दुर्बलता और सामर्थ्य

Pastor Nick Vujicic Is Living His Best Life Without LimbsPastor Nick Vujicic Is Living His Best Life Without Limbs

मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि तुम्हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।2 कुरिन्थियों 12:9 ईश्वर का प्रेम इतना सच्चा है कि इसे साबित करने के लिए उसने तुम्हे बनाया है। ये वाक्य निक व्युजेसिक के हैं। 4 दिसंबर 1982 को ऑस्ट्रेलिया में निक का जन्म हुआ। जन्म से ही उनके दोनोंहाथ और पैर नहीं थे। पैर की जगह पर एक छोटा-सा पंजा (उंगलियां भर) था। करोड़ों में कोई एकमामला ऐसा होता है। माता-पिता ने जब बिना हाथ-पैर वाला बच्चा देखा तो बेहद हताश हो गए। यहां तक कि निक की मां ने उन्हें करीब 4 महीने बाद गोद में उठाया। निक की मां नर्स थीं और प्रेग्नेंसी मेंउन्होंने अपना पूरा ध्यान रखा था। निक की शारीरिक कमी के लिए उनकी मां खुद को ही दोषी मानतीथीं। माता-पिता दोनों सोचते रहते थे कि उनके साथ ही ऐसा क्यों हुआ? जिंदगी के शुरुआती दिन निक के लिए बहुत मुश्किल वाले थे| रोजाना के काम से लेकर पढ़ाई-लिखाई तक में दिक्कतें थीं, खेल-कूद तो दूर की बात थी। हताश होकर निक ने खुदकुशी की भी सोची। 10 साल की उम्र में उन्होंने खुद को बाथ टब में डुबोने की कोशिश की, लेकिन किस्मत से बच गए। निक का कहना है कि मुझे उस वक्त लगता था कि मेरी जिंदगी बेमकसद है। जब मकसद और ताकत नहीं हो तो टिके रहना काफी मुश्किल होता है। लेकिन मां के लिखे एक लेटर ने उनकी सोच पूरी तरह बदल दी। उनकी मां का यह लेख एक अखबार में छपा था जो एक विकलांग शख्स की अपनी विकलांगता पर जीत की कहानी थी। निक उस वक्त करीब 13 साल के थे। उन्हें समझ आ गया कि दुनिया में विकलांगता से संघर्ष  करने वाले वह अकेले इंसान नहीं हैं। वे बताते हैं कि मुझे महसूस हुआ कि भगवान ने मुझे ऐसा दूसरों को उम्मीदें देने के लिए बनाया है। इस सोच से मुझे प्रेरणा मिली। फिर मैंने दूसरे लोगों का हौसला बढ़ाने और उनकी जिंदगी में रोशनी भरने को अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया। इसके बाद मैंने तय किया कि जो नहीं है उसे लेकर नाराज होने के बजाय मेरे पास जो कुछ है, मैं उसके लिए भगवान का शुक्रगुजार रहूंगा।वैसे, अपने माता-पिता की बदौलत ही वह फाइटर बन सके। पिता कंप्यूटर प्रोग्रामर औरअकाउंटंट थे। 18 महीने की उम्र में वह निक को पानी में छोड़ देते थे ताकि वह तैरना सीख सकें।उन्होंने निक को पंजे की मदद से टाइप करना सिखाया। निक उस वक्त करीब 6 साल के थे। मां ने प्लास्टिक का एक स्पेशल डिवाइस बनाया, जिसकी मदद से निक को पेन और पेंसिल पकड़ ना सिखाया। दिक्कतों के बावजूद पैरंट्स ने तय किया कि उन्हें स्पेशल स्कूल नहीं भेजना है। नॉर्मल बच्चों के साथ पढ़ाने का उनका फैसला मुश्किलों भरा था, क्योंकि स्कूल में बच्चे बुलिंग करते थे। लेकिन यह दांव आगे जाकर सही साबित हुआ। उन्होंने आम बच्चों की तरह काम करना शुरू किया। उन्होंने फुटबॉल और गोल्फ खेलना सीखा। धीरे-धीरे स्वीमिंग और सर्फिंग भी सीख ली। पंजे की मदद से वह शरीर को बैलेंस करते हैं और यही पंजा किक लगाने में मदद करता है। इसी छोटे-से पंजे से वह लिखते और टाइप भी करते हैं। 17 साल की उम्र में उन्होंने प्रार्थना सभा में जाकर व्याख्यान करना शुरू किया। 21 साल की उम्र में उन्होंने अकाउंटिंग और फाइनैंस में ग्रैजुएशन कर लिया। इसके बाद उन्होंने एक मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर अपना करियर शुरू किया।  धीरे-धीरे उन्हें दुनिया में ऐसे मोटिवेशन  स्पीकर के तौर पर जाना जाने लगा, जिसका खुद का जीवन चमत्कारिक है। निक बेहद पॉजिटिव सोच वाले शख्स हैं और खुशी और शांति को सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं। आज वे पूरी दुनिया को जिंदगी जीने का तरीका सिखा रहे हैं। निक ने दुनिया के 44 से ज्यादा देशों की यात्रा की है और वहां जाकर लोगों को सही तरीके से जिंदगी जीने की सीख दी है। वह कहते हैं किमैं लोगों से खुद से प्यार करने के लिए कहता हूं और गिर कर उठने के लिए प्रेरित करता रहता हूं। अगर मैंने जिंदगी में एक भी शख्स को प्रेरित कर दिया तो मेरी जिंदगी का मकसद पूरा हो गया। दोस्तों निक से हम बहुत कुछ सीख सकते है। वह हम सभी लिए प्रेरणा स्त्रोत है। जरा सोचिये हमें ईश्वर ने सब कुछ प्रदान किया है। विभिन्न प्रकार की प्रतिभाओं से वशीभूत किया है। फिर भी हम उन चीज़ो में केवल नकारात्मक चीज़ो को ही प्राथमिकता देते है। और अपनी प्रतिभाओं का उपयोग नहीं करते है। जीवन में सबको सबकुछ नहीं मिलता। ईश्वर ने सभी को अलग-अलग वरदानो से भरा है। हमें ध्यान देना चाहिए कि हम जैसे भी है ईश्वर के प्रिय के प्रिय पुत्र-पुत्रियाँ है। और ईश्वर ने हमारी रचनाकिसी ख़ास मकसद से की है। ईश्वर हमसे कहता है कि -मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकिहमारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।अगर आपमें किसी चीज़ का अभाव हो तो आप ईश्वर से जुड़ जाए और ईश्वर उस कमी को पूरा कर देगा। और आप ईश्वर के साथ नई सृष्टि बन जाएंगे। इसलिए आज से आप अपनी कमियों के लिए खुदको कोसना बंद करे और ईश्वर पर भरोसा रख कर जीवन में आगे बढ़ते जाए।

Add new comment

1 + 1 =