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कोविद -19: स्थानीय कलीसिया भविष्य के लिए तत्पर
मंगलवार को एक वाटिकन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि कलीसिया कैसे भविष्य की ओर देखती है क्योंकि दुनिया धीरे-धीरे कोविद -19 महामारी से बाहर निकल रही है।
संत पापा फ्राँसिस एक ऐसी कलीसिया की इच्छा करते हैं जो लोगों को सांत्वना देती है, उनका साथ देती है और चंगा करती है क्योंकि कलीसिया कोविद -19 के संकट से निकलने के लिए दुनिया भर में स्थानीय स्तरों पर विभिन्न रूपों में कार्य कर रही है। कोविद -19 के इस चरण में कलीसिया की कार्रवाई पर एक वाटिकन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह कहा गया था।
कुछ स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के अभी भी लागू रहने के कारण मंगलवार को वाटिकन लाइवप्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया, जिसका विषय था, “कोविद-19 के समय में स्थानीय कलीसियाओं के माध्यम से भविष्य की तैयारी।”
संत पापा फ्राँसिस के अनुरोध पर, 20 मार्च को, समग्र मानव विकास हेतु बने विभाग (डीपीआईएचडी) ने वाटिकन कोविद-19 आयोग बनाया जिससे कि कलीसिया द्वारा महामारी का सामना कर रहे मानव समुदाय को सेवा और सही देखभाल मिले। इस बैनर के तले संत पापा की इच्छा को साकार करने के लिए विभाग और अंतरराष्ट्रीय कारितास सहयोग कर रहे हैं।
मंगलवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों को जवाब देने वालों में डीपीआईएचडी को प्रीफेक्ट कार्डिनल पीटर टर्कसन, डीपीएचआईडी के अंडर सेक्रेटरी मोनसिन्योर सेगुंडो तेजादो मुनोज और 165 राष्ट्रीय काथलिक राहत और विकास एजेंसियों के वैश्विक परिसंघ तथा अंतरराष्ट्रीय कारितास के महासचिव श्री अलोसियुस जॉन थे। ।
कोई भी पीछे न रहे
महामारी के बाद कलीसिया की कार्रवाई को रेखांकित करते हुए, कार्डिनल टर्कसन ने कहा कि यह भविष्य की ओर देखने वाली आशा है, जो ईश्वर के लिए खुली है। इस प्रकाश में, सभी की गरिमा को कोमलता और समावेशी एकजुटता के साथ सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि कोई पीछे न रहे।
कार्डिनल ने उल्लेख किया कि यूरोप महामारी से बाहर आ रहा है और धीरे-धीरे प्रतिबंधों को वापस ले रहा है, परंतु जब तक कोविद -19 का एक भी मामला है, तब तक दुनिया सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि सभी देशों को सामूहिक रूप से एकजुटता के साथ इस आपातकाल से बाहर आने में मदद करनी चाहिए।
कारितास के कार्य
एकजुटता और मानवाधिकारों के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय कारितास के महासचिव श्री अलोसियुस जॉन ने संबोधित किया, जो दुनिया भर में कुछ 20 परियोजनाओं का वित्तपोषण कर रहा है। बच्चों, महिलाओं और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा को प्रमुख महत्व दिया जा रहा है।
कलीसिया की एकजुटता और परोपकार के कुछ देशों में बड़े प्रभाव देखने को मिले, जैसे कि पाकिस्तान में, जहां कारितास बिना किसी भेद के सभी तक पहुंचती है और अंतर-धार्मिक सद्भाव और संवाद के लिए उपयुक्त स्थान तैयार करती है।
संघर्षग्रस्त देशों में जैसे सेनेगाल, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, प्रजातांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी), दक्षिण सूडान और सोमालिया में कारितास स्थानीय कलीसियाओं की मदद से विस्थापितों के शिविरों में काम कर रहा है, तथा शांति, सामंजस्य और सद्भाव में एक साथ रहने में उनकी मदद कर रहा है।
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