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आप सुसमाचार का आनंद संप्रेषित करें
संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 23 सितम्बर को वाटिकन के रेजिया भवन में संचार विभाग के सभी कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। सभा की अध्यक्षता संचार विभाग के प्रीफेक्ट पावलो रुफीनी ने की। संत पापा फ्राँसिस ने सभा में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का सहृदय स्वागत किया और प्रीफेक्ट रुफीनी को सभा का संचालन करने हेतु धन्यवाद दिया।
संत पापा ने कहा कि उनके हाथ में 7 पृष्ठ का लिखित संदेश है पहला पेज पढ़ते ही कुछ को नींद आने लगेगी, अतः पढ़ने के बदले वे स्वतः संदेश देना पसंद करेंगे। यह कहते हुए उन्होंने लिखित संदेश को प्रीफेक्ट रुफीनी के हाथों दे दिया। संत पापा ने वहाँ उपस्थित संचार विभाग के सभी सदस्यों को उनके कामों और सेवा के लिए धन्यवाद दिया।
प्यार में संचार की परिपूर्णता
संत पापा ने कहा कि कुछ धर्मशास्त्रियों का कहना है कि हम अपने भीतर और हम खुद से संवाद करते हैं। यह संचार की शुरुआत है: यह कार्यालय की नौकरी नहीं है, उदाहरण के लिए विज्ञापन की तरह: नहीं। “संचार ईश्वर के मनोभाव में ईश्वर को प्रकट करना है। मेरे पास जो कुछ भी है और मुझे जो सही, सुंदर और अच्छा लगता है, उसे संप्रेषित करने की आवश्यकता है और आप संचार के विशेषज्ञ हैं, आप संचार में एक तकनीशियन हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हम आत्मा और शरीर से संचार करते हैं, मन, हृदय और हाथों से संचार करते हैं, आप हर चीज द्वारा संवाद करते हैं। सच्चा संवाददाता, खुद को और अपना सब कुछ देता है, अपने लिए कुछ नहीं बचाता है। यह सच है कि सबसे अच्छा संचार, ईश्वर और मनुष्यों के प्रति प्यार है। प्यार में ही संचार की परिपूर्णता है।”
संचार धर्म परिवर्तन के लिए नहीं
संत पापा ने कहा कि संचार में जो काम नहीं करना है उनमें से एक है विज्ञापन है। यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि मानव कम्पनियां कैसे कार्य करती हैं। संत पापा ने कहा कि संचार धर्म परिवर्तन के लिए कभी नहीं करनी चाहिए। हमारा संचार ख्रीस्तीय हो और धर्म परिवर्तन को बढ़ावा न दे। संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने बड़ी स्पष्टता के साथ यह कहा, "कलीसिया धर्मपरिवर्तन से नहीं बढ़ती है, लेकिन यह आकर्षण से", अर्थात् अपनी गवाही से विकास करती है। हमारा संचार साक्ष्य होना चाहिए। यदि आप अच्छाई और सुंदरता के बिना केवल एक सच्चाई का संचार करना चाहते हैं, तो बेहतर है आप उसे न ही करें। अगर आप खुद को शामिल किए बिना, खुद के जीवन को देखे बिना, किसी सच्चाई का संचार करने की चाह रखते, तो आप के लिए अच्छा यही होगा कि आप उसे न ही करें। हमारे द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक कार्य में हमेशा गवाही के हस्ताक्षर होते हैं। शहीदों ने अपने जीवन में गवाही दी। हम ख्रीस्तियों को अपने जीवन द्वारा गवाही देना है।
दुनियादारी से बचें
दूसरी बात पर जोर देते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हमें दुनियादारी से अपने को बचाना है, जो अक्सर ख्रीस्तियों के दिलों में प्रवेश करता है। दुनिया सांसारिक है और यह हमेशा से रहा है, दुनियादारी कोई नई चीज नहीं है, यह हमेशा कलीसिया के लिए खतरा रहा है। हमारे लिए वास्तविकता यह है कि हम छोटी कलीसिया हैं, पर हमें अपनी गुणवत्ता को बरकरार रखने की आवश्यकता है। हमें दुनियादारी के प्रलोभन से बचना है। यह सच है, हम कम हैं, लेकिन हम थोड़े नमक और खमीर की तरह हैं।
संचार जो वास्तविकता को बताये
तीसरी बात, जिस पर संत पापा फ्रांसिस संचार विभाग में काम करने वालों का ध्यान आकर्षित किया, वह है वास्तविकता को सामने लाना। उन्होंने कहा, “हम भूल गए हैं, संज्ञाओं की ताकत जो वास्तविकता की बात कहती है, विशेषणों के लिए रास्ता बनाती है। संत पापा ने उदाहरण देते हुए कहा कि संज्ञा "ख्रीस्तीय" के लिए, विशेषण "प्रामाणिक" आवश्यक नहीं है। हमें विशेषण की संस्कृति को छोड़ संज्ञा में ध्यान केंद्रित करना चाहिए, अर्थात हमें सच्चाई को बतलाने की जरुरत है।
सुसमाचार के आनन्द का संचार
संत पापा फ्रांसिस ने अपने संदेश को अंत करते हुए कहा कि संचारकों को शहीदों और प्रेरितों की भाषा सीखना चाहिए और प्रेरितों के कार्य और प्रारंभिक ख्रीस्तीय समुदाय के लेखन को पुन: व्यवस्थित करना चाहिए। आप "सुसमाचार का आनंद संप्रेषित करें", "क्योंकि ईश्वर आपको यही करने के लिए कह रहे हैं।"
अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने संचार विभाग के कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद प्रदान किया और तदोउपरांत व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक व्यक्ति से मुलाकात की।
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