संत पापा का ट्वीट संदेश

इबरील में दुआ करते मुसलमानइबरील में दुआ करते मुसलमान

संत पापा फ्राँसिस ने ट्वीट प्रेषित कर कोरोना महामारी के कारण अपने कामों को खोये हुए अनेक लोगों के लिए प्रार्थना की साथ ही संत पापा ने हर धर्म के विशवासियों को 14 मई गुरुवार के दिन को प्रार्थना उपवास और उदारता के कार्यों को करने हेतु मानव बंधुत्व की उच्च समिति द्वारा दिये गये आमंत्रण की याद दिलाई।

कोरोना वायरस पूरे विश्व में महामारी बनकर उभर चुका है। अबतक पूरे विश्व में 41,16,767 लोग संक्रमित हैं और 2,82,872 लोगों की मौत हो गई है। कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अतः मानव बंधुत्व की उच्च समिति ने 2 मई को एक संदेश प्रकाशित कर, 14 मई को "मानवता के लिए प्रार्थना" का आह्वान किया है। संदेश मे कहा गया है कि प्रत्येक जन, जहाँ कहीं भी हों, अपने धर्म, आस्था या विश्वास के अनुसार, ईश्वर से निवेदन करें कि वे इस महामारी को हमसे एवं पूरे विश्व से दूर कर दें, वैज्ञानिकों को औषधि प्राप्ति की प्रेरणा दें जो इस बीमारी को समाप्त सके और स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था एवं इस गंभीर महामारी के मानवीय नतीजे से सारी दुनिया को बचा लें।

विश्वव्यापी प्रार्थना और उपवास 
इस आमंत्रण को स्वीकार करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 11 मई के ट्वीट कर इस अंतरराष्ट्रीय पहल की याद दिलाई। संदेश में उन्होंने लिखा, ʺमैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि 14 मई को, हर धर्म के विश्वासियों को प्रार्थना, उपवास और उदारता के कार्यों द्वारा आध्यात्मिक रूप से खुद को एकजुट करने के लिए आमंत्रित किया जाता है, ताकि मानवता को कोरोना वायरस से दूर करने में मदद हेतु ईश्वर से याचना की जा सके।ʺ

नौकरी से निकाले गये लोगों के लिए प्रार्थना
एक अन्य ट्वीट में संत पापा ने कोरोना वायरस के कारण नौकरी से निकाल दिये गये लोगों के लिए प्रार्थना करने हेतु प्रेरित किया।

उन्होंने संदेश में लिखा,ʺकई लोगों ने हाल ही में अपनी नौकरी खो दी है। आइए, हम एक साथ अपने  इन भाइयों और बहनों के लिए प्रार्थना करें जो रोजगार न होने के कारण पीड़ा सह रहे हैं।ʺ

पवित्र आत्मा की भूमिका
संत पापा ने एक अन्य ट्वीट में ख्रीस्तियों के जीवन में पवित्र आत्मा के कार्यों को रेखांकित किया।

संदेश में उन्होंने लिखा,ʺ पवित्र आत्मा का हमारे जीवन में क्या भूमिका है?" पवित्र आत्मा हमें येसु की कही हर बात की याद दिलाता है। वह हमें विश्वास को बेहतर ढंग से समझना सिखाता है जिससे कि हम हम अपने विश्वास को गलती किये बिना विकसित कर पाते हैं। यह आत्म परख करने में हमारा साथ देता है और हमारा समर्थन करता है। यह जीवन के छोटे-बड़े फैसले लेने में हमें प्रबुद्ध करता है।ʺ
 

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