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कार्डिनल टर्कसन ने रोम के जेमेल्ली अस्पताल का दौरा किया
समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल टर्कसन ने शुक्रवार को रोम स्थित अगोस्तीनो जेमेल्ली अस्पताल का दौरा किया तथा संत पापा की ओर से कोरोना वायरस पीड़ित लोगों एवं स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति सामीप्य व्यक्त किया। परिषद ने वाटिकन प्रेस कार्यालाय के माध्यम से शुक्रवार को एक बयान जारी कर बतलाया कि कार्डिनल टर्कसन ने शुक्रवार को रोम के अंगोस्तीनो जेमेल्ली अस्पताल का दौरा किया। उनके साथ परिषद के उपसचिव मोनसिन्योर सेगुनदो तेजादो मुनोज और फादर निकोला रिकार्दी भी थे। उन्होंने वहाँ के मेडिकल कर्मचारियों से मुलाकात की जो कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने सभी पीड़ितों एवं उनके परिवारवालों तथा वहाँ सेवारत पुरोहितों को संत पापा का अभिवादन एवं उनकी सहानुभूति प्रदान की। कार्डिनल टर्कसन ने उन्हें यह संदेश दिया, “मैं आप लोगों के लिए संत पापा का आलिंगन ला रहा हूँ। कोरोना वायरस से लड़ने में आप अकेले नहीं हैं।” उसके बाद संत पापा से आशीष प्राप्त रोजरी भेंटकर उन्हें कलीसिया की प्रार्थनाओं और समर्थन का आश्वासन देने हुए वे वहाँ से विदा हुए।
अस्पताल की सराहना
अस्पताल का दौरा करने बाद वाटिकन न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में कार्डिनल टर्कसन ने अस्पताल के कर्मचारियों और प्रशासकों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की सेवा करनेवाले कर्मचारियों द्वारा दूरी रखते हुए कार्य करना उनकी तत्परता का चिन्ह है। संत चार्ल्स बोरोमियो जिन्होंने महामारी के समय को जिया था उनका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कर्मी शहीदों का काम कर रहे हैं।
श्वासयंत्र की भेंट
कार्डिनल टर्कसन ने बतलाया कि संत पापा जेमेल्ली अस्पताल को 30-50 श्वासयंत्र दान करने की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि लोगों का जीवन बचाया जाना आवश्यक है।
एकात्मता में आशा
कार्डिनल टर्कसन ने कहा कि वे भाईचारा एवं एकात्मता सीखने में दुनिया के लिए उम्मीद देखते हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि ज्ञान को बांटना ही वायरस से लड़ने की कुँजी है। उन्होंने अस्पताल के कर्मचारियों का उदाहरण दिया जो वायरस से लड़ने हेतु रोज जानकारी साझा करते हैं। कार्डिनल ने शिक्षा, ज्ञान बांटने, एकात्मता के साथ, मिलजुल कर कार्य करने और पूरे विश्व को एक परिवार मानने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी भाई बहन बनकर, हमारे ज्ञान के स्रोत से एक-दूसरे को सहयोग करना सीखें।
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