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इस दीवाली रखें पर्यावरण का ख्याल
आप सभी को पता हैं कि रौशनी का पर्व अर्थात दीपावली का त्यौहार बहुत समीप हैं, और हम सभी दीपावली मनाने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे है। दीपावली के त्योहार को द्वीपों का पर्व अर्थात त्योहार कहा जाता है।
दीपक को रोशनी, ज्ञान एवं सत्य का प्रतीक माना जाता है। दीपावली पर सभी लोग घरो की सफाई एवं रंगाई-पुताई करते है। तथा सभी के साथ मिलकर बहुत ख़ुशी एवं हर्षोल्लास से दीपावली का त्यौहार मनाया जाता हैं। यह पर्व भगवान राम के 14 साल के वनवास के बाद पुनः अयोध्या आगमनके उपलक्ष्य में मनाया जाता है। जब भगवान् राम अपना वनवास पूरा कर वापस अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने भगवान् राम के आगमन पर स्वागत स्वरुप दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।
लेकिन आज कल लोग उस चीज़ को भूलकर कई प्रकार के पटाखों एवं फुलझड़ियां जलाकर यह पर्व मनाते है। लोग जो ये भूल जाते हे की जो फटाके फूलजड़िया वे जला रहे उनसे पर्यावरण को कितना भारी नुकसान हो रहा है। इस समय हमें ज़रूरी है कि हम इस पर्व को मनाने के लिए पर्यावरण का नाश न करें। क्योंकि आजकल पर्यावरण में दिनों दिन ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही हैं। स्मॉग से भरे दूषित वातावरण में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। लोगों में सांस की बीमारियां पहले से कई गुना अधिक हो गई हैं। गर्भ में पल रहे शिशु पर भी इस प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है। इसलिए दीपावली के दिनों में गर्भवती महिला का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
पटाखे से फैलने वाला प्रदूषण सांस और फेफड़े की बीमारी को पैदा करता है और पहले से इससे जूझ रहे रोगियों के लिए मुसीबत बन जाता है। दोस्तों जैसे हम दीपावली आने पर हमारे घरो को साफ करते हे वैसे ही पर्यावरण को साफ रखना हमारा ही फर्ज हैं हमारी ही जिम्मेदारी हैं तो दोस्तों इस दीवाली फटाको के साथ नहीं बल्कि बिना फटाको के मनाये और खुशियों का दीप जलाकर इस पर्व को सभी के लिए मंगलमय बनाये।
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