दक्षिण अफ्रीका में बेल्जियम के मिशनरी की हत्या

Father Joseph Hollanders

दक्षिण अफ्रीका से, गुरुवार 16 जनवरी मिली ख़बर के अनुसार, कथित डकैती के प्रयास में बेल्जियम के एक मिशनरी की हत्या कर दी गई।

योहान्नेसबुर्ग, 18 जनवरी 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो): दक्षिण अफ्रीका से, गुरुवार 16 जनवरी मिली ख़बर के अनुसार, कथित डकैती के प्रयास में बेल्जियम के एक मिशनरी की हत्या कर दी गई। दक्षिण अफ्रीका में सेवारत निष्कलंक मरियम को समर्पित ओबलेट मिशनरी धर्मसमाज के पुरोहित फादर जोसफ हॉलैण्डर्स की हत्या दक्षिण अफ्रीका के महाकेंग प्रान्त के बोडिबे नगर में रविवार, 12 जनवरी को कर दी गई थी।  

वाटिकन स्थित सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद की प्रेस एजेन्सी फीदेस को मिली ख़बर के अनुसार, "सोमवार दोपहर एक पल्ली वासी द्वारा उनका पार्थिव शव पाया गया। पुलिस हत्या की जांच पड़ताल में लगी हुई है।"

भयावह मौत

धर्मसमाज के प्रन्तीय प्रमुख फादर डेनियल कोरिन ने फीदेस समाचार को बताया कि उन्हें फादर जोसफ के हाथ पाँव बँधे मिले तथा उनके गला एक रस्सी से बँधा हुआ मिला। उन्होंने कहा, "यह सब देखकर हमें गहरी चोट पहुँची है। एक ऐसे व्यक्ति के लिये जिसने अपना सम्पूर्ण जीवन लोगों की सहायता में व्यतीत किया, यह वास्तव में एक भयावह मौत थी।"

बोडिबे शहर के धर्मप्रान्त क्लर्क्सडोर्प के धर्माध्यक्ष विक्टर फलाना ने फीदेस समाचार से कहा कि ऐसा सम्भव हो कि फादर जोसफ की मृत्यु गोल घोटनें अथवा हार्ट अटैक से हुई हो। उन्होंने कहा कि ऐसी भी सम्भावना है कि डकैती के प्रयास में फादर जोसफ की हत्या कर दी गई थी।

फादर हॉलैण्डर्स को श्रद्धान्जलि

धर्माध्यक्ष फलाना ने कहा, "फादर हॉलैण्ड्स उस्ताह, जीवन और समर्पण से परिपूर्ण थे" तथा बहुत अच्छी तरह से दक्षिण अफ्रीका एवं बोट्सवाना में बोली जानेवाली आफ्रिकान्स एवं स्वाना भाषाएँ बोलते थे। उन्होंने कहा कि फादर जोसफ दक्षिण अफ्रीका के लोगों के साथ सबकुछ में भागीदार थे।   

फादर हॉलैण्ड्स का जन्म बेल्जियम में 04 मार्च 1937 ई. को हुआ था, 08 सितम्बर 1958 ई. को उन्होंने ओबलेट धर्मसमाज में प्रवेश किया था तथा 26 दिसम्बर सन् 1963 को आप पुरोहित अभिषिक्त किये गये थे। 31 जनवरी सन् 1965 ई. को आप दक्षिण अफ्रीका पहुँचे थे। धर्मसमाज की विज्ञप्ति में कहा गया कि विगत 55 वर्षों से फादर जोसफ देश के उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र स्थित नगरों एवं गाँवों में शिक्षक एवं पल्ली पुरोहित रूप में अपनी प्रेरिताई करते रहे थे।

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