लॉकडाउन के दौरान कारितास द्वारा 11 मिलियन लोगों की मदद

कारितास इंडिया के सदस्य लॉकडाउन के दौरान ऑनलाईन विचार करते हुए कारितास इंडिया के सदस्य लॉकडाउन के दौरान ऑनलाईन विचार करते हुए

कारितास इंडिया द्वारा भारत के 18 राज्यों में किये गये शोध से पता चलता है कि देश में करीब 95.2 प्रतिशत लोगों ने देशव्यापी लॉकडाउन के कारण अपनी जीविका के साधनों को खो दिया है।

भारतीय काथलिक धर्मायक्षीय सम्मेलन के समाज सेवा विभाग द्वारा जारी शोध में यह भी पता चला है कि 28.7 प्रतिशत प्रवासी काम करने के लिए शहर वापस लौटना नहीं चाहते हैं जबकि 32.1 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया है कि स्थिति सामान्य होने पर वे पुनः शहरों में काम करने जायेंगे। करीब 31.3 प्रतिशत लोगों का मन बंटा हुआ है।

सहायता एजेंसी ने कोविड -19 के दौरान प्रवासियों और छोटे किसानों पर शोध किया। 6 जून को एक ऑनलाइन बैठक में शोध के निष्कर्षों का खुलासा किया गया।

संकटग्रस्त प्रवासियों पर शोध
संकटग्रस्त प्रवासियों पर शोध, गंभीरता की सीमा का आकलन करने और प्रवासी समुदाय की आजीविका पर महामारी के प्रभाव को समझने के लिए किया गया था। अध्ययन ने बुनियादी जरूरतों जैसे- प्रवासियों की आजीविका, उनके अधिकारों, उनके साथ भेदभाव और शोषण की ओर ध्यान खींचा। यह शोध भारत के 10 सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और असम शामिल हैं।

सभा में सीबीआई के अध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस, कारितास इंडिया के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष सेबास्तियन काल्लुपुरा, क्षेत्रीय धर्माध्यक्ष समिति के अध्यक्ष एवं पूरे भारत के फोरम निदेशक ने भाग लिया था।

कारितास इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि "महामारी ने एक खास स्थिति पैदा कर दी है जिसने समाज के हर वर्ग को प्रभावित किया है किन्तु प्रवासी और छोटे किसान समुदाय को इस संकट में बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। तालाबंदी के दौरान न केवल शहरी क्षेत्रों ने जीविका खो दी है किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों को भी इसका गहरा असर झेलना पड़ा है। इसने लोगों के जीवन और रोजगार पर बहुत गंभीर असर डाला है।"

शोध दिखलाता है कि कोविड-19 के संक्रमण फैलने के बाद करीब 80 प्रतिशत छोटे किसान और प्रवासी मजदूरों की आमदनी में कमी आई है।

तालाबंदी का बच्चों पर असर
तालाबंदी का बच्चों पर भी असर पड़ा है। कारितास के शोध के अनुसार करीब 46.4 अप्रवासी विद्यार्थियों को स्कूल छोड़ना पड़ा है। 10.6 प्रतिशत प्रवासियों ने महामारी में अपने परिवार के सदस्यों को खोया है। मनरेगा की बात करें तो 6 प्रतिशत लोगों को ही नौकरी मिल पायी है जबकि 37.8 प्रतिशत लोगों को जॉब कार्ड नहीं होने के कारण काम नहीं मिल रहा है।

कारितास द्वारा सहायता
कारितास इंडिया के निदेशक फादर पौल मूनजेली ने बतलाया कि लॉकडाउन के दौरान काथलिक कलीसिया विभिन्न प्रकार से सहयोग द्वारा 11 मिलियन लोगों की मदद पहुँचायी है।

कारितास इंडिया ने सबसे अधिक हाशिये पर जीवनयापन करनेवालों तक पहुँचने का प्रयास किया है जिसके लिए उन्होंने अन्य धर्मों के लोगों, अन्य ख्रीस्तीय समुदायों, विभिन्न समुदायों के विशेषज्ञों के साथ ऑनलाईन सभा करके विचार-विमर्श किया है।

कार्डिनल ग्रेसियास ने महामारी के दौरान लोगों की मदद हेतु किये गये अच्छे कामों के प्रलेखन को रखने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि कलीसिया न केवल इसे इतिहास में संरक्षित करे, बल्कि इसका उपयोग "हमारी सफलताओं और सुधारों के क्षेत्रों" में प्रतिबिंबित करने के लिए किया जा सके, जिससे कि अन्य देश, सम्मेलन और संस्थान हमसे सीख ले सकें।"

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