धरती को मिल रही ठंडक

प्रतीकात्मक तस्वीरप्रतीकात्मक तस्वीर

एक महीने से लाखों वाहन सड़क पर नहीं उतरे हैं। धुआं छोड़ने वाले कुछ उद्योग बंद हैं। इसके कारण वातावरण में गर्माहट के लिए जिम्मेदार कार्बन उत्सर्जन का स्तर कुछ कम होने का अनुमान है। घर और दफ्तर को ठंडा कर आसपास के वातावरण में गर्मी पैदा करने वाले लाखों ऐसे उपकरण बंद है। आने वाले समय में यह स्थिति धरती को को ठंडक पहुंचाने में मदद करेगी। हालांकि, कार्बन उत्सर्जन का मुख्य स्त्रोत कोयला आधारित उद्योग हैं, जो लॉकडाउन के बीच भी बंद नहीं हुए हैं, इसलिए कार्बन उत्सर्जन में बहुत ज्यादा राहत मिलने का अनुमान नहीं है।

विश्व पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल 2020 के पूर्व शायद ही कभी ऐसी स्थिति बनी होगी, जब धरती को नुक्सान पहुंचाने वाले वाहन, कारखाने और एसी जैसे उपकरण खुद लॉकडाउन में बंद पड़े हो। पर्यावरण विशेषज्ञ मानते हैं कि तत्कालीन समय में पर्यावरण पर इसका सकारात्मक असर देखने को मिलेगा।

घर, दफ्तर ठंडा करने वाले एसी इस तरह बढ़ाते हैं गर्मी

• एसी में उपयोग की जाने वाली गैसें इको फ्रेंडली नहीं होती। वे लीक होने के बाद ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती हैं।
• एसी चलने से उसकी एग्सॉस्ट एयर जो कि कम्प्रेसर को ठंडा रखने के लिए गर्म हो जाती है, वह आसपास के वातावरण को अधिक गर्म कर देती है। इस तरह अंदर के कमरे या कक्ष तो ठन्डे हो जाते हैं, परन्तु बाहर का वातावरण गर्म हो जाता है।
• एसी चलाने के लिए अधिक चलित पावर प्लांटों में बनती है, जहां कोयलेka उपयोग होता है। इसके कारण कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें वातावरण को नुक्सान पहुँचाती है।

ध्वनि प्रदूषण कम, इंसान व जलीय जीव दोनों को राहत : लॉकडाउन के बीच वाहनों का शोरगुल भी बंद है।

ध्वनि प्रदूषण 45 डेसिबल से नीचे हो गया है, जो सामान्य दिनों में 65 से 70 या इससे भी अधिक डेसीबल तक पहुंच जाता है। ध्वनि प्रदूषण काम होने से जहां आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ा है। वहीं, गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को सबसे बड़ी राहत मिली है। इसके अलावा जलीय जीवों को भी 45 डेसीबल से कम ध्वनि प्रदूषण ने राहत दी है। जब भी ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है तो जलीय तंत्र गड़बड़ा जाता है इनमें हार्मोनल बीमारियां उत्पन्न होती हैं, कई प्रजाति विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई हैं। पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी. पांडे ने बताया कि जितना अधिक ध्वनि प्रदूषण होगा, जलीय जीवन में उतनी अधिक बीमारियां होगी और उनकी संख्या काम होने से जल स्त्रोतों में प्रदूषण का स्तर बढ़ेगा। अभी ऐसी स्थिति नहीं है।

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