विश्व गरीब दिवस हेतु पोप का संदेश: प्रार्थना व गरीबों के प्रति एकात्मता एक साथ

विश्व गरीब दिवस पर गरीबों के साथ भोजन करते संत पापा फ्राँसिस विश्व गरीब दिवस पर गरीबों के साथ भोजन करते संत पापा फ्राँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने गरीबों के लिए चौथे विश्व दिवस हेतु एक संदेश प्रकाशित किया है जिसको 15 नवम्बर को मनाया जाता है। संदेश में संत पापा ने लोगों का आह्वान किया है कि वे गरीबों पर ध्यान दें खासकर, कोविड-19 महामारी के समय में। उन्होंने उदासीनता के बावंडर से बचने की चेतावनी दी है।

 संत पापा फ्राँसिस ने गरीबों के लिए चौथे विश्व दिवस के संदेश को प्रकाशित किया। गरीबों के लिए विश्व दिवस 33वें रविवार को मनाया जाता है। संदेश की विषयवस्तु है, "गरीबों के लिए अपना हाथ खोलो।" (प्रवक्ता 6:7)

संत पापा ने संदेश में गरीबों की मदद करने हेतु पवित्र धर्मग्रंथ का संदर्भ लेते हुए कहा, "गरीबों के लिए अपना हाथ खोलो" (प्रवक्ता 6:7)। वर्षों पुराने ज्ञान के इन शब्दों को जीवन में पालन किए जाने वाले पवित्र नियम के रूप में प्रस्तावित किया है।

आज ये शब्द हमेशा की तरह यथावत हैं। ये हमें अपनी निगाहों को आवश्यक चीजों पर लगाने एवं उदासीनता के घेरे से बाहर निकलने में मदद देते हैं।

गरीबों में येसु से मुलाकात
संत पापा ने कहा है कि गरीबी कई तरह से प्रकट होती है तथा हर परिस्थिति में ध्यान दिये जाने की मांग करती है। इन सभी में हम प्रभु येसु से मुलाकात कर सकते हैं जिन्होंने अपने आपको छोटे से छोटे भाई-बहनों में उपस्थित होने के रूप में प्रकट किया है। (मती. 25:40)

संत पापा ने प्रवक्ता ग्रंथ के शब्दों का स्मरण दिलाते हुए कहा है कि इस्राएलियों पर विदेशी शक्तियों के वर्चस्व के कारण दुःख, शोक और गरीबी के समय लेखक ने लोगों को जीवन की सीख दी। विश्वास के एक महान व्यक्ति के रूप में, अपने पूर्वजों की परंपराओं में सुदृढ़, उनका पहला विचार था ईश्वर की ओर मुड़ना एवं उनसे प्रज्ञा का वरदान मांगना और प्रभु ने उसकी मदद करने से इंकार नहीं किया।  

प्रवक्ता ग्रंथ के शुरू से ही लेखक जीवन की ठोस परिस्थिति एवं गरीबी के बारे में सलाह प्रस्तुत करते हैं। वे जोर देते हैं कि कठिन परिस्थितियों के बीच भी हम ईश्वर पर भरोसा बनाये रखें, "विपत्ति के समय तुम्हारा जी नहीं घबराये। ईश्वर से लिपटे रहो, उसे मत त्यागो। जिससे अंत में तुम्हारा कल्याण हो। जो कुछ तुम पर बीतेगा उसे स्वीकार करो तथा दुःख और विपत्ति में धीर बने रहो क्योंकि अग्नि में स्वर्ण की परख होती है और दीन हीनती की घरिया में ईश्वर के कृपा पात्रों की। ईश्वर पर निर्भर रहो और वह तुम्हारी सहायता करेगा। प्रभु के भरोसे सन्मार्ग पर आगे बढ़ते जाओ। प्रभु के श्रद्धालु भक्तो, उसकी दया पर भरोसा रखो। मार्ग से मत भटको, कहीं पतित न हो जाओ।” (2:2-7)

प्रार्थना एवं गरीबों की मदद एक साथ
संत पापा ने संदेश में कहा है कि प्रवक्ता ग्रंथ के हर पृष्ठ में हम सृष्टिकर्ता एवं सृष्टि से प्रेम करनेवाले ईश्वर के साथ, उनके पुत्र-पुत्रियों की तरह नजदीकी संबंध स्थापित करने की सुन्दर सलाहों को पाते हैं। वास्तव में, ईश्वर से प्रार्थना और गरीबों तथा पीड़ितों के प्रति एकात्मता को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। ईश्वर को एक सुयोग्य बलिदान अर्पित करने के लिए हमें जानना है कि हर व्यक्ति चाहे वह अत्यधिक गरीब एवं तुच्छ क्यों न हो वह ईश्वर के प्रतिरूप में बनाया गया है। इसी चेतना के द्वारा ईश्वर की कृपा हम लोगों पर पड़ती है जब हम गरीबों के प्रति उदारता दिखलाते हैं। इस प्रकार प्रार्थना के लिए समर्पित समय हमारे पड़ोसी की ज़रूरत में उसकी उपेक्षा करने का बहाना कभी नहीं बन सकता है। वास्तव में, प्रार्थना में प्रभु की आशीष तभी प्राप्त होती है जब यह गरीबों की सेवा से जुड़ी हो।  

गरीबों पर ध्यान देना आवश्यक
संत पापा ने कहा है कि गरीबों की विभिन्न आवश्यकताओं के लिए उनकी देखभाल को उपलब्ध समय अथवा निजी हित या अपने प्रेरितिक अथवा सामाजिक योजना के वातानुकूलित नहीं किया जा सकता। स्वयं को हमेशा पहले रखने की स्वार्थी प्रवृत्ति से ईश्वर की कृपा की शक्ति को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा है कि हमारे ध्यान को गरीबों पर लगाये रखना कठिन है किन्तु यदि हम अपने व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन को सही दिशा देना चाहें तो यह हमारे लिए आवश्यक है। यह सुवचन की बात नहीं बल्कि दिव्य उदारता से प्रेरित एक ठोस समर्पण है।

संत पापा ने गरीबों में ख्रीस्त को देखने की सलाह देते हुए कहा है कि हर साल विश्व गरीब दिवस के अवसर पर मैं कलीसिया की इस सच्चाई पर जोर देता हूँ कि गरीब, ख्रीस्त की उपस्थिति को हमारे दैनिक जीवन में स्वागत करने में मदद देने के लिए हमारे साथ हैं और हमेशा रहेंगे। (यो. 12:8)

हम किस तरह गरीबों की पीड़ा कम करने में मदद कर सकते हैं
गरीबों एवं जरूरतमंद लोगों के साथ मुलाकात हमें निरंतर चुनौती देता है और सोचने के लिए मजबूत करता है कि हम किस तरह उनकी पीड़ा को कम करने में मदद कर सकते हैं? हम उनकी आध्यात्मिक आवश्यकताओं में किस तरह सहायता दे सकते हैं? कलीसियाई समुदाय इसमें भाग लेने के लिए बुलायी जाती है और स्वीकार करती है कि इसे दूसरों को सौंपा नहीं जा सकता। गरीब लोगों को मदद करने के लिए हमें स्वयं सुसमाचारी गरीबी को महसूस करते हुए जीना है। हम सबकुछ सही सलामत महसूस नहीं कर सकते जब मानव परिवार का कोई सदस्य पीछे अथवा अंधकार में छूट गया हो। मौन रूदन के साथ सभी पुरूष, स्त्री और बच्चे, ईश्वर के लोगों को हर समय और हर जगह, पहली पंक्ति पर पा सकें, जो उनकी आवाज बनें, पाखंड और अधूरे वादों के सामने उनकी रक्षा एवं समर्थन करें तथा उन्हें सामुदायिक जीवन में सहभागी होने के लिए निमंत्रण दें। कलीसिया के पास निश्चय ही व्यापक समाधान नहीं है किन्तु ख्रीस्त की कृपा से वह उनका साक्ष्य एवं उदारता का भाव प्रकट कर सकती है।  

कोविड-19 और बगल दरवाजे के संत  
संत पापा फ्राँसिस ने अपने संदेश के एक महत्वपूर्ण हिस्से में कोविड-19 महामारी का जिक्र करते हुए लोगों का ध्यान अनेक खुले हाथों की ओर खींचा, जिन्होंने डॉक्टरों और नर्सों के रूप में इन कठिन महिनों में रोगियों की सेवा की। संत पापा ने प्रशासन, दवाखाना में काम करनेवालों, पुरोहित, स्वयंसेवक एवं अन्य लोगों के खुले हाथों की भी याद की जिन्होंने बिना किसी दिखावे के दिन-रात अपने आप को समर्पित किया।

उन्होंने कहा कि वर्तमान अनुभव ने हमारी बहुत सारी मान्यताओं को चुनौती दी है। हम गरीब और कम आत्मनिर्भर महसूस कर रहे हैं क्योंकि हमने अपनी सीमाओं और आजादी पर रोक को महसूस कर लिया है।

हमारे प्रियजनों और मित्रों के रोजगार खो जाने और अवसर बंद हो जाने पर, अचानक हमारी आँखें उस क्षितिज की ओर खुल गयी हैं जिसपर हमने कभी ध्यान ही नहीं दिया था।   

फिर भी संत पापा ने जोर दिया है कि "यह एक उपयुक्त समय है अपने विश्वास को मजबूत करने का कि हमें एक-दूसरे की जरूरत है कि हमारे लिए एक-दूसरे एवं विश्व के प्रति एक साझा जिम्मेदारी है।

संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि जब तक हम अपने पड़ोसियों के प्रति और सभी लोगों के प्रति जिम्मेदारी की भावना नहीं बढ़ायेंगे, तब तक गंभीर आर्थिक, वित्तीय एवं राजनीतिक संकट जारी रहेगी।  

प्रेम से खुले हाथ
इस साल की विषयवस्तु पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा है कि एक मानव परिवार के रूप में यह जिम्मेदारी एवं प्रतिबद्धता का आह्वान है। इस महामारी के समय में, जिसने दूरी बना कर रखने के लिए मजबूर की, ईश वचन हमें लगातार प्रेरित करता है कि हम प्रेम से कार्य करें।

संत पापा ने संदेश में यह भी बतलाया है कि गरीबों के लिए हाथ खोलने का आदेश उन लोगों के मनोभाव को चुनौती देता है जो अपने हाथों को बंद रखना एवं गरीबी की स्थिति में अचल रहना पसंद करते हैं।  

संत पापा ने कहा कि कुछ हाथ इसलिए खुलते हैं ताकि हथियारों को बेचकर पैसा कमा सकें, जिसके द्वारा वे दूसरों के लिए और बच्चों के लिए भी, मौत एवं गरीबी के बीज बोते हैं। कुछ हाथ ऐसे नियम बनाने के लिए खुलते हैं जिसका पालन वे खुद नहीं करते हैं।   

हमारा अंतिम लक्ष्य है प्रेम
संदेश के अंत में, संत पापा ने याद दिलाया है कि प्रवक्ता ग्रंथ में लिखा गया है, तुम जो कुछ भी करते हो उसमें अपने अंत की याद करो। हमारे सभी कार्यों का अंतिम लक्ष्य प्रेम होना चाहिए। यही हमारी यात्रा का अंतिम लक्ष्य है और कोई भी वस्तु हमें इससे विचलित न करे।

एक मुस्कान ही सही जिसको हम गरीब के साथ बांट हैं वह प्रेम का स्रोत एवं स्नेह फैलाने का माध्यम बने। इस तरह खुले हाथ, हमेशा मुस्कान के साथ अधिक सम्पन्न होकर और ख्रीस्त के शिष्य के रूप में जीने के आनन्द से प्रेरित होकर, चुपचाप मदद कर सकते हैं।  

चौथा विश्व गरीब दिवस 15 नवम्बर 2020 को मनाया जाएगा।  

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