महामारी संक्रमण रोकने हेतु सरकार से मांग। 

श्रीलंका में कोरोना महामारी की बढ़ती स्थिति को देखते हुए विभिन्न धर्मों के अगुवों ने सरकार से निवेदन किया है कि सरकार महामारी के प्रसार को कम करने हेतु देश को बंद करे।
श्रीलंका में महामारी की स्थिति बदतर होती जा रही है। देश भर के अस्पतालों की स्थिति विकट होती जा रही है। जल्द ही,  अस्पताल कर्मियों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण, कोरोनोवायरस से पीड़ित कई रोगियों की देख-रेख करना असंभव हो जायेगा,  उक्त बातें ऑल सीलोन मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के ऊका न्यूज की दिये गये रिपोर्ट कही। यदि देश की स्थिति यथावत रही तो रोगियों को सड़कों पर मरने के लिए छोड़ दिया जा सकता है।
देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए काथलिक पुरोहितों, बौद्ध भिक्षुओं, व्यपारिक संगठनों और स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने सरकार की ओर रूख करते हुए इस बात हेतु निवेदन किया है कि देश को एक या दो सप्ताह के लिए बंद किया जाये ताकि कोविड-19 महामारी के प्रसार को रोका जा सके।
कुराना, नेगोंबो संत अन्ना पल्ली के पल्ली पुरोहित सिरिल गामिनी फर्नांडो ने ऊका न्यूज को बताया कि सरकार दुर्भाग्य से इस समय “विशेषज्ञों की बातों को नहीं सुन रही है” और “यदि सरकार सही समय पर कदम नहीं उठाती, तो देश को गंभीर परिणाम उठाने पड़ सकते हैं।”
थिब्बातुवावे, बौद्ध भिक्षुओं के प्रमुख श्री सिद्धार्थ सुमंगला थेरा  और वारकागोडा के श्री ज्ञानरत्न थेरा, असगिरिया के बौद्ध भिक्षुओं के प्रमुखों ने, राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री, महिंदा राजपक्षे को एक पत्र प्रेषित करते हुए उनसे आग्रह किया कि वे स्वास्थ्य देखभाल में मदद करते हुए, वायरस के तेजी से फैलाव को रोकने हेतु कुछ हफ्तों के लिए देश को बंद करें।  
विदित हो कि देश में पूजा स्थल, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय पहले ही बंद कर दिए गए हैं और कई शहरों में व्यापार संघों ने भी अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। कोलंबो नगर परिषद के मेयर ने लोगों से आग्रह किया कि वे अति आवश्यक मामलों को छोड़कर राजधानी का दौरा न करें और जहाँ तक संभव हो अपने घरों पर ही रहें। श्रीलंका में 12 मिलियन लोगों ने कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक ले ली है जबकि 5 मिलियन लोगों को दूसरी खुराक भी मिल चुकी है।

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