इबादत का एक नया अध्याय

सरकारी नौकरी पाने के लिए आज कल के युवा क्या कुछ नहीं करते। हर युवा का सपना होता है की वह सरकारी नौकरी करके देश की सेवा करे। प्रतियोगिता परीक्षा में भाग लेने वाला प्रत्येक युवा यह सोचता है की उसकी परीक्षा सबसे अच्छी जाए और वह उस नौकरी को हासिल कर ले। प्रतियोगिता का स्तर इतना बढ़ गया है की कर कोई एक-दूसरे को पछाड़ कर आगे निकलना चाहता है। यहाँ हर व्यक्ति स्वार्थी हो जाता है और सिर्फ अपने बारे में ही सोचता रहता है। और कई हद तक यह सही भी है। कोई नहीं चाहेगा की अन्य कोई भी व्यक्ति उससे आगे निकले।

लेकिन मेरे साथ एक अजीब सा वाक्या घटित हुआ। कुछ समय पहले जब मैं प्रतियोगिता परीक्षा देने गया था और परीक्षा कक्ष के बाहर खड़ा हुआ था। तब एक लड़की मेरे पास आई। परीक्षा का भय उसके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था। हो भी क्यों ना? अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी परीक्षा के नाम से डर जाता है। वो लड़की वहां अपना बैग रखने आयी थी और खुद से ही बातें कर रही थी। मैं उसकी हरकतों को ध्यान से देख रहा था। बैग रखकर जब वो वापस जाने लगी तो उसने ऐसा कुछ कहा की उसकी बात सुनकर मैं हैरान रह गया।

वो खुद से ही बातें कर रही थी। उसने कहा - "हे भगवान! आज मेरे साथ सबकी परीक्षा अच्छी जाए !"  उसके मुँह से ये शब्द सुनकर मुझे बहुत अचम्भा हुआ, की परीक्षा के इस मुश्किल समय में भी कोई लड़की भगवान से सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि सबके लिए प्रार्थना कर रही है। वहां चारो और हर व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में ही सोच रहा है और एक तरफ ये लड़की अपने स्वार्थ को अलग रखकर, इस कठिन समय में भी इबादत का एक नया अध्याय लिख रही है। क्या उसने ज़रा भी स्वार्थ की भावना नहीं है। जहां उसे सिर्फ अपने बारे में सोचना चाहिए, वहां वह लड़की सबके लिए ईश्वर से दुआ कर रही है।

हम जीवन की हर परिस्तिथि में स्वयं को प्राथमिकता देते है। ऐसा बहुत कम ही होता है जब हम दुसरो के बारे में खुद से पहले सोचते है। यह छोटी सी कहानी हमे बहुत कुछ सिखाती है। चाहे हम जिस भी परिस्तिथि में क्यों न हो, हमे निरंतर प्रार्थना करती रहनी चाहिए। और हमे अपनी प्रार्थनाओ में उन लोगो को भी शामिल करना चाहिए जिन्हे हमारी प्रार्थनाओ की आवश्यकता है। क्योंकि आपकी एक छोटी सी प्रार्थना किसी के जीवन में अनोखा परिवर्तन ला सकती है। तो आइये हम सब एक नई शुरुआत करते है, और इबादत का एक नया अध्याय लिखते है। सबो के लिए प्रार्थना करते है, जिससे अन्य व्यक्ति के जीवन के साथ साथ हमारे जीवन में भी परिवर्तन आए ।

प्रवीण परमार

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