येसु, मरिया व जोसेफ के समान परिवार में एक-दूसरे का सहयोग करें

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 29 दिसम्बर को, पवित्र परिवार के पर्व के दिन, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा।
निश्चय ही, आज एक सुहावन दिन है... आज हम नाजरेथ के पवित्र परिवार का पर्व मनाते हैं। "पवित्र" शब्द इस परिवार को पवित्रता की उस पृष्टभूमि में रखता है कि यह ईश्वर का वरदान है किन्तु साथ ही साथ, यह मुफ्त और ईश्वर की योजना का जिम्मेदार अनुपालन भी है। नाजरेथ के परिवार के लिए ऐसा ही हुआ, यह पूरी तरह ईश्वर की इच्छा के लिए तत्पर था।

संत पिता ने पवित्र परिवार की पहली सदस्य मरियम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम मरियम के लिए कैसे विस्मित हुए बिना रह सकते, जो पवित्र आत्मा के प्रति दीन बनी रही, जिसको उन्होंने येसु की माता बनने के लिए चुना था? मरियम दूसरी युवतियों की तरह अपने समय में, अपने जीवन की योजना को समझने का प्रयास कर रही थी अर्थात् जोसेफ के साथ विवाह करने के लिए। किन्तु जब उसने महसूस किया कि ईश्वर उन्हें एक विशेष मिशन के लिए बुला रहे हैं तब उन्होंने अपने आपको दासी घोषित करने से नहीं हिचकिचाया। (लूक. 1:38) येसु उनकी महानता की प्रशंसा, अपनी माता से बढ़कर ईश्वर के प्रति आज्ञाकारी होने में करते हैं। "धन्य हैं वे जो ईश्वर के वचन को सुनते और उसका पालन करते हैं।" (लूक. 11:28)
मरियम इस बात को पूरी तरह समझ भी नहीं पायी थी किन्तु इसके लिए अपने आपको समर्पित कर दिया। उन्होंने मौन रूप से चिंतन किया और ईश्वर की योजना से प्रेम किया। क्रूस के नीचे उनकी उपस्थिति उनके पूर्ण समर्पण को दर्शाता है।

संत पिता ने जोसेफ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जोसेफ की आज्ञाकारिता के बारे सुसमाचार में कोई बात नहीं कही गयी है। वे बोलते नहीं किन्तु आज्ञापालन द्वारा कार्य करते हैं। वे मौन और आज्ञापालन के व्यक्ति हैं। आज का सुसमाचार (मती. 2,13-15.19-23) मिस्र देश की ओर पलायन तथा इस्राएल देश में वापसी को दिखलाते हुए संत जोसेफ के आज्ञापालन को तीन बार याद दिलाता है। स्वर्गदूत के द्वारा ईश्वर के मार्गदर्शन में जोसेफ, अपने परिवार को हेरोद के भय से दूर रखता और उसे बचाता है। इस प्रकार पवित्र परिवार की विश्व के उन सभी परिवारों के साथ एकात्मता है जो परदेश जाने के लिए मजबूर हैं, जो दबाव, हिंसा और युद्ध के कारण अपनी भूमि छोड़ने के लिए विवश हैं।

पवित्र परिवार के तीसरे व्यक्ति येसु पर प्रकाश डालते हुए संत पिता ने कहा, "वे पिता की इच्छा हैं। संत पौलुस कहते हैं, "ईश्वर के पुत्र ईसा मसीह में कभी "हाँ" और कभी "नहीं" जैसी बात नहीं है। उनमें सिर्फ हाँ है।" ( 2 कोर. 1:19) यह पृथ्वी पर उनके जीवन में कई बार प्रकट होता है। इसका उदाहरण हम, मंदिर की घटना में पाते हैं जब माता –पिता उन्हें बड़ी व्यकुलता से खोज रहे थे तब येसु ने उनसे कहा था, "मुझे ढूँढ़ने की जरूरत क्या थी, क्या आप यह नहीं जानते थे कि मैं निश्चय ही अपने पिता के घर होऊँगा।" (लूक. 2,49) उन्होंने कई बार दुहराया था कि "जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्छा पर चलना और उसका कार्य पूरा करना, यही मेरा भोजन है। (यो. 4:34) जैतून बाग में प्रार्थना करते समय भी उन्होंने यही बात कही, "मेरे पिता यदि यह प्याला मेरे पिये बिना नहीं टल सकता, तो तेरी इच्छा पूरी हो।" (मती. 26,42) ये सभी घटनाएँ ख्रीस्त के उन शब्दों के साक्षात् उदाहरण हैं जो कहते हैं, "तूने न तो यज्ञ चाहा और न चढ़ावा ... इसलिए मैंने कहा ... ईश्वर मैं तेरी इच्छा पूरी करने आया हूँ।"(इब्रा. 10: 5-7; स्तोत्र 40: 7-9)

संत पिता ने कहा, "मरियम, जोसेफ एवं येसु से बना, नाजरेथ का पवित्र परिवार, पिता की योजना के मौखिक प्रत्युत्तर को दर्शाता है। वे एक साथ प्रार्थना किये, काम किये और एक-दूसरे से जुड़े रहे।

संत पिता ने प्रश्न किया कि क्या आप अपने परिवार में एक-दूसरे से मिल-जुलकर रहना जानते हैं अथवा, क्या आप भी उन बच्चों के समान हैं जो खाने की मेज पर अपने-अपने मोबाईल फोन में चैट करने में व्यस्त रहते हैं?" उस खाने की मेज पर मौन होता है मानो कि मिस्सा चल रहा हो ... क्योंकि वे आपस में बातचीत नहीं करते। संत पिता ने सलाह दी कि हमें अपने परिवारों में माता-पिता, बच्चों, दादा-दादी और भाईबहनों से बातचीत करनी चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है, खासकर, पवित्र परिवार के पर्व के दिन। पवित्र परिवार हमारे परिवारों का आदर्श बने ताकि माता-पिता एवं बच्चे परिवार की पवित्रता के आधार सुसमाचार के अनुसार एक-दूसरे को सहयोग दे सकें।

माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए संत पापा ने कहा, "हम माता मरियम ‘परिवार की रानी’ विश्व के सभी परिवारों, विशेषकर, जो पीड़ित हैं या कठिनाई में हैं उनपर उनके ममतामय सुरक्षा की कामना करते हैं।"

इतना कहने के बाद संत पिता फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने सोमालिया में आतंकी हमले में मारे गये लोगों के लिए प्रार्थना की और उनके परिवार के सदस्यों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रकट किया।

तत्पश्चात् उन्होंने देश-विदेश से एकत्रित सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों तथा पल्ली दलों, संगठनों और युवाओं का अभिवादन किया। संत पापा ने पवित्र परिवार दिवस के उपलक्ष्य में सभी परिवारों का विशेषरूप से अभिवादन किया। उन्होंने कहा, "आज मैं यहाँ उपस्थित परिवारों और जो दूरदर्शन तथा रेडियो आदि माध्यमों द्वारा इसमें भाग ले रहे परिवारों का विशेष रूप से अभिवादन करता हूँ। परिवार बहुमूल्य खजाना है। हमें हमेशा इसका समर्थन करना एवं इसकी रक्षा करनी चाहिए।"

अंत में, संत पिता ने शुभ रविवार एवं साल के शांतिपूर्ण समापन की मंगलकामना की। उन्होंने कहा, "हम इस साल का समापन शांति पूर्वक करें, हृदय की शांति के साथ। मैं कामना करता हूँ कि परिवार में सभी के साथ बातचीत कर सकें।" उन्होंने शुभकामनाओं एवं प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद दिया और पुनः अपने लिए प्रार्थना जारी रखने का आग्रह किया।

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