काबुल में तालिबान के प्रवेश पर अराजकता का माहौल। 

तालिबान के काबुल पर कब्जा करते ही अफगानिस्तान से हजारों लोग भागने की कोशिश करते दिखाई पड़े। काबुल के निवासियों ने तालिबान शासन के तहत अपना पहला दिन गुजारा। रविवार को जब सरकार गिर गई और राष्ट्रपति अशरफ गनी विदेश भाग गए, तो समूह ने शहर में प्रवेश किया। सप्ताह के अंत में तालिबान ने काबुल को अधिकार में ले लिया तथा अब अफगानिस्तान का राष्ट्रपति भवन उन्हीं के कब्जे में है।
सैंकड़ों नागरिक देश छोड़ने की कोशिश में बाढ़ की तरह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा की ओर बढ़े। हालांकि, इस समय हवाई अड्डा को बंद कर दिया गया है एवं व्यावसायिक जहाजों में से अधिकांश को स्थगित कर दिया गया है इस प्रकार अफगानी और कुछ विदशी भी वहाँ फंसे हुए हैं। हवाई क्षेत्र में हुई झड़पों में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। वॉशिंटन ने कहा है कि उनके राजदूतावास के सभी स्टाफ खाली कर चुके हैं एवं ब्रिटिश अपने नागरिकों को खाली कराने का प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रपति बाइडेन के आलोचकों के अनुसार, अफगानिस्तान में अमेरिकी मिशन को बंद करने के उनके फैसले ने 20 साल के काम और बलिदान को नष्ट कर दिया और मानवीय तबाही का मार्ग प्रशस्त किया। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका की साख भी खराब हुई है।
इस बीच, तालिबान के प्रवक्ता ने कहा है कि दल नई सरकार बनाने के लिए काम कर रही है। विगत 24 घंटों में 60 से अधिक देशों ने एक संयुक्त बयान जारी किया है वह लोगों को जाने दे। इस बीच अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घानी देश से भाग गये हैं और कहा जा रहा है कि वे उजबेकिस्तान में हैं किन्तु अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। चीन और रूस ने कहा है कि उन्होंने अपने राजदूतावास को बंद करने की नहीं सोची है। बीजिंग ने कहा कि वह अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में "गैर-हस्तक्षेप" की नीति अपनाएगा।

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