कोविड-19 वैक्सीन: महामारी की कहानी में बदलाव।

कोविड-19 महामारी के कारण मरने वालों की संख्या बढ़ना जारी है किन्तु कई देशों में वैक्सिन लगाने का अभियान शुरू हो चुका है जो आशा प्रदान कर रही है। यह एक नये अध्याय के समान है जिससे उम्मीद की जा रही है कि महामारी का अंत होगा और पुनः एक बार बेहतर भविष्य की ओर आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।

विश्वभर में करीब 72,300,000 से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं तथा करीब 1,600,000 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस आपातकाल ने कार्यस्थल के नियम, पारिवारिक जीवन, सामाजिक संबंध और चीजों एवं सेवाओं के उपभोग में हमारे तौर तरीकों को बदल दिया है। 

सभी धार्मिक नेताओं के साथ संत पिता फ्राँसिस ने मानवता से आग्रह किया है कि सभी के लिए एक अधिक न्यायसंगत और स्थायी वास्तविकता का निर्माण करके दुनिया को ठीक किया जाए।

उन्होंने कहा है कि महामारी, गहरी जड़ जमाये हुए शोषक गतिशीलता को बदलने का एक अवसर है जो इस कठिन वर्ष के दौरान विभाजन एवं अमीर और गरीब के बीच की खाई को बुरी तरह प्रकट किया है।

इस बीच प्रतिदिन के समाचार हमें कई अलग-अलग वास्तविकताओं एवं दृष्टिकोणों की कहानी बतलाते हैं। उनमें से कई अवसर की असमानता एवं दुर्बलों की रक्षा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।

टीका अभियान
सोमवार सुबह के समाचार की शीर्ष पंक्ति में लिखा था कि कनाडा कोविड-19 वैक्सिन शुरू करने के लिए तैयार है जबकि स्पेन, सिंगापूर और फिलीपींस अपने वैक्सिन अभियान के लिए कमर कस चुका है। मेक्सिको, लैटिन अमरीकी देशों में पहला एवं विश्व में चौथा देश (ग्रेटब्रिटेन, बहरीन, कनाडा और अमरीका के बाद) के समान लग रहा है जो जारी किए गए टीकों में से किसी एक के आपातकालीन उपयोग को अधिकृत मान रहा है।  

मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि यूरोपीय संघ बहस कर रहा है कि क्या कोविड-19 टीका का 5 प्रतिशत गरीब देशों को प्रदान करे अथवा नहीं जबकि ब्रिटेन और अमेरिका दोनों ही देश जनता को आश्वस्त कर रहे हैं कि टीकाकरण की कतार में राजनीतिक नेता नहीं कूदेंगे।

मौत के रिकोर्ड
अमरीका सहित कई देशों में मौत के आंकड़े बहुत अधिक हैं जबकि इटली में मरने वालों की संख्या पाँच सौ से कम ही नहीं हो रहा है।

यही कारण है कि इटली में रात 10 बजे से कार्फ्यू लगा हुआ है एवं छुट्टियों में यात्रा करने में भी पाबंदी लगी है। जर्मनी परम्परागत क्रिसमस बाजारों को भूलकर पर्व के समय लॉकडाऊन में जाने के लिए तैयार है, स्पेन, रूस एवं उतरी यूरोपीय देश नये नियमों को अपनाने के लिए तैयार है।  

इस तरह महादेशों में करोड़ों लोगों को ख्रीस्त जयन्ती मनाने पर रोक लगेगी और उन्हें अपने घरों में रहकर संक्रमण से बचने की हिदायत दी जाएगी जबकि अर्थव्यवस्था में बुरा असर पड़ना जारी है।  

एक दुखद समाचार अक्सर अनदेखा गुजर जाता है कि गरीब देशों जैसे सिएरा लियोन के परिवारों में आर्थिक समस्या के कारण अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कर रहे हैं इस तरह बालिकाओं को शिक्षा, अवसर एवं आशा से वंचित किया जा रहा है।

चिंता एवं प्रदूषण
आमतौर पर, वैश्विक सर्वेक्षण में पाया गया है कि चिंता का स्तर इतना बढ़ा है काम और जीवन के बीच कोई अंतर नहीं रह गया है। असमानता के अंतराल बड़े हो गये हैं, विशेष रूप से, महामारी के रूप में निम्न-आय वाले समुदायों, जातीय अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है क्योंकि दुनिया तेजी से प्लास्टिक और अन्य डिस्पोजल चीजों को बारम्बार प्रयोग कर रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि स्थायी होना और टिके रहना हमेशा एक समय में नहीं होता है।

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