येसु ने हमारे पापों को अपने ऊपर लिया, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस

संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को सभी आवासहीन लोगों के लिए प्रार्थना की तथा उपदेश में सांप के प्रतीक पर चिंतन किया। संत पापा ने वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में 31 मार्च को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा, “हम उनके लिए प्रार्थना करें जो बेघर हैं। ऐसे समय में जब सभी लोगों को घर के अंदर रहना है, समाज एवं सभी लोग इस सच्चाई को महसूस कर सकें और उनकी मदद कर सकें तथा कलीसिया उनका स्वागत कर सके।” उपदेश में संत पापा ने आज के दोनों पाठों पर प्रकाश डालते हुए सांप के प्रतीक पर चिंतन किया। (गणना 21:4-9, यो. 8:21-30)

पुराना सांप जो इबलीस या शैतान कहलाता है
संत पापा ने कहा, “सांप निश्चय ही सहानुभूति रखनेवाला जीव नहीं है। यह हमेशा बुराई से जुड़ा है। प्रकाशना ग्रंथ में भी सांप को एक ऐसे जीव के रूप में दर्शाया गया है जो पाप का कारण बनता है। प्रकाशना ग्रंथ में इसे पुराना सांप कहा गया है जो शुरू से ही काटता, विष डालता, नष्ट करता एवं मार डालता है।

बुराई का प्रतीक
इस्राएली लोग लम्बी यात्रा से ऊब गये थे। उन्होंने शिकायत की कि उनके लिए भोजन और पानी नहीं है, वे मन्ना खाकर थक चुके हैं। संत पापा ने कहा, “यह हमेशा का संगीत था। आपने हमें मरने के लिए मिस्र से निकाल कर इस मरूभूमि में क्यों लाया? हम वहाँ ठीक थे। अच्छा से खाते थे, इस तरह वे मिस्र की याद करते रहते थे। ऐसा भी दिखाई पड़ता है कि इस समय ईश्वर भी अपने लोगों को सहन नहीं कर पाये। वे क्रुद्ध हो गये। ईश्वर का क्रोध भड़क उठा और उन्होंने लोगों के बीच विषैले सांप भेजे। जिनके काटने पर बहुत सारे लोग मर गये। उस समय सांप हमेशा बुराई का प्रतीक था। सांप को देखते हुए लोगों ने अपने पापों की याद की... अपनी गलतियों का एहसास किया ... और पश्चाताप किया।

भविष्यवाणी
संत पापा ने कहा कि मैं इस बात से विस्मित हूँ कि मूसा ने सांप को डंडे पर लटकाया, कहीं यह मूर्तिपूजा तो नहीं थी? उन्होंने कहा कि मूर्तिपूजा के बदले यह एक भविष्यवाणी थी, एक घोषणा थी कि भविष्य में क्या होनेवाला है। येसु स्वयं डंडे पर लगाये गये सांप की याद करते और इसकी तुलना अपने आप से करते हैं। इसे और अच्छी तरह समझने के लिए हमें येसु की भविष्यवाणी को समझने की जरूरत है जिन्होंने कहा था कि वे डंडे पर लगे सांप की तरह, पुराने सांप के साथ उठाये जायेंगे।भविष्यवाणी का केंद्रविन्दु यही है कि येसु स्वंय हमारे लिए पाप बन गये। उन्होंने पाप नहीं की थी किन्तु अपने आपको पाप बनाया। जैसा कि संत पेत्रुस अपने पत्र में कहते हैं, उन्होंने हमारे सभी पापों को अपने ऊपर लिया, अतः जब हम क्रूस पर नजर डालते हैं, तब हम प्रभु की याद करें कि उन्होंने दुःख सहा और यह सच्चाई है किन्तु संत पापा ने कहा कि उस सच्चाई के केंद्र तक पहुँचने के लिए हम एक क्षण रूकें। इस तरह हम अपने को एक बड़े पापी के रूप में पायेंगे। हमने पाप किया किन्तु उन्होंने हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया...
उस समय सहिंता के पंडितों में उनके प्रति प्रतिशोध की भावना थी। वे उन्हें नहीं चाहते थे, यह सच है किन्तु सच्चाई जो ईश्वर से आती है वह यह है कि वे हमारे पापों को अपने ऊपर लेने के लिए इस दुनिया में आये और इसके लिए वे खुद पाप बन गये...हमारा पाप उनपर है।

चिंतन करना, प्रार्थना करना, धन्यवाद देना
संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों को एक आदत बनानी चाहिए कि वे इसी आलोक में क्रूस को देखें, मुक्ति के आलोक में और उस याद के रूप में कि येसु दुःख सहने और मरने का बहाना नहीं किये। उन्होंने अकेले ही हम सभी के पापों के भार को अपने ऊपर लिया। इसके लिए उन्होंने अपने आपको खत्म कर दिया और अपने पिता द्वारा भी त्याग दिये गये महसूस किये। इसको समझना आसान नहीं है और यदि हम इसकी कल्पना करें तो भी कभी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पायेंगे। हम केवल चिंतन कर सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं और धन्यवाद दे सकते हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को सभी आवासहीन लोगों के लिए प्रार्थना की तथा उपदेश में सांप के प्रतीक पर चिंतन किया। संत पापा ने वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था में 31 मार्च को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा, “हम उनके लिए प्रार्थना करें जो बेघर हैं। ऐसे समय में जब सभी लोगों को घर के अंदर रहना है, समाज एवं सभी लोग इस सच्चाई को महसूस कर सकें और उनकी मदद कर सकें तथा कलीसिया उनका स्वागत कर सके।” उपदेश में संत पापा ने आज के दोनों पाठों पर प्रकाश डालते हुए सांप के प्रतीक पर चिंतन किया। (गणना 21:4-9, यो. 8:21-30)

पुराना सांप जो इबलीस या शैतान कहलाता है
संत पापा ने कहा, “सांप निश्चय ही सहानुभूति रखनेवाला जीव नहीं है। यह हमेशा बुराई से जुड़ा है। प्रकाशना ग्रंथ में भी सांप को एक ऐसे जीव के रूप में दर्शाया गया है जो पाप का कारण बनता है। प्रकाशना ग्रंथ में इसे पुराना सांप कहा गया है जो शुरू से ही काटता, विष डालता, नष्ट करता एवं मार डालता है।

बुराई का प्रतीक
इस्राएली लोग लम्बी यात्रा से ऊब गये थे। उन्होंने शिकायत की कि उनके लिए भोजन और पानी नहीं है, वे मन्ना खाकर थक चुके हैं। संत पापा ने कहा, “यह हमेशा का संगीत था। आपने हमें मरने के लिए मिस्र से निकाल कर इस मरूभूमि में क्यों लाया? हम वहाँ ठीक थे। अच्छा से खाते थे, इस तरह वे मिस्र की याद करते रहते थे। ऐसा भी दिखाई पड़ता है कि इस समय ईश्वर भी अपने लोगों को सहन नहीं कर पाये। वे क्रुद्ध हो गये। ईश्वर का क्रोध भड़क उठा और उन्होंने लोगों के बीच विषैले सांप भेजे। जिनके काटने पर बहुत सारे लोग मर गये। उस समय सांप हमेशा बुराई का प्रतीक था। सांप को देखते हुए लोगों ने अपने पापों की याद की... अपनी गलतियों का एहसास किया ... और पश्चाताप किया।

भविष्यवाणी
संत पापा ने कहा कि मैं इस बात से विस्मित हूँ कि मूसा ने सांप को डंडे पर लटकाया, कहीं यह मूर्तिपूजा तो नहीं थी? उन्होंने कहा कि मूर्तिपूजा के बदले यह एक भविष्यवाणी थी, एक घोषणा थी कि भविष्य में क्या होनेवाला है। येसु स्वयं डंडे पर लगाये गये सांप की याद करते और इसकी तुलना अपने आप से करते हैं। इसे और अच्छी तरह समझने के लिए हमें येसु की भविष्यवाणी को समझने की जरूरत है जिन्होंने कहा था कि वे डंडे पर लगे सांप की तरह, पुराने सांप के साथ उठाये जायेंगे।भविष्यवाणी का केंद्रविन्दु यही है कि येसु स्वंय हमारे लिए पाप बन गये। उन्होंने पाप नहीं की थी किन्तु अपने आपको पाप बनाया। जैसा कि संत पेत्रुस अपने पत्र में कहते हैं, उन्होंने हमारे सभी पापों को अपने ऊपर लिया, अतः जब हम क्रूस पर नजर डालते हैं, तब हम प्रभु की याद करें कि उन्होंने दुःख सहा और यह सच्चाई है किन्तु संत पापा ने कहा कि उस सच्चाई के केंद्र तक पहुँचने के लिए हम एक क्षण रूकें। इस तरह हम अपने को एक बड़े पापी के रूप में पायेंगे। हमने पाप किया किन्तु उन्होंने हमारे पापों को अपने ऊपर ले लिया...
उस समय सहिंता के पंडितों में उनके प्रति प्रतिशोध की भावना थी। वे उन्हें नहीं चाहते थे, यह सच है किन्तु सच्चाई जो ईश्वर से आती है वह यह है कि वे हमारे पापों को अपने ऊपर लेने के लिए इस दुनिया में आये और इसके लिए वे खुद पाप बन गये...हमारा पाप उनपर है।

चिंतन करना, प्रार्थना करना, धन्यवाद देना
संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तियों को एक आदत बनानी चाहिए कि वे इसी आलोक में क्रूस को देखें, मुक्ति के आलोक में और उस याद के रूप में कि येसु दुःख सहने और मरने का बहाना नहीं किये। उन्होंने अकेले ही हम सभी के पापों के भार को अपने ऊपर लिया। इसके लिए उन्होंने अपने आपको खत्म कर दिया और अपने पिता द्वारा भी त्याग दिये गये महसूस किये। इसको समझना आसान नहीं है और यदि हम इसकी कल्पना करें तो भी कभी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पायेंगे। हम केवल चिंतन कर सकते हैं, प्रार्थना कर सकते हैं और धन्यवाद दे सकते हैं।

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