सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर सन्त पिता फ्राँसिस !

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पिता फ्राँसिस 19 से 26 नवम्बर तक थायलैण्ड तथा जापान की सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा पर हैं।

संत पिता फ्राँसिस ने अपनी एशियाई प्रेरितिक यात्रा के पूर्व जापान के लोगों को संबोधित करते हुए कहा- “सभी जीवन की रक्षा करें।”

सन्त पिता फ्राँसिस ने कहा,“आपका देश युद्ध से होने वाली पीड़ा से अच्छी तरह वाकिफ है। मैं आपके साथ मिलकर, प्रार्थना करता हूँ कि परमाणु हथियारों की विनाशकारी शक्ति को मानव इतिहास में फिर से न दुहराया जाए।” साथ ही उन्होंने कहा- “परमाणु हथियारों का उपयोग अनैतिक है।”

सन्त पिता फ्राँसिस अभी अपनी थाईलैंड और जापान की यात्रा पर है। थाईलैंड का छठा और जापान का सातवां एशियाई देश होगा, जहां वे जाएंगे।

 

जापान की यात्रा

जापान में अपनी पहली बैठक में, सन्त पिता फ्राँसिस ने जापान के छोटे कैथोलिक समुदाय को जीवन की रक्षा करने और दया के सुसमाचार की घोषणा करके प्रभु को रोजाना गवाही देने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

यात्रा के पूर्व थाईलैंड एवं जापान के लोगों से संत पापा की आशा

संत पापा फ्राँसिस ने थाईलैंड एवं जापान के लिए प्रस्थान करने के पूर्व एक ट्वीट प्रेषित कर वहाँ के लोगों को प्रार्थना के लिए प्रेरित किया। अपनी यात्रा के पूर्व सन्त पिता फ्राँसिस ने माँ मरियम से प्रार्थना की।

 

शांति और समझ को बढ़ावा देने हेतु संत पापा की थाईलैंड यात्रा

संत पापा फ्राँसिस की 32 वीं विदेश यात्रा का पहला चरण थाईलैंड है। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय द्वारा 1984 में देश का दौरा करने के बाद वे दूसरे सन्त पिता है जो 20 से 23 नवम्बर तक थाईलैंड का दौरा कर रहे है।

धर्माध्यक्ष थान्या-आन ने कहा कि यद्यपि यह एक बौद्ध देश है, थाईलैंड स्वतंत्रता की भूमि है जहां लोग एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और एक साथ रहते हैं, जिसमें राष्ट्र के दक्षिण में मुस्लिम भी रहते हैं।

 

शांति की सेवा में सम्वाद नितान्त आवश्यक

बैंककॉक में गुरुवार को सन्त पिता फ्राँसिस ने शहर के वत रक्षाभोपित सतहित सिमरन बौद्ध मन्दिर में थायलैण्ड के बौद्ध परमगुरु सोमदेज फ्रा महामुनीवॉन्ग से मुलाकात कर थायलैण्ड के ख्रीस्तीयों एवं बौद्ध धर्मानुयायियों के बीच परस्पर सम्वाद की आवश्यकता पर बल दिया।

 

युवाओं से चलते रहने का आग्रह

स्पानी भाषा में प्रेषित अपने विडियो सन्देश में सन्त पिता फ्राँसिस ने कहा, "चलते रहना एवं प्रार्थना करना दोनों ही बड़े सुन्दर काम हैं। युवाओं को हमेशा चलते रहना चाहिये, उन्हें ईश्वर के समक्ष अपने हृदय के द्वारों को खोल देना चाहिये जो चलते रहने की शक्ति प्रदान करते हैं।"

 

थाईलैंड में सन्त पिता फ्राँसिस, न्याय और सद्भाव में रहने की प्रतिबद्धता

सन्त पिता फ्राँसिस ने थाईलैंड के सरकारी प्रतिनिधियों, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं, राजनयिकों और नागर समाज के प्रतिनिधियों को अपना पहला आधिकारिक संदेश दिया। अन्य बातों के अलावा, सन्त पिता फ्राँसिस ने उन्हें याद दिलाया कि किसी भी व्यक्ति द्वारा सामान्य भलाई के कार्यों को करना संभ्रांत कार्यों में से एक है।

 

अंतरधार्मिक संवाद

सन्त पिता फ्राँसिस ने कहा कि वे सर्वोच्च बौद्ध धर्मगुरु के साथ "दोस्ती और परस्पर संवाद को बढ़ावा देने के महत्व और तात्कालिकता के संकेत" के रूप में अपनी बैठक की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने थाईलैंड के "छोटे लेकिन जीवंत काथलिक समुदाय" की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जो हमें हमारे कई भाइयों और बहनों के क्रंदन के प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रेरित करता है, जो गरीबी, हिंसा और अन्याय के संकटों से मुक्त होने के लिए तरस रहे हैं।"

 

थाईलैंड के काथलिक एवं बौद्ध एक अच्छे पड़ोसी

थाईलैंड में अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन सन्त पिता फ्राँसिस ने बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू से मुलाकात की तथा शांति की सेवा में खुली और सम्मानपूर्ण वार्ता के प्रति कलीसिया के समर्पण को सुदृढ़ किया। मुलाकात गुरुवार को बैंकॉक के बौद्ध मंदिर में सम्पन्न हुई। बौद्ध सर्वोच्च धर्मगुरू को सम्बोधित करते हुए सन्त पिता फ्राँसिस ने इस बात की पुष्टि की कि उनकी मुलाकात एक सम्मानपूर्ण यात्रा एवं आपसी पहचान का हिस्सा है जिसकी शुरूआत उनके उत्तराधिकारी ने की थी।

 

येसु के सवाल, नवीनता के स्रोत

सन्त पिता फ्राँसिस ने थाईलैंड की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान बैंकॉक के राष्ट्रीय खेल मैदान में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए येसु के सावल, कौन है मेरी माता और कौन हैं मेरे भाई, पर चिंतन किया।

 

संत लुईस अस्पताल में सन्त पिता फ्राँसिस का दौरा और उनका संदेश

सन्त पिता फ्राँसिस ने थाईलैंड की प्रेरितिक यात्रा में 21 नवम्बर को बैंकॉक स्थित संत लुईस अस्पताल का दौरा किया। अस्पताल के करीब 700 कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए सन्त पिता फ्राँसिस ने कहा, "मैं आपसे मुलाकात करने का अवसर पाकर खुश हूँ। इस मूल्यवान सेवा को अपनी नजरों से देखना मेरे लिए एक कृपा है जिसको कलीसिया थाई लोगों को प्रदान कर रही हैं, विशेषकर, आवश्यकता में पड़े लोगों को।" 

 

शोषण एवं हिंसा को थाय समाज से उखाड़ फेंकने का आग्रह

सेन्ट पीटर्स पल्ली के गिरजाघर में सन्त पिता फ्राँसिस ने थाय काथलिक पुरोहितों, धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघियों को आशीर्वाद दिया तथा उन विश्वासियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की जिन्होंने अतीत में "निष्ठा और दैनिक प्रतिबद्धता की मूक शहादत" अर्पित की थी। बौद्ध बहुल थाय समाज से महिलाओं और बच्चों के शोषण को उखाड़ फेंकने के आग्रह किया। बैंककॉक के राष्ट्रीय स्टेडियम में लगभग 60,000 काथलिक विश्वासियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पण के अवसर पर प्रवचन करते हुए उन्होंने राष्ट्र में कुख्यात कथित यौन पर्यटन और उससे जुड़ी दासता, हिंसा एवं दुराचार की कड़े शब्दों में निन्दा की।

 

विश्वविद्यालयीन कुलपति, धर्माध्यक्ष द्वारा सन्त पिता का स्वागत

बैंककॉक के चूलालॉन्गकार्न विश्वविद्यालय में सन्त पिता फ्राँसिस ने थायलैण्ड के बौद्ध, ख्रीस्तीय एवं अन्य धर्मों के नेताओं से मुलाकात की तथा इन्हें अपना सन्देश दिया।

 

थाईलैंड के पुरोहितों व धर्मसमाजियों को सन्त पिता का संदेश

सन्त पिता फ्राँसिस ने थाईलैंड के साम फ्रान जिला स्थित संत पेत्रुस गिरजाघर में शुक्रवार को, वहाँ के पुरोहितों, धर्मसमाजियों, गुरूकुल छात्रों एवं प्रचारकों से मुलाकात की। सन्त पिता फ्राँसिस ने उनके साक्ष्यों एवं सेवाओं के लिए धन्यवाद दिया तथा उन्हें सम्बोधित कर कहा, "मैं विश्वास करता हूँ कि प्रत्येक की बुलाहट की कहानी उन लोगों के द्वारा प्रभावित है जिन्होंने पवित्र आत्मा की आग को खोजने और परखने में मदद दी। यह उचित और आवश्यक है कि हम उन्हें धन्यवाद दें। कृतज्ञता हमेशा एक शक्तिशाली उपकरण है। यदि हम उन रास्तों पर चिंतन कर पाते तथा ईश्वर के प्रेम, उदारता, एकात्मता, भरोसा, क्षमाशीलता, धैर्य, सहनशीलता और करुणा के लिए सच्चे रूप में कृतज्ञ हो पाते हैं, तब हम आत्मा को ताजगी प्रदान करने देते हैं, जो हमारे जीवन और मिशन को नवीकृत कर देता है।"

 

येसु में विश्वास की जड़ें मजबूत करें

सन्त पिता फ्राँसिस ने बैंकॉक के मरियम स्वर्गोरोहण महागिरजाघर में युवाओं के संग मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए उन्हें येसु ख्रीस्त में अपनी जड़ों को मजबूत करने का संदेश दिया। सन्त पिता फ्राँसिस ने बैंकॉक के मरियम स्वर्गोरोहण महागिरजाघर में युवाओं के संग ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

 

एफएबीसी और थाई धर्माध्यक्षों को सन्त पिता का संदेश

सन्त पिता फ्राँसिस ने बैंकॉक के सामप्रान स्थित धन्य निकोलस बंकरर्ड किटब्रामुंग तीर्थालय में थाईलैंड के धर्माध्यक्षों और एशिया के धर्माध्यक्षीय संघ के सम्मेलन (एफएबीसी) के धर्माध्यक्षों को संबोधित किया।

 

सन्त पिता फ्राँसिस की थाईलैंड यात्रा

सन्त पिता फ्राँसिस ने 22 नवम्बर को थाईलैंड में अपनी प्रेरितिक यात्रा का समापन किया। समापन के पूर्व उन्होंने वहाँ के पुरोहितों, धर्समाजियों, युवाओं एवं एशिया के धर्माध्यक्षों से मुलाकात की। सन्त पिता फ्राँसिस ने उन्हें प्रोत्साहन दिया कि जहाँ लोग केवल तिरस्कार, परित्यक्त एवं शारीरिक सुख की वस्तु के रूप में देखते हैं वे उनकी सुन्दरता को देखें। इस तरह वे इस भूमि में एक अभिषिक्त पवित्र व्यक्ति के रूप में सजीव एवं सक्रिय होकर, प्रभु की करूणा के ठोस चिन्ह बनेंगे।

 

परमाणु विरोधी सन्देश लिये जापान की ओर प्रस्थान

थायलैण्ड में अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न कर शनिवार को उन्होंने जापान का रुख किया है। थायलैण्ड तथा जापान में सन्त पिता फ्राँसिस की यह पहली तथा इटली से बाहर उनकी 32 वीं विदेश यात्रा है।

 

सन्त पिता फ्राँसिस जापान पहुँचे, कार्यक्रम की शुरूआत धर्माध्यक्षों के साथ

सन्त पिता फ्राँसिस थाईलैंड से विदा होकर 23 नवम्बर को जापान पहुँचे और इसी से उनकी 32वीं प्रेरितिक यात्रा के दूसरे भाग की शुरूआत हुई। वहाँ सन्त पिता फ्राँसिस का पहला कार्यक्रम है प्रेरितिक दूतावास में धर्माध्यक्षों से मुलाकात। जापान की प्रेरितिक यात्रा जो अगले 26 नवम्बर तक जारी रहेगी ।

 

जापान के धर्माध्यक्षों को सन्त पिता का संदेश

सन्त पिता फ्राँसिस ने जापान की राजधानी टोकियो स्थित प्रेरितिक राजदूतावास में जापान के सभी धर्माध्यक्षों से मुलाकात की और जापान के छोटी कथलिक समुदाय को जीवन की रक्षा और करुणा के सुसमाचार की घोषणा करके प्रभु का साक्षी बनने के लिए प्रोत्साहित किया। सन्त पिता फ्राँसिस ने उन्हें युवाओं एवं उनकी जरूरतों पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।

 

परमाणु हथियारों के उन्मूलन का सन्त पिता ने किया आह्वान

थायलैण्ड तथा जापान में अपनी सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दूसरे चरण में सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पिता फ्राँसिस शनिवार को जापान पहुँचे थे। रविवार का दिन वे जापान के नागासाकी तथा हिरोशिमा में व्यतीत कर रहे हैं जो, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम हमलों और उसके परिणामस्वरूप हुए नरसंहार का रंगमंच बने थे।

 

जापान के शहीदों के प्रति श्रद्धान्जलि

नागासाकी के एटोमिक बम हाईपो सेन्टर पार्क से केवल तीन किलो मीटर की दूरी पर स्थित निशिज़ाका पहाड़ी पर रविवार को सन्त पिता फ्राँसिस ने काथलिक धर्म के शहीदों के प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित की तथा कहा कि काथलिक शहीदों का साक्ष्य हमें अपने विश्वास में सुदृढ़ करता है।

 

नागासाकी शांति स्मारक में सन्त पिता का संबोधन

नागासाकी में शांति स्मारक की अपनी यात्रा के दौरान, सन्त पिता फ्राँसिस ने पुष्टि की कि परमाणु हथियारों के बिना एक दुनिया संभव है, लेकिन सहयोग, विश्वास, संवाद और प्रार्थना के माध्यम से सभी को शामिल करके।

सन्त पिता फ्राँसिस ने रविवार सुबह को नागासाकी में शांति स्मारक का दौरा किया।

सन्त पिता फ्राँसिस ने स्मारक के तल पर फूल चढ़ाया और कहा, “यह जगह हमें उस दर्द और आतंक के बारे में गहराई से अवगत कराती है, जिसे हम इंसान एक-दूसरे पर चोट पहुंचाने में सक्षम हैं। हाल ही में नागासाकी के महागिरजाधर में पाये गये क्षतिग्रस्त क्रूस और माता मरियम मूर्ति ने बमबारी के पीड़ितों और उनके परिवारों की अकथनीय वेदना को एक बार फिर से याद दिलाया।”

 

शहीद स्मारक पर सन्त पिता का संदेश

जापान की प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन 23 नवम्बर को सन्त पिता फ्राँसिस ने नागासाकी के निशिजाका पहाड़ी पर स्थापित शहीद स्मारक को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा, "मैंने इस पल का बहुत इंतजार किया है। मैं यहाँ एक तीर्थयात्री के रूप में प्रार्थना करने आया हूँ, आपके विश्वास को सुदृढ़ करने और उन भाई बहनों के विश्वास से पुष्ट होने जिन्होंने अपने साक्ष्य और भक्ति से हमारी राह पर दीपक जलाया है। आप सभी के स्वागत के लिए धन्यवाद।"

 

हिरोसिमा के शांति स्मारक पर सन्त पिता का संदेश

सन्त पिता फ्राँसिस ने 24 नवम्बर को जापान के हिरोसिमा शांति स्मारक स्थल पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित किया तथा कुछ क्षण मौन प्रार्थना करने के बाद उपस्थित लोगों को शांति का संदेश दिया।

सन्त पिता फ्राँसिस 26 नवम्बर को अपनी थायलैण्ड तथा जापान की सात दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न करेंगे।

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