मजबूरी का सफर

 लॉकडाउन के कारण पैदल घर लौट रहे लोग लॉकडाउन के कारण पैदल घर लौट रहे लोग

कोरोना के संक्रमण को लेकर सबसे अधिक मार मजदूरों पर पड़ रही है। वे अपने गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश सहित बड़े शहरों में मजदूरी के लिए रहने लगे थे। लेकिन लॉक डाउन के बाद उनकी मजदूरी छिन गई। वे राशन के लिए मोहताज हो गए तो अपने गांवों की तरफ उन्होंने पलायन करना शुरु कर दिया।जिसको जो साधन मिल रहे हैं, उससे वे अपने घरों तक पहुंच रहे हैं। जिन्हें कोई साधन नहीं मिल पा रहे तो वे साइकल से तो कहीं पैदल ही जा रहे हैं। जिला भाजपा कार्यालय में सोमवार को भी ऐसे लोगो की सेवा की गई। वहीं सामान खरीदी के लिए लोग सुबह 6 से 11 बजे तक ही घरों से बाहर निकल सकेंगे। इसमें उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करते रहना होगा। वहीं कलेक्टोरेट में पहुंचने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जा रही है। वहां तैनात पुलिस कर्मी और कर्मचारियों द्वारा लोगों को दूर खड़े होने के लिए टोका जा रहा है। इसके अलावा सभी चेनल गेट बंद रखे जा रहे हैं। वहां कर्मचारी भी तैनात है।
किराएदारों से जबरन मकान खाली कराने पर कार्रवाई
नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव एवं नियंत्रण के लिए घोषित किए गए लॉकडाउन की अवधि में केन्द्र सरकार द्वारा कामगारों, छात्रों तथा श्रमिकों के लिए समुचित व्यवस्था किए जाने तथा उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाने के निर्देश दिए गए हैं। केन्द्र सरकार द्वारा उद्योगों, कंपनियों, व्यवसायिक संस्थानों के संचालकों को उनके यहां कार्यरत कर्मचारियों को लाॅकडाउन अवधि में बिना किसी कटौती के पूरा वेतन भुगतान किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। इसी प्रकार जो श्रमिक, कामगार किराए के मकानों में रहते हैं, उनसे लाॅकडाउन अवधि में किराया नहीं लेने के निर्देश मकान मालिकों को दिए गए हैं। यदि किसी मकान मालिक द्वारा छात्रों, कामगारों से मकान खाली कराया जाता है तो उसके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।

3 बेटियों को लेकर साइकिल से ही निकल पड़ा अरविंद
सागर निवासी अरविंद भोपाल में रहकर मजदूरी करने का करता है। लॉक डाउन से मजदूरी बंद हो गई। इसके चलते उसने अपने घर सागर के पास मालतोन गांव जाने का मन बना लिया। उसके साथ तीन बेटियों को भी साइकिल पर बैठाकर ले जा रहा था। उसे रोककर समाज सेवियों ने भोजन की व्यवस्था कराई। अरविंद ने बताया कि उसकी सबसे छोटी बेटी 4 साल की है जिसका नाम नैनसी है। मानवी 8 साल और जानवी 11 साल।

श्रम इंस्पेक्टर केएम खीची बोले- मंडीदीप में सिर्फ ही 43 मजदूर हैं
जिले के मंडीदीप औद्योगिक क्षेत्र में 650 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं। इस तरह से वहां प्रदेश सहित दूसरे प्रदेशों से बड़ी संख्या में मजदूर काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण उनकी मजदूरी बंद हो गई। वहां के जिम्मेदार लेवर इंस्पेक्टर केएम खीची के मुताबिक उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र का सर्वे किया है। वहां बाहर के महज 42 और 1 से 2 मजदूर मंडीदीप के हैं। जबकि प्रशासन बड़ी संख्या में मजदूरों के लॉकडाउन में फंस जाने के कारण उन्हें हर तरह से इस बात का विश्वास दिलाने में लगा है कि कहीं जाने की जरुरत नहीं है। इसको लेकर कलेक्टर उमाशंकर भार्गव द्वारा सोमवार को मंडीदीप में उद्योगपतियों के साथ बैठक कर मजदूरों को उनकी मजदूरी देने की बात कहीं है। इससे उन्हें आर्थिक कठिनाई न हो। मंडीदीप के औद्योगिक संस्थानों में 40 हजार कर्मचारी और 10 हजार से अधिक असंगठित मजदूर काम करते हैं। इनमें से कुछ लोग अपने घर जा चुके हैं। वहीं बड़ी संख्या में मजदूर बचे भी हुए हैं।

कोटा से आए 12 मजदूरों को क्वारेंटाइन में रखा
राजस्थान के कोटा में पत्थर खदानों मे काम करने वाले 12 मजदूर रायसेन अपने घर लौटे थे। लेकिन कोरोना के खतरे को देखते हुए उनका पहले स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। जिसमें वे सभी मजदूर सामान्य पाए गए। इसके बाद सभी को 14 दिनों तक क्वारेंटाइन सेंटर में ही रखा जाएगा।

आवाजाही पर प्रतिबंध
सरकार के निर्देशों के बाद अब जिले में लोगों को आवाजाही को रोकने के लिए सख्ती से काम किया जा रहा है। अब न तो जिले के लोगों को बाहर जाने दिया जाएगा। न ही जिले के सीमा में प्रवेश करने दिया जाएगा। जो लोग जिले में आए बाहर से आए हुए हैं उन्हें 14 दिनों तक क्वारेंटाइन किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

गुजरात से भोपाल आईं, वहां से पैदल रायसेन तक आईं
समय दोपहर के 1:30 बजे हैं तेज धूप में अपने सिर पर वजनी थैले रखकर सुनीता अपनी मां और बेटी के साथ पैदल ही जा रहीं थी। जिला भाजपा कार्यालय में सेवा कर रहे सेवकों ने उन्हें रोका और अंदर ले आए। इसके बाद उन्हें भोजन कराया। सुनीता ने बताया कि वे गुजरात में मजदूरी करती हैं। परिवार के कुछ लोग पहले आ गए। गुजरात से तो उन्हें भोपाल छुड़वा दिया गया। भोपाल से उन्हें रायसेन के आने के लिए कोई साधन नहीं मिल पाया। इसलिए भोपाल से अपनी मां और बेटी के साथ सुनीता ने पैदल ही रायसेन के लिए चल दिया। वे रायसेन के बिलारा गांव की रहने वाली हैं।

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