सन्त योसफ की प्रतिमा के निकट ख्रीस्तयाग

सन्त योसफ की प्रतिमा के निकट ख्रीस्तयागसन्त योसफ की प्रतिमा के निकट ख्रीस्तयाग

वाटिकन के सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को सन्त योसफ की उसी प्रतिमा के निकट ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसके निकट 64 वर्ष पूर्व तत्कालीन सन्त पापा पियुस 12 वें ने ख्रीस्तयाग अर्पित किया था।  

पियुस 12 वें की तरह सन्त पापा फ्राँसिस
प्रतिवर्ष पहली मई को कलीसिया श्रमिकों के संरक्षक सन्त योसफ का पर्व मनाती है। इस विशिष्ट अवसर पर सन्त पापा ने इटली के मिलान शहर से लाई गई सन्त योसफ की उसी प्रतिमा के निकट ख्रीस्तयाग अर्पित किया जिसके निकट सन् 1956 ई. में सन्त पापा पियुस 12 वें ने किया था। सन्त योसफ के पर्व पर सन्त पापा फ्राँसिस ने सभी श्रमिकों के लिये प्रार्थना की जो कोरोना वायरस की वजह से अपनी मज़दूरी नहीं कमा पा रहे हैं।
मिलान से रोम
ग़ौरतलब है कि सन्त योसफ की प्रतिमा गुरूवार को मिलान से रोम लाई गई थी तथा सन्त मर्था आवास के प्रार्थनालय में प्रतिष्ठित की गई थी। इसी प्रकार, सन् 1956 ई. में भी सन्त पापा पियुस द्वारा आशीष के लिये इस प्रतिमा को मिलान से रोम लाया गया था। सन्त पापा पियुस द्वारा ही 1955 ई. में प्रभु येसु के पालक पिता सन्त योसफ मज़दूरों के संरक्षक सन्त घोषित किये गये थे तथा पहली मई का दिन सन्त योसफ मज़दूर को समर्पित रखा गया था।  

मूर्तिकार एनरिको नेल ब्रुनिंग द्वारा कांसे से बनी 150 से.मी. वाली योसफ की मूर्ति, इटली के ख्रीस्तीय श्रमिकों के संघ "आकली" के सदस्यों द्वारा रोम लाई गई है। प्रतिमा को रोम लाते समय पत्रकारों से आकली के अध्यक्ष रोबेर्तो रोस्सी ने कहा, "महामारी की इस कठिन घड़ी में विश्व के समस्त श्रमिकों द्वारा सहे जा रहे संकट को दृष्टिगत रख सन्त पापा फ्राँसिस के पास इस मूर्ति को लाया गया है ताकि कोई भी श्रमिक अधिकारों से वंचित नहीं रहे तथा प्रत्येक श्रमिक वर्ग स्वतंत्रता,  रचनात्मकता, भागीदारी तथा एकात्मता का एहसास पा सके।"

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