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म्यांमार में "हत्या को तुरन्त रोका जाए", कार्डिनल बो।
यंगून के कार्डिनल चार्ल्स बो ने रविवार को देश के सभी लोगों के लिए एक खुले पत्र में लिखा, "म्यांमार की काथलिक कलीसिया के धर्मगुरूओं के रूप में हम म्यांमार के सभी पक्षों से अपील करते हैं कि आप शांति की खोज करें। रक्तपात से संकट नहीं टल सकता। हत्या को तुरन्त रोका जाना चाहिए। कई लोग मर चुके हैं। बिखरे हुए खून शत्रु के नहीं हैं। ये हमारे ही बहनों एवं भाइयों के खून हैं, हमारे ही देश के नागरिकों के खून है।"
कार्डिनल बो म्यांमार के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष भी हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाये जाने पर अपनी आवाज उठायी है। मीडिया खबरों के अनुसार 1 फरवरी के बाद से, यह अब तक का सबसे खूनी दिन था। म्यांमार के सुरक्षा बलों ने सोमवार को भी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी जारी रखा, जिसमें कम से कम पांच लोग मारे गए।
फौजी से प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनके द्वारा चुनी गई नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की प्रमुख नेता औंग सान सू ची को रिहा किया जाए जिन्होंने नवंबर के चुनाव में शानदार जीत दर्ज की थी। उनके साथ चुनाव जीतने वाले कई नेताओं को भी अज्ञात स्थान में कैद करके रखा गया है।
सू ची पर कई आरोप लगे हैं जिनको उनके समर्थकों का कहना है कि वे गढ़े गये हैं। उनके वकील ने कहा कि सोमवार को अदालत की उसकी वर्चुवल सुनवाई इंटरनेट समस्या के कारण 24 मार्च तक स्थगित कर दी गई है।
एक ही दिन में 50 लोगों की मौत:- सेना ने जब से सत्ता संभाली है, तब से विरोध प्रदर्शनों में 126 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। रविवार को सबसे ज़्यादा मौतें यंगून में हुई हैं। ये जानकारी असिस्टेंस एसोसिएशन फ़ॉर पॉलिटिकल प्रिजनर्स ने दी। एएपीपी ने कहा कि कुल 2156 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 1837 अभी भी हिरासत में हैं।
निर्दोष लोगों को रिहा करो:- कार्डिनल बो ने हिंसा एवं गोली चलाये जाने की निंदा की है तथा पुलिस से "अत्याचार का रास्ता छोड़ने" का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है, "सभी निर्दोष लोग रिहा किये जाएँ। वे हमारे ही लोग हैं।" इस बात को याद करते हुए कि युवा लोग उम्मीद के साथ जी रहे थे, उन्होंने कहा, "आइए हम संवेदनहीन निराशा लोगों का देश न बनें।”
पोप, परमधर्मपीठ की एकात्मता:- 72 वर्षीय कार्डिनल ने म्यांमार के लिए संत पापा फ्राँसिस एवं परमधर्मपीठ के संदेश की याद की जिन्होंने कलीसिया को, देश में शांति निर्माण हेतु प्रतिबंद्ध होने के लिए प्रोत्साहन दिया था।
7 फरवरी को देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पिता फ्राँसिस ने देश के अधिकारियों से अपील की थी कि वे आम हित की सेवा के प्रति सच्ची तत्परता दिखायें तथा सामाजिक न्याय एवं राष्ट्रीय स्थायित्व को बढ़ावा दें। संत पापा ने परमधर्मपीठ के राजनयिकों को सम्बोधित करते हुए म्यांमार के लोगों के प्रति अपना आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त की थी और खेद प्रकट किया था कि लोकतंत्र के रास्ते को तख्तापलट द्वारा बुरी तरह से बाधित किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की थी कि देश की भलाई के लिए कैद किये गये नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा। 3 मार्च को संत पापा ने फौजी जुन्ता से अपील की थी कि वह हिंसा को रोके एवं दमन के बदले संवाद और सद्भाव का रास्ता अपनाये।
संत पिता और परमधर्मपीठ के प्रोत्साहन द्वारा दृढ़, कार्डिनल बो ने कहा, "म्यांमार की काथलिक कलीसिया राष्ट्र को आपसी समझ और शांति में फिर से ऊपर उठने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है।"
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