महामारी की चुनौतियाँ और वैश्विक भाईचारा, जीवन की अकादमी

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कोविड-19 संकट पर एक दस्तावेज में जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय अकादमी ने कहा है कि महामारी “संस्थागत संस्कृति को प्रभावित करने हेतु मानवीय भावना” के लिए एक अवसर है। जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय अकादमी ने कोविड -19 आपातकाल पर एक दस्तावेज जारी किया है जिसका शीर्षक है, “महामारी की चुनौतियाँ और वैश्विक भाईचारा”। दस्तावेज में विज्ञान एवं मानवतावाद के बीच संबंध का आह्वान किया गया है जिससे संकट में हमारे उत्तर को दिशा मिल सके।

आपसी आदान-प्रदान जीवन का आधार
वर्तमान स्थिति ने हमें समझने के लिए प्रेरित किया है कि "अनिश्चितता मौलिक रूप से हमारी मानवीय स्थिति की विशेषता है। हम अपने भाग्य के मालिक नहीं हैं, जबकि दूसरी ओर हमारा जीवन आपस में जुड़ा हुआ है। यह आपसी आदान-प्रदान की चेतना जागृत करता है जो हमारे जीवन का आधार है। व्यक्तिगत अधिकार एवं स्वतंत्रता के संबंध में उत्पन्न चिंता के संबंध पर गौर करते हुए अकादमी ने पुष्ट किया है कि अधिकार के साथ कर्तव्य भी है। स्वतंत्र एवं समान लोगों का सह-अस्तित्व निश्चय ही एक नैतिक सवाल है न कि तकनीकी।

बुजूर्गों एवं दुर्बलों पर विशेष ध्यान
अकादमी ने कहा है कि हमारा यह विशेष संबंध इस समय परखा जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि राजनीतिक निर्णय न केवल वैज्ञानिक आँकड़ों पर आधारित हों बल्कि नैतिक विषयों पर भी ध्यान देते हुए लिया जाए, उदाहरण के लिए, स्वास्थ्य देखभाल में रोगियों की आवश्यकता के अनुसार उत्तम चिकित्सा का प्रयोग विवेकपूर्ण निर्णयों पर आधारित हों। यदि देखभाल करना पूरी तरह आवश्यक हो और यह आखरी सहारा हो, तो इस तरह के देखभाल में बुजूर्ग एवं कमजोर व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय आपातकालीन स्थितियों में देखभाल, मनमानी या कामचलाऊ व्यवस्था से बचने के लिए ठोस तर्कों पर आधारित होनी चाहिए।

सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान
दस्तावेज में सबसे कमजोर लोगों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया है, विशेषकर, बुजूर्ग एवं जिन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता है। हर प्रकार की चिंता एवं भलाई प्रकट करना, पुनर्जीवित येसु के विजय का प्रतीक है। साथ ही हमें अन्य आपदाओं को भी नहीं भूलना चाहिए जो कमजोर, शरणार्थी, युद्ध पीड़ित एवं भूखे लोगों को प्रभावित करता है।

प्रार्थना की असीम शक्ति
अंततः अकादमी ने मध्यस्थता की प्रार्थना के महत्व पर चिंतन किया है। “जहाँ सुसमाचारी सामीप्य, भौतिक सीमा या शत्रुतापूर्ण विरोध महसूस करता है क्रूस पर असीम एवं दृढ़ शक्ति, इसे बरकारार रखती है, चाहे लगे कि लोग ईश्वर की आशीष के बिना जीत रहे हों। प्रार्थना मृत्यु के दुखद रहस्य और भय में हमारी मदद करती है। वैश्विक भाईचारा का साझा साक्ष्य जो अविश्वासियों द्वारा भी दिया जाता है, मानव परिस्थिति के उत्तम भाग की ओर इशारा करता है। अंत में, अकादमी इस बात की पुष्टि देता है कि "मानवता, जो एक अटूट रूप से आमहित के रूप में जीवन के लिए, उस क्षेत्र को नहीं छोड़ती, जिसमें मनुष्य प्यार करते और एक साथ रहते हैं, सभी का आभार और ईश्वर का सम्मान प्राप्त करती है।"

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