पोप फ्राँसिस के परमाध्यक्ष चुने जाने की 7वीं सालगिराह

संत पापा फ्राँसिस एवं कार्डिनल ताग्ले

संत पापा फ्राँसिस 13 मार्च को काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्ष चुने जाने की 7वीं सालगिराह मनायेंगे। वे 13 मार्च 2013 को संत पापा चुने गये थे।लोकधर्मियों के सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल लुईस अंतोनियो ताग्ले ने कहा कि हर नया पोप ईश्वर का वरदान होता है जो उनकी प्रेरिताई में प्रकट होता है। संत पापा फ्राँसिस (कार्डिनल जोर्ज बेरगोलियो) संत पेत्रुस के 265वें उतराधिकारी हैं।कार्डिनल लुईस अंतोनियो ताग्ले ने एक साक्षात्कार में संत पापा फ्राँसिस के परमाध्यक्षीय काल का मूल्यांकन किया।सवाल- संत पापा फ्राँसिस के पोप चुने जाने के 7 साल बीत चुके हैं। आप 13 मार्च 2013 की कौन सी बातों को व्यक्तिगत रूप से याद करते हैं?कार्डिनल ताग्ले- मैं उन छः धर्माध्यक्षों में से एक हूँ जिन्हें संत पापा बेनेडिक्ट 16वें ने 24 नवम्बर 2012 के सामान्य लोकसभा परिषद में कार्डिनल नियुक्त किया था। तीन महीनों बाद मैंने संत पापा फ्राँसिस के चुनाव वाले कॉनक्लेव में भाग लिया था। इस पूरी घटना में बहुआयामी अनुभव प्राप्त हुए। कई यादों में 13 मार्च 2013 की याद की दो बातों को मैं साझा करना चाहूँगा।पहला, जब कार्डिनल जॉर्ज बेरगोलियो को पोप चुने जाने के लिए आवश्यक संख्या में वोट मिले, सभी कार्डिनल खुशी से झुम उठे, उन्होंने ताली बजायी और ईश्वर को धन्यवाद दिया जिन्होंने पुनः एक बार आशा प्रदान की थी कि वे अपनी कलीसिया को नहीं त्यागेंगे। किन्तु जब मैं कार्डिनल बोरगोलियो की ओर देखा, वे सिर झुकाकर बैठे हुए थे, मैंने उसे आज्ञापालन का भार या ईश्वर के रहस्यमय इच्छा के प्रति समर्पण के रूप में महसूस किया। प्रार्थना में झुकने की आवश्यकता, ईश्वर पर भरोसा रखने के चिन्ह के रूप में अनुभव किया, जो कलीसिया के चरवाहे हैं।दूसरा, जब हमने संत पापा फ्राँसिस द्वारा संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित जनता को सम्बोधित करने में भाग लिया, मैंने महसूस किया कि हर नया संत पापा एक वरदान होता है जिसको ईश्वर धीरे-धीरे वर्षों के दौरान उनके परमाध्यक्षीय मिशन में खोलते हैं, अथवा एक प्रतिज्ञा हैं जिसको ईश्वर अपने लोगों के सामने पूरी करेंगे। जब मैंने संत पापा फ्राँसिस के लिए 13 मार्च 2013 को ईश्वर को धन्यवाद दिया, तब मैं ईश्वर के वरदान एवं प्रतिज्ञा को देखना चाहता था जिसको ईश्वर कलीसिया एवं विश्व के साथ बांटने वाले थे।

सवाल – संत पापा ने आपके लिए व्यक्तिगत रूप से एवं मनिला के धर्माध्यक्ष के रूप में क्या लाया?

कार्डिनल ताग्ले- संत पापा फ्राँसिस की धर्मशिक्षा एवं अन्य कार्यों के अलावा इन सात सालों में मैंने उनकी शिक्षा से बहुत सीखा है, खासकर, मनीला के चरवाहे के रूप में, भीड़ के बीच भी हर व्यक्ति पर ध्यान देना, बड़े कलीसियाई संगठनों में भी व्यक्तिगत सम्पर्क बनाये रखना, अपनी कमजोरियों को स्वीकार करना, अलौकिक अपेक्षाओं के बीच सहयोग करना, इस बात को जानना कि मैं मुक्तिदाता नहीं, सेवक हूँ।

सवाल- आपको संत पापा से मुलाकात करने के कई अवसर प्राप्त हुए हैं, उनके व्यक्तित्व एवं साक्ष्य में आपको क्या सबसे अधिक प्रभावित करता है?

कार्डिनल ताग्ले- कार्डिनल बेरगोलियो के साथ, मैंने धर्माध्यक्षों के सिनॉड के सचिवालय समिति के सदस्य के रूप में 2005 से 2008 तक काम किया था। मैं उनसे प्रभावित हूँ कि उन्होंने परमाध्यक्ष पद में सरलता, विनोद और चौकस व्यक्तित्व लाया जिसको मैंने उनमें हमेशा देखा था। पोप के रूप में जब कभी उनसे हमारी मुलाकत होती है उनका पहला सवाल किसी काम के मामले में नहीं होता बल्कि पुछते हैं, आपके माता- पिता कैसे हैं?

हालांकि, कई लोग उन्हें समकालीन इतिहास और मानवता की पाठशाला में सबसे प्रभावशाली संचालक और शिल्पकार में से एक मानते हैं, पर मैंने उनमें और हमारे बातचीत में ईश्वर के सामीप्य एवं करुणा का एक सरल "दृष्टांत" देखा है। इस दृष्टांत के रूप में संत पापा फ्राँसिस इतिहास का संचालन कर रहे हैं एवं उसे आकार प्रदान कर रहे हैं।

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