आत्मनिर्भरता के मायने 

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 "जो छोटी से छोटी बातों में आत्मनिर्भर है, वह बड़ी से बड़ी बातों में भी आत्मनिर्भर बना रहेगा।" 

कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन 4.0 लागू कर दिया गया है। जिसके चलते यह बात तो स्पष्ट हो गई है कि कोरोना संकट अभी खत्म होने वाला नही है। इसे खत्म करने के लिए हमें इस वायरस से और लड़ना होगा। साथ ही अपनी जीवनशैली में इसके अनुसार आवश्यक बदलाव लाना होगा। सीधे शब्दों में कहा जाए तो हमें इस वायरस से बचना भी है और आगे बढ़ना भी है। कोरोना संकट के इस दौर में आत्मनिर्भर भारत बनाने  पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है। प्रधान सेवक जी लोगों से आत्मनिर्भर बनने के लिये आह्वान किया है। हम में से कोई भी अपनी ज़रूरतों के लिए किसी और पर निर्भर या किसी अन्य पर बोझ नही बनना चाहता है। आत्मनिर्भर बनने का मतलब है अपने पैरों पर खड़े होना। कोरोना संकट में हमें आत्मनिर्भर बनने की अत्यधिक आवश्यकता है। क्योंकि आत्मनिर्भरता हमारे लिए ही नही बल्कि देख की अर्थव्यवस्था के लिए भी ज़रूरी है। और यह सब हम सभी के सहयोग से ही पूरा होगा।
स्वर्णिम भारत बनाने के लिए हमें सही मायनों में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर बनने को लेकर जो सरकार ने आम जनता से अपील की है उसका मतलब यह है कि पहले जो उद्योग सामग्री बनाने के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विदेशों पर निर्भर होते थे उन्हें अब सारा काम खुद ही करना है। मतलब किसी भी तरह से विदेशों पर निर्भर नही होना है जितना हो सके खुद की ही बनाई हुई चीजों का उपयोग करना है। तभी जाकर हम देश को आत्मनिर्भर बना सकते है।

मगर एक सवाल बार बार मेरे जेहन में उठता है कि- कही हम आत्मनिर्भरता के मायने को गलत तरीके से तो नही ले रहे है? आत्मनिर्भर बनने का यह मतलब बिल्कुल नही है कि हम दूसरे लोगों की मदद ना करे या अन्य लोगों को धंधा करने में सहायता ना दे। बल्कि हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम ऐसे संकट के समय मे आगे आकर लोगों की मदद करे। उन्हें सहायता प्रदान करे। सही मायनों में अगर देखा जाए तो यह हम सभी का कर्तव्य बनता है कि हम आत्मनिर्भर बनने में लोगों की मदद करे।
आत्मनिर्भर बनना हमें अपने आपसे शुरू करना होगा। सर्वप्रथम अपने काम स्वयं करने होने। अपने कार्य के लिए किसी और पर निर्भर होने से बचना होगा। कहीं लॉकडाउन के समय मे ऐसा तो नही हो रहा है कि आप घर पर हो और आपकी वजह से आपके परिवार का काम और बढ़ गया हो। सबसे पहले हमें छोटे स्तर पर आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। तभी हम राष्ट्रीय स्तर पर आत्मनिर्भर बनने के योग्य हो पाएंगे। और राष्ट्र को अपना सही मायनों में योगदान दे पाएंगे। आत्मनिर्भरता को हमें अपने छोटे छोटे कार्यों के द्वारा अपने व्यवहार व आचरण में लाना होगा। इसे अपनी आदतों में शुमार करना होगा तभी हम सही मायनों में आत्मनिर्भर बन पाएंगे।
पवित्र बाइबिल का एक बहुत सुंदर वाक्य है- "जो छोटी से छोटी बातों में ईमानदार है, वह बड़ी से बड़ी बातों में भी ईमानदार बना रहेगा।" इसी तर्ज पर हम यह भी कह सकते है कि- "जो छोटी से छोटी बातों में आत्मनिर्भर है, वह बड़ी से बड़ी बातों में भी आत्मनिर्भर बना रहेगा।" इसलिए हमें छोटी छोटी चीजों से आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत करनी चाहिए तभी हम बड़े स्तर पर देश को आत्मनिर्भर बनाने में अपना योगदान दे सकते है। 
आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना जो हम देख रहे है, वह सपना सभी लोगों के संयुक्त सहयोग से ही संभव होगा। कोरोना के खतरे के साथ ही हमारे सामने एक और बड़ा खतरा उमड़ रहा है और वह है-गिरती अर्थव्यवस्था का खतरा। और उसी अर्थव्यवस्था को दोबारा से पटरी पर लाने के लिए हम सभी देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। मुद्दा यह है कि अगर हम सभी देशवासी अपने अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बन गए तो इसका सीधा फायदा हमारे देश की अर्थव्यवस्था को होगा। जिससे हम सही मायनों में देशभक्त कहला सकते है।

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