वाटिकन के आप्रवासी व शरणार्थी विभाग का कोविड-19 बुलेटीन: कलीसिया का सहयोग

गरीबों की मदद करते पुरोहित एवं धर्मबहनेंगरीबों की मदद करते पुरोहित एवं धर्मबहनें

वाटिकन के आप्रवासी एवं शरणार्थी विभाग द्वारा जारी इस सप्ताह के बुलेटीन में, कोरोना वायरस महामारी के बीच विश्वस्तर पर, काथलिक कलीसिया द्वारा विस्थापितों एवं शरणार्थियों की मदद पर प्रकाश डाला गया है।

आप्रवासी, विस्थापित, शरणार्थी और मानव तस्करी के शिकार लोग हमारे समाज में सबसे कमजोर हैं। कोविड-19 महामारी के समय वे अन्याय और भेदभाव के अधिक शिकार हुए हैं जो उनके अधिकार, सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को जोखिम में डालता है।

यही कारण है कि समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के आप्रवासी एवं शरणार्थी विभाग ने एक साप्ताहिक बुलेटीन शुरू की है जिसके माध्यम से जानकारियाँ दी जाती हैं, समस्याओं एवं समाधान के प्रति जागरूरता लायी जाती है तथा विभिन्न काथलिक संचालकों द्वारा इस कदम पर कमजोर लोगों और समुदायों के साथ होने की पहल की जाती है।

इस सप्ताह के बुलेटीन में विश्व के सबसे गरीब क्षेत्र जैसे - शरणार्थी शिविर, झोपड़ियों एवं आदिवासी समुदायों का विश्लेषण करता है। कलीसिया कोविड-19 से सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण रेखा के रूप में उभर रहा है।

काथलिक संस्थाओं द्वारा संकट का जवाब
काथलिक राहत सेवा (सीआरएस) अंतरराष्ट्रीय काथलिक आप्रवासी आयोग (आईसीएमसी) और विश्वभर के स्थानीय करितास संगठनों द्वारा मदद प्रदान किये जा रहे हैं।

जॉर्डन में, आईसीएमसी लाभार्थियों को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र स्थापित की गई है और ऑनलाइन पाठ्यक्रम आयोजित किए गए हैं। माकाऊ और कोंगो में कारितास संगठनों द्वारा भोजन, घरेलू सामान और उपकरण प्रदान किये जा रहे हैं, विशेषकर, कोगों के उन क्षेत्रों में जहाँ मानवीय संकट है, संघर्ष चल रहे हैं और हजारों लोग विस्थापित हैं।

संकट का सामना करने में स्थानीय कलीसिया
भारत की काथलिक कलीसिया देश के विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की मदद एवं सुरक्षा में आगे आ रही है, खासकर, वह मजदूरों एवं उनके परिवारों को खाद्य सामग्री प्रदान कर रही है जो बेरोजगार अपने अस्थायी आवासों में रह रहे हैं। वह उन प्रवासियों को घर तक पहुँचाने में शेल्टर होम के द्वारा सरकार का सहयोग कर रही है तथा विभिन्न तरह से प्रवासियों को राहत देने की कोशिश कर रही है। उन्हें स्वास्थ्य किट प्रदान कर संक्रमण से बचने में मदद दे रही है।

बेनेजुएला एवं कोलोम्बिया के धर्माध्यक्षों द्वारा जारी आंदोलन में जोश एंटोनियो पैज इंटरनेशनल ब्रिज, मानवीय गलियारे के माध्यम से करीब 3000 लोग घर वापस लौट आये हैं।

मेक्सिको की काथलिक कलीसिया द्वारा संचालित आवास के माध्यम से अमरीका की सीमा से भेजे गये केंद्रीय और मध्य अमरीका के आप्रवासियों को कोरोना वायरस एवं विद्वेष, से निपटने में मदद कर रही है जिन्हें मेक्सिको से होकर अपने मूल देश की ओर लौटना पड़ रहा है। इसके निवासियों को सीमा रहित डॉक्टर्स के सहयोग से काथलिक आवास द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट प्रदान किए जाते हैं।   

धर्मसंघी समुदायों द्वारा संकट का जवाब
विश्वस्तर पर धर्मसंघी समुदायों ने आप्रवासियों का स्वागत किया है, खासकर, मेक्सिको में स्कालाब्रियन मिशनरी। मध्य अफ्रीका में जेस्विटों ने आप्रवासियों के लिए कई कदम उठाये हैं जैसे – भोजन का वितरण, स्वच्छता उपकरणों का वितरण, एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगों के लिए तत्कालिक सेवा प्रदान करना जो इस समय सबसे अधिक कमजोर हैं। 
 

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