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"प्रार्थना द्वारा ईश्वर के प्यार का बीज बोया जाता है" पोप फ्रांसिस।
प्रार्थना और छोटी तपस्याएँ मौनरुप से दुनिया में ईश्वर के प्यार का बीज बोते हैं, सभी चीजों को नया बनाते हैं। ये छोटे कार्य दुनिया को और अधिक सुंदर बनाने में सक्षम हैं, ये ईश्वर के प्यार को रोशन करते हैं।
पोप फ्रांसिस ने शनिवार को पवित्र हृदय के फ्रांसिस्कन मिनिम्स धर्मसमाज की धर्मबहनों को भेजे गए संदेश में इन भावनाओं को व्यक्त किया। इटली निवासी धन्य धर्मबहन मारिया मार्गरिता कैयानी ने 1902 में धर्मसमाज की स्थापना की। इनका जन्म 2 नवंबर 1863 को हुआ और 8 अगस्त 1921 को उनका निधन हो गया। शनिवार को संत पापा का संदेश उनकी मृत्यु के साल भर के शताब्दी समारोह को शुरु करता है, जिसका समापन 8 अगस्त 2021 को होगा।
अपने संदेश में, पोप फ्रांसिस ने धर्मबहनों को अपनी संस्थापिका के करिश्मे को जीने के लिए प्रोत्साहित किया। वे अतीत या भविष्य में आश्रय नहीं लें, परंतु वर्तमान में जहाँ वे बुलाई गई हैं वहीं काम करें और जीवन बितायें।
छोटापन
पोप फ्रांसिस ने उन्हें उनकी संस्थापिका के करिश्मे में प्रोत्साहित करते हुए कहा कि धर्मसमाज के नाम से ही उनकी दीनता और छोटेपन की भावना परिलक्षित होती है: पवित्र हृदय के फ्रांसिस्कन मिनिम्स। उनहें 'मिनिम्स' कहकर पुकारते हुए, मदर मार्गरिता ने असीसी के संत फ्रांसिस के "छोटेपन की शैली" पर ज़ोर देना चाहा, जो येसु के नक्शेकदम पर "छोटे" हो गए, जिन्होंने क्रूस पर घोर पीड़ा और अपमान सहते हुए मृत्यु को पाया।
पोप फ्रांसिस ने कहा, "यह एक संकीर्ण और कठिन रास्ता है, लेकिन अगर कोई इसे अंत तक अपनाता है तो उसका जीवन फलदायी होता है।"
पोप फ्रांसिस ने कहा कि उनकी संस्थापिका संस्था की नींव पवित्र हृदय में निहित करना चाहती थी, जो कि उदारता का स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने कहा, येसु का प्रेम हमारे लिए चकाचौंध करने वाला और कुछ क्षणों सें समाप्त होने वाला नहीं है, लेकिन यह एक ठोस और विश्वसनीय प्रेम है, यह आपसी घनिष्ठता से बना है, जो हमें गरिमा और विश्वास देता है।”
इस संबंध में, पोप फ्रांसिस येसु की ओर इशारा करते हैं, जिन्होंने एम्माउस के मार्ग में खुद को एक नायक के रूप में नहीं बल्कि एक साथी के रूप में दो शिष्यों के सामने प्रकट किया और उनके दिलों को खुशी से झकझोर दिया और जब उन्होंने रोटी तोड़ी तो उनकी आंखें खुल गईं। पोप फ्रांसिस ने उन्हें "धार्मिकता में समृद्ध इशारों के साथ येसु के पवित्र हृदय को प्यार करने" का आग्रह किया।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि पवित्र हृदय की भक्ति, "प्रार्थना में एक विशेष तरीके से प्रकट होती है", जैसे कि पवित्र मिस्सा में भाग लेना, कलीसिया के प्रार्थना में भाग लेना, मनन ध्यान करना, पवित्र साक्रामेंट की आराधना करना, रोजरी प्रार्थना करना वगैरह। "हमारा पूरा जीवन आत्मा की कृपा के साथ, प्रार्थना बन जाता है। ईश्वर हमें बदल देते हैं, दिन प्रति दिन, हमारे दिलों को अपने हृदय के समान बनाते हैं।ʺ
पोप फ्रांसिस की इच्छा है कि अपनी संस्थापिका धन्य मरिया मार्गरिता के कथनानुसार करुणामय पवित्र हृदय से संचालित ये धर्मबहनें उन लोगों की माँ बनें, जिनसे वे जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ रहती हैं।
पवित्र हृदय के फ्रांसिस्कन मिनिम्स के पुनर्मूल्यांकन के आयाम पर टिप्पणी करते हुए, पोप फ्रांसिस ने कहा, कि यह पाप से बर्बाद हुई ईश्वर की दुनिया को पुनः सुन्दर बनाने हेतु एक महान सेवा है। "अपनी प्रार्थनाओं और अपने छोटी तपस्याओं द्वारा, आप दुनिया में ईश्वर के प्यार का बीज बोते हैं जो सभी चीजों को नया बनाता है"। पोप फ्रांसिस ने इटली, ब्राजील, मिस्र, श्रीलंका और बेथलेहम में काम करने वाली कई धर्मबहनों की सराहना की जो खासकर बच्चों और युवाओं के साथ रहते और उनके बीच काम करती हैं।
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