महामारी के समय सन्त पापा ने किया शिक्षकों एवं छात्रों को याद

सन्त मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर  सन्त मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में शुक्रवार को ख्रीस्तयाग के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने सम्पूर्ण विश्व  के शिक्षकों एवं छात्रों का स्मरण किया जो कोविद महामारी के बाद बन्द स्कूलों के कारण कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

शिक्षकों एवं छात्रों के लिये प्रार्थना
पास्का पर्व के उपरान्त शुक्रवार को ख्रीस्तयाग शुरु करते हुए सन्त पापा ने कोविद महामारी से प्रभावित स्कूली जगत के प्रति अपने विचार अभिमुख किये और कहा, "आज हम शिक्षकों के लिए प्रार्थना करें, जिन्हें इंटरनेट और अन्य सम्प्रेषण माध्यम से शिक्षा प्रदान करने के लिये कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। साथ ही छात्रों के लिये भी हम प्रार्थना करें जो विपरीत परिस्थितियों में परीक्षाएँ देने के लिये बाध्य हैं। आइये अपनी प्रार्थनाओँ द्वारा हम उनका साथ दें।"

ख्रीस्तयाग प्रवचन में सन्त पापा ने सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित येसु द्वारा रोटी एवं मछलियों के गुणन की घटना पर चिन्तन किया। सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु प्रेरितों को परीक्षा में डालते हैं जो नहीं जानते कि किस प्रकार एकत्रित विशाल जनसमुदाय को भोजन कराया जाये।

मेषपाल रेवड़ की रक्षा करे
सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु जनसमुदाय के बीच रहना पसन्द करते थे, वे लोगों के सामीप्य की खोज में रहते थे तथा प्रेरितों को भी यही शिक्षा देते रहे थे कि वे मेषपालों के सदृश अपने रेवड़ के बीच रहें तथा उनकी रक्षा करें। इस तथ्य को सन्त पापा ने रेखांकित किया कि ईश प्रजा थका देनेवाली होती है, इसलिये कि वह अनवरत अपने मेषपालों से ठोस कार्यों की अपेक्षा करती है तथा मेषपालों का यह दायित्व होता है कि वे वह सबकुछ प्रदान करें जो ईश प्रजा उनसे चाहती है।
पुरोहित की प्रेरिताई है सेवा  
सन्त पापा ने कहा, प्रभु येसु प्रेरितों से कहते हैं, उन्हें खाने के लिये दो। उन्होंने कहा कि आज भी येसु सभी मेषपालों, सभी पुरोहितों से यही मांग करते हैं, अपने लोगों के बीच रहें, अपने लोगों की मांगें पूरी करें। आज भी पुरोहितों से यही अपेक्षा की जाती है कि वे लोगों के बीच रहें तथा येसु के सदृश ही उनके लिये पिता ईश्वर से प्रार्थना करें।  

सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि रोटी और मछलियों से तृप्त होने के बाद कई लोग येसु को अपना राजा घोषित करना चाहते थे और शायद कुछेक प्रेरित भी सत्ता हासिल करने के लिये स्थिति का लाभ उठाना चाहते थे, प्रलोभन में पड़ सकते थे। तथापि, सन्त पापा ने कहा, पुरोहितों को सदैव याद रखना होगा कि उनकी प्रेरिताई लोगों पर शासन करने की नहीं है अपितु लोगों की सेवा करने में है।

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