अन्यायपूर्ण दण्ड के शिकार लोगों के लिए संत पापा की प्रार्थना

ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्रांसिसख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्रांसिस

संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार को वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में, अत्याचार के कारण अन्यायपूर्ण दण्ड के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना की। उन्होंने याद दिलाया कि हम सेवा करने के लिए चुने गये हैं।संत पापा ने मिस्सा शुरू करते हुए कहा, “आज मैं उन सभी लोगों के लिए प्रार्थना करना चाहता हूँ जो अत्याचार के कारण अन्याय पूर्ण दण्ड झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि येसु निर्दोष थे फिर भी संहिता के पंडितों के द्वारा पीछा किये गये।

हम सभी चुने गये हैं
संत पापा ने कहा, नबी इसायस (इसा. 49.1-6) की भविष्यवाणी मसीह और ईश प्रजा को जोड़ता है। ईश्वर ने नबी का चुनाव उसके जन्म से पहले ही किया था। उसी तरह हम प्रत्येक जन सेवा के लिए अपनी माता के गर्व से चुने गये हैं। हम में से कोई भी संयोग से इस दुनिया में जन्म नहीं लिया है। “हरेक जन का एक लक्ष्य है, एक स्वतंत्र लक्ष्य है, वह लक्ष्य है ईश्वर का चुनाव। मैं जन्म से ही चुना गया हूँ ताकि सेवा कार्य के साथ ईश्वर का सेवक बन सकूँ।

सेवा की बुलाहट
संत पापा ने कहा, “सेवा करने का अर्थ कोई बहाना नहीं है कि हम सेवा के बदले कोई दूसरी लाभ की वस्तु दें। येसु, ईश्वर के सेवक हमें सेवा का उदाहरण देते हैं। येसु की महिमा थी मृत्यु तक सेवा देना। यह पराजय के समान लगा किन्तु यह सेवा का रास्ता था। जब ईशप्रजा सेवा के मनोभाव से अपने आपको दूर करती है तब वह धर्म का परित्याग करती है। यह उनके जीवन को दूसरी चीजों के प्रति प्रेम करने के लिए प्रेरित करता है जो मूर्तिपूजा के समान है और इसके द्वारा वे अपनी बुलाहट खो देते हैं।”

पश्चाताप की भावना
संत पापा ने उपदेश में बतलाया कि ईश्वर के सामने हमारा मनोभाव महत्वपूर्ण है जो हमें चुनते और अपना सेवक नियुक्त करते हैं। येसु और माता मरियम के अतिरिक्त हम सभी पापी मानव हैं। संत पेत्रुस का उदाहरण हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। जब पेत्रुस ने येसु को अस्वीकार किया और मुर्गे ने बंग दी उसने आँसू बहाया एवं पश्चताप किया (मती. 26.75) संत पापा ने कहा कि यही सेवक का रास्ता है जो फिसल कर गिर जाने पर क्षमा की याचना करता है। दूसरा रास्ता उस सेवक का है जो यह समझने में असमर्थ होता कि वह गिर गया है। यह रास्ता हृदय को अपनी पसंद के लिए खुला रखता जो मूर्तिपूजा की ओर ले जाती है। इस तरह, यूदस के समान हृदय शैतान के लिए खुला हो जाता है।

संत पापा की प्रार्थना
संत पापा ने उपदेश के अंत में येसु पर चिंतन करने हेतु प्रेरित किया कि जो सेवा करने में वफादार थे। हमारी बुलाहट सेवा करने के लिए हुई है न कि कलीसिया में हमारे पद से फायदा उठाने के लिए। संत पापा ने प्रार्थना की कि जब हम फिसलते और पाप में गिर जाते हैं तब संत पेत्रुस के समान पश्चाताप के आँसू बहा सकें।

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