिपुर्द करते हुए उनके प्रति अपना सामीप्य प्रकट किया।
क्रूस के सामने माता मरिया
वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मत्तेओ ब्रूनी ने रविवार को संत पापा के दौरे की घोषणा की थी। संत पापा रविवार को 4 बजे वाटिकन से रोम के संत मरिया मेजर महागिरजाघर के लिए प्रस्थान किया। वहाँ उन्होंने माता मरियम "सोलुस पोपोली रोमानी" के आइकन के सामने प्रार्थना की। उसके बाद संत पापा विया देल कोरसो होते हुए संत मार्सेल गिरजाघर में प्रवेश किया और वहाँ रखे लकड़ी के चमत्कारी क्रूस के सामने इस महामारी के अंत के लिए मौन प्रार्थना की, जिसने इटली और दुनिया के अनेक देशों में आतंक मचा रखा है। संत पापा ने महामारी से प्रभावित लोगों, बीमार लोगों और उनके परिवार के सदस्यों तथा स्वास्थ्य कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सों के लिए प्रार्थना की। प्रार्थना करने के बाद संत पापा शाम करीब 5:30 बजे वापस वाटिकन लौटे।
चमत्कारी क्रूस
सन् 1522 ई. में रोम शहर में भयानक प्लेग फैल गया था। संत मार्सेल गिरजाघर में रखे क्रूस को 16 दिनों तक रोम शहर के सभी इलाकों में और संत पेत्रुस महागिरजाघर जुलूस में ले जाया गया था ताकि रोम का "प्लेग" खत्म हो जाए। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 2000 के जयंती वर्ष के दौरान पश्चताप के दिन को चिह्नित करने के लिए उसी क्रूस का आलिंगन किया था।
"पवित्र क्रूस" के चमत्कार की कई परंपराएं 23 मई 1519 को शुरू हुईं।
उस रात संत मार्सेल गिरजाघर को भयानक आग ने पूरी तरह से नष्ट कर दिया। अगली सुबह पूरी इमारत खंडहर के रुप में मिली। लेकिन आग से अछूता मुख्य वेदी का लकड़ी का क्रूस मिला और क्रूस से लगा एक छोटा तेल का दीपक सुबह तक जलता हुआ पाया गया। इसे देख रोम के विश्वासी और अन्य स्थानों से भी लोग प्रार्थना करने के लिए हर शुक्रवार शाम को एकत्रित होने लगे। संत पापा लियो दसवें ने 1519 में गिरजाघर के पुनर्निर्माण का आदेश दिया।
1600 ई. के बाद से, पवित्र वर्षों के दौरान संत मार्सेल गिरजाघर से संत पेत्रुस महागिरजाघर तक पवित्र क्रूस के जुलूस की परंपरा बन गई। प्रत्येक जुबली की शुरुआत करने वाले संत पापा का नाम और वर्ष क्रूस की पीठ पर अंकित किया जाता है।
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