Radio Veritas Asia Buick St., Fairview Park, Queszon City, Metro Manila. 1106 Philippines | + 632 9390011-15 | +6329390011-15
लॉकडाउन में अविश्वसनीय पर्यावरणीय परिवर्तन
मनुष्य अक्सर यह भूल जाता है कि हम काफी हद तक प्रकृति पर निर्भर हैं। हम प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत विकास के लिए इतने अनिच्छुक हैं कि हम पृथ्वी की सुंदरता को पूरी तरह से भूल गए हैं। हम प्रकृति के महत्त्व को लेकर अनभिज्ञ है।
दुनिया भर में लगाए गए लॉकडाउन ने हम में से हर एक को नाराज़ कर दिया है और इसने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि प्रकृति हमारे जीने के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। प्रकृति में मूर्त सुधारों ने हमें विश्वास दिलाया है कि पृथ्वी को बचाया जा सकता है।
इसने हमें यह बताया है कि हमारे कार्य पृथ्वी की स्थिरता को बहुत अच्छी तरह से प्रभावित कर सकते हैं। हरियाली वाले पेड़ों को शुद्ध हवा में सांस लेने के लिए, विभिन्न शहरों में वन्यजीवों को यहां लाना कुछ महत्वपूर्ण पर्यावरणीय परिवर्तन हैं जो हमने लॉकडाउन में देखे हैं:
1. वायु की गुणवत्ता में सुधार
डब्ल्यूएचओ द्वारा मई 2014 में नई दिल्ली को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहर का दर्जा दिया गया था। भारत की राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता सूचकांक के अनुसार सामान्य वायु गुणवत्ता 200 हुआ करती थी। जब प्रदूषण का स्तर अपने चरम पर पहुंच गया, तो प्रदूषण स्तर बढ़ गया। 900 और कभी-कभी, मापने योग्य पैमाने से दूर। लॉकडाउन के चलते जहाँ वाहनों क पहिये थमे है और कारखाने भी बंद पड़ गए है जिससे वायुमंडल स्वच्छ हो गया है एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी भी नजर आने लगे है। पुरे देश की हवा स्वच्छ हो गयी है और साथ ही प्रकृति की मुस्कान वापस लौट आयी है।
2. मछलियाँ नदी एवं समुद्र तट तक आयी है।
गंभीर रूप से संकटग्रस्त, दक्षिण एशियाई नदी डॉल्फ़िन डॉल्फ़िन के रूप में जाना जाता है। गंगा नदी में 30 साल बाद डॉल्फ़िन मछली को दोबारा देखा गया है।
पानी में प्रदूषण कम होने के कारण, दक्षिण एशियाई नदी में डॉल्फ़िन को कोलकाता के विभिन्न गंगा घाटों पर देखा गया है।
3. पक्षियों की संख्या में वृद्धि।
कोविद -19 के कारण लगाए गए लॉकडाउन के परिणामस्वरूप, देश के विभिन्न शहर में हज़ारों की मात्रा में पक्षियों को देखा गया है। पलायन करने वाले पक्षियों की संख्या में भी काफी इजाफा हुआ है। पक्षी आमतौर पर हर साल क्षेत्र में पलायन करते हैं, लेकिन निवासियों ने बताया है कि इस साल उन्होंने उनकी संख्या में भारी वृद्धि देखी है। जो की हमारे पर्यावरण एवं प्रकृति के लिए बहुत अच्छी बात है।
4. पानी की गुणवत्ता में सुधार
लॉकडाउन के चलते कल कारखाने एवं फैक्टरियां बंद पड़ गयी है। जिसके कारण पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिल है। पहले कल कारखाने एवं फैक्टरियां का गन्दा अपशिष्ट नदियों में बहा दिया जाता था और पानी को अशुद्ध कर देता है। मगर लॉकडाउन के बाद से ये अपशिष्ट पानी में नहीं मिल पा रहे है जिससे पानी स्वच्छ हो गया है।
5. ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति:
लॉकडाउन के चलते गाड़ियों के पहिये थम से गए है। पहले वाहनों के शोर से जो ध्वनि प्रदुषण होता था अब वो काफी मात्रा में कम हो गया है। लाउडस्पीकरों का उपयोग भी बिलकुल बंद हो जाने से भी ध्वनि प्रदुषण कम हो चला है। प्रकृति में व्यापक रूप से परिवर्तन देखने को मिला है। पहले जो शोर सुनाई देता था उसकी जगह अब चिड़ियों की मधुर चहचहाट सुनाई दे रही है। प्रकृति के लिए लॉकडाउन एक तरह से वरदान साबित हुआ है।
6. वन्य जीवों की वापसी
वन्य जीव जो जंगल के अन्दर जीवन व्यतीत कर रहे थे अब लॉकडाउन में जंगल से निकलकर गाँवों एवं शहरों तक आ गए है। जो वन्य जीव पहले जिस बेफ्रकी के साथ कहीं भी घूमते थे, विचरण करते थे वो लॉकडाउन में वापस से विचरण कर रहे है। कई शहरों में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु देखे गए है। जो की पर्यावरण के लिए काफी अच्छी बात है।
यह माना जाता है कि लॉकडाउन के कारण, नदी के पानी में औद्योगिक अपशिष्ट की निकासी रुक गई है और पानी की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।
हमारे दिल में आशा के साथ कठिन समय को पार करने के लिए, हम मातृ प्रकृति को संरक्षित करने के लिए परिष्कृत जीवन शैली के विकल्पों के भविष्य की ओर बढ़ेंगे और उम्मीद करेंगे कि हमारे ग्रह पृथ्वी को कई वर्षों से नष्ट होने से बचाने के लिए संचयी रूप से काम करेंगे।
Add new comment