इटली में सार्वजनिक मिस्सा 18 मई से

गिरजाघर में प्रार्थना करते विश्वासी गिरजाघर में प्रार्थना करते विश्वासी

इटली में कोरोना वायरस के कारण किये गये लॉकडाउन को खोलने के बाद, अब गिरजाघरों को भी खोल दिये जायेंगे जिसमें ख्रीस्तयाग, विवाह संस्कार, अंतिम संस्कार एवं बपतिस्मा संस्कार को 18 मई से पुनः शुरू किया जाएगा। गिरजाघरों में समारोहों के दौरान दूरी बनाये रखने और स्वच्छता उपायों को अपनाने पर भी सख्ती से ध्यान दिया जाएगा।

दो महीनों तक लाईव प्रसारण के माध्यम से मिस्सा में भाग लेने एवं अपने घरों में प्रार्थना करने के बाद इटली के विश्वासी फिर से गिरजाघरों में आकर धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लेंगे।

इटली के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ग्वालतियेरो बस्सेत्ती ने इटली के प्रधान मंत्री जुसेप्पे कोनते एवं अंतरिम मंत्री लुचियाना लामोरघेसे के साथ बृहस्पतिवार 7 मई को एक नवाचार पर हस्ताक्षर करने के बाद गिरजाघरों को खोलने और धार्मिक अनुष्ठानों को विश्वासियों की उपस्थिति में मनाये जाने की सूचना जारी की।

प्रोटोकॉल में नियमों और तरीकों की रूपरेखा तैयार की गई है, जो कि कोरोनावायरस के संक्रमण के न्यूनतम जोखिम को सुनिश्चित करने के लिए पालन किया जाना चाहिए।

सभी धार्मिक समारोह- ख्रीस्तयाग, बपतिस्मा, विवाह और अंतिम संस्कार आदि मार्च के शुरू में स्थगित अथवा बंद कर दिये गये थे, जब सरकार ने कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। कोरोना वायरस के कारण सिर्फ इटली में अब तक कुल 30,201 लोगों की मौत हो चुकी है।

जब इटली ने कोरोना वायरस लॉकडाउन के दूसरे चरण में प्रवेश किया, सरकार ने इटली के काथलिक धर्माध्यक्षों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित किया है कि विश्वासी गिरजाघरों में आकर समारोहों में भाग ले सकते हैं।

कार्डिनल बल्लेत्ती ने वर्तमान संकट के मद्देनजर कलीसिया के समर्पण की याद करते हुए कहा, "यह नवाचार सरकार... एवं इटली के धर्माध्यक्षों के बीच गहरे सहयोग एवं तालमेल का परिणाम है जिसमें प्रत्येक ने जिम्मेदारी के साथ अपनी भूमिका निभायी है।"

नवाचार में रेखांकित किया गया है कि विश्वासियों को चेहरे पर मास्क लगाना एवं एक मीटर की सुरक्षित दूरी रखना अनिवार्य है। हरेक समारोह के बाद सभी कमरों एवं प्रयोग किये जानेवाली वस्तुओं का शुद्धिकरण करना भी आवश्यक है। मिस्सा के समय ख्रीस्त की शांति के अभिवादन को भी मना किया गया है।

परमप्रसाद की धर्मविधि के लिए, मुख्य अनुष्ठाता अपने हाथों को सनिटाईज करेंगे और दस्ताना एवं मास्क का प्रयोग करेंगे।

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