संत पापा ने कठिनाई में पड़े परिवारों व श्रमिकों के लिए फंड की स्थापना की

रोम का एक गिरजाघर रोम का एक गिरजाघर

"येसु दिव्य श्रमिक फंड" का उद्देश्य है रोम धर्मप्रांत के उन परिवारों एवं मजदूरों की मदद करना है जिन्होंने कोविड-19 संकट में अपनी जीविका खो दी है और आर्थिक संकट में हैं।

संत पापा फ्राँसिस ने कठिनाई में पड़े परिवारों एवं मजदूरों की मदद हेतु एक फंड की स्थापना की है। इस फंड का नाम "येसु दिव्य श्रमिक" रखा गया है जिसके द्वारा महामारी से प्रभावित कमजोर परिवारों एवं लोगों को सहायता प्रदान किया जाएगा।

रोम के विकर कार्डिनल दी दोनातिस को प्रेषित एक पत्र में संत पापा फ्राँसिस ने लिखा है, "रोम के धर्माध्यक्ष के रूप में मैंने "येसु दिव्य श्रमिक फंड" की स्थापना करने का निर्णय लिया है जिससे कि एक मिलियन यूरो प्रदान कर काम की प्रतिष्ठा को सुदृढ़ किया जा सके।"

9 जून को प्रेषित पत्र में संत पापा ने बतलाया है कि फंड की स्थापना उन लोगों को मदद देने के लिए किया गया है जिन्होंने कोरोना वायरस महामारी के कारण अपनी नौकरी और जीविका खो दी है, खासकर, यह उन लोगों के लिए है जिन्हें संस्थागत संरक्षण से वंचित होने का खतरा है और जिन्हें सामान्य स्थिति में वापस आने के लिए समर्थन की आवश्यकता है।

संत पापा ने कुछ दिनों पहले ही कोविड-19 के बाद की स्थिति एवं सामाजिक परिणामों पर ध्यान देने हेतु आयोग का गठन किया। इस बार उनका ध्यान अपने धर्मप्रांत रोम पर टिका है। उन्होंने कहा, "हम देख रहे हैं कि कई लोग सहायता की मांग कर रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि पाँच रोटी एवं दो मच्छली पर्याप्त नहीं है।" 

जोखिम में पड़े लोगों के लिए
संत पापा ने कहा कि वे उन लोगों की चिंता कर रहे हैं जो तिहाड़ी मजदूर हैं, अस्थायी अनुबंध पर काम करते हैं, जिन्हें घंटे के हिसाब से मजदूरी दी जाती है, घरेलू कामकाजी, छोटे उद्योगों के श्रमिक और स्व-नियोजित श्रमिक हैं जिनपर महामारी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने गौर किया है कि बहुत सारे माता-पिता हैं जो अपने बच्चों के लिए खाना एवं मौलिक आवश्यकता की वस्तुएँ भी उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं।  

रोम शहर के लिए एक अनुबंध
संत पापा ने लिखा है कि "येसु दिव्य श्रमिक फंड उनके लिए स्थापित है किन्तु न केवल उनके लिए बल्कि हम सभी के लिए, संस्थाओं के लिए जो आह्वान करती है कि हम अपना सहयोग दें।" संत पापा की उम्मीद है कि यह रोम शहर के लिए एक वास्तविक अनुबंध बन जायेगा जिसमें हरेक व्यक्ति संकट के बाद समुदाय के पुनर्निर्माण में नायक बन सकेगा है।

"यह एक चिन्ह है जो भली इच्छा रखने वाले सभी लोगों से अपील करती है कि वे समावेश का ठोस भाव प्रकट करें, विशेषकर, जो सांत्वना, आशा और अपने अधिकार की मान्यता की खोज कर रहे हैं। सभी संस्थानों एवं नागरिकों का आहवान करते हुए संत पापा ने कहा है कि वे अपने पास जो है उसमें से असाधारण और जरूरत के इस समय में उदारता पूर्वक दूसरों को दान करें।   

उन्होंने पुरोहितों से अपील की है कि वे फंड के पहले अनुदाता बनें तथा अपने समुदाय में दान करनेवालों के उत्साही समर्थक बनें।

महामारी के दौरान धर्मप्रांत के कार्यों की सराहना
संत पापा ने रोम धर्मप्रांत के कार्यों के लिए अपनी सराहना एवं कृतज्ञता व्यक्त की है विशेषकर, इस समय में जब बहुत सारे लोग मदद की मांग कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि पाँच राटियाँ और दो मछलियाँ काफी नहीं हैं।

संत पापा ने गौर किया कि अनेक नागरिकों ने कमजोर लोगों की मदद करने के लिए अपना उदार हाथ बढ़ाया है और बीमार तथा गरीब लोगों के लिए दान बढ़ गया है।

संत पापा ने उन लोगों को भी धन्यवाद दिया है जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान डॉक्टरों एवं स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोत्साहन देने के लिए अपनी खिड़कियों और बालकोनी से ताली बजाकर, गाना गाकर और संगीत सुना कर समुदाय का निर्माण किया है एवं बहुत सारे लोगों को अकेलापन से बाहर निकलने में मदद दिया है।  

उन्होंने कहा कि ये सभी समुदाय की गहरी चाह को दर्शाता है तथा सार्वजनिक कल्याण के लिए एक साथ काम करने की मांग करता है।

दूसरी ओर कार्डिनल दी दोनातिस ने भी संत पापा के प्रति पूर्ण कृतज्ञता व्यक्त की है जिन्होंने धर्मप्रांतीय फंड की स्थापना की है और उसके लिए संस्थानों के साथ अपने योगदान का आश्वासन दिया है। 

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