हम प्रेम का चुनाव करें, संत पापा

इटली के बारी मेें संत पापा फ्रांसिस

इटली के बारी में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान 7वें सामान्य रविवार के पाठों के आधार पर संत पापा फ्रांसिस ने अपने प्रवचन में प्रेम का चुनाव करने हेतु ईश्वरीय कृपा के लिए प्रार्थना करने का आहृवान किया।संत पापा फ्रांसिस ने इटली के बारी में भूमध्यसागरीय प्रांतों के धर्माध्यक्षों से मुलाकात के उपरांत मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए शांति और प्रेम की स्थापना हेतु प्रार्थना की।अपने मिस्सा बलिदान के उपदेश में उन्होंने कहा कि येसु “प्राचीन संहिता”, “आंख के बदले आंख और दांत के बदले दांत” से परे जाते हैं, जो एक प्रगति को दर्शता है जहाँ हमें बदले का भावना से ऊपर उठने का निमत्रंण दिया जाता है। हिंसा को नहीं कहते हुए येसु हमें इससे परे जाने का आहृवान करते हैं।

पिता का प्रेम
संत पापा ने कहा कि येसु के शब्दों का अर्थ यह नहीं कि हिंसा अभ्यास करने से दुष्ट हमारी बुराई करेंगे। बल्कि प्राचीन संहिता से परे जाने का अर्थ हमारे लिए यही है कि पिता ईश्वर हम सभों को प्रेम करते हैं यद्यपि हम उन्हें प्रेम न भी करें। उन्होंने कहा कि येसु ख्रीस्त अपनी शिक्षा को स्वयं जीते हैं, “उन्हें क्रूस के घोर दुःख में भी अपने शत्रुओं की बुराई नहीं की बल्कि अपनी बाहों को फैलाकर उनका आलिंगन किया।”

येसु ख्रीस्त के वचन अपने में स्पष्ट और प्रत्यक्ष हैं वे ख्रीस्तियों के लिए जो अपने को उनके अनुयायी कहते हैं “एकमात्र राह” है। “लेकिन मैं तुम से कहता हूँ, अपने शत्रुओं से प्रेम करो”। उनके वचन संकल्पित और ठोस हैं। उनका प्रेम हमारे लिए असीमित है जहाँ हमारे लिए कोई भेदभाव नहीं है। संत पापा ने कहा कि कितनी बार हमने इस मांग को पूरा नहीं किया है और दूसरों के समान व्यवहार किया है। ख्रीस्तियों के लिए केवल एक ही चरमपंथ की अनुमति दी जाती है और वह है “करूणा का चरमपंथ” जिसकी मांग येसु ख्रीस्त हम सभों से करते हैं।

प्रेम करने हेतु सीखने के लिए प्रार्थना
संत पापा ने इस बात को स्वीकार किया की येसु की तरह प्रेम करना हमारे लिए कठिन है। फिर भी, यदि यह अंसभव होता तो वे हमसे इस तरह का प्रेम करने की मांग नहीं करते। “हमारे स्वयं के प्रयास से यह कठिन है, यह कृपा है जिसकी मांग हमें करने की जरुरत है”। दूसरी चीजों की प्राप्ति हेतु प्रार्थना करने के साथ-साथ हमें प्रेम करने हेतु सीखने के लिए प्रार्थना करने की जरुरत है। हमें सुसमाचार के सार को अपने जीवन में जीने हेतु निरंतर प्रार्थना करने की जरुरत है। “जीवन के अंत में हमारा न्याय प्रेम के आधार पर किया जायेगा”। (क्रूस के संत योहन)

प्रेम का चुनाव करें
संत पापा ने अपने प्रवचन की इति करते हुए कहा, “आज हम प्रेम का चुनाव करें, हम अपने लिए ईश्वर की चुनौती को स्वीकार करें जो प्रेम करने की चुनौती है। इस तरह हम अपने में सच्चे ख्रीस्तीय बन पायेंगे और दुनिया के लिए अच्छे मानव”।

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