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अफ़गानी शरणार्थियों के स्वागत का आह्वान।
यूरोपीय संघ के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के आयोग "कॉमेक" के अध्यक्ष कार्डिनल जाँ क्लाऊड होल्लरिख़ ने यूरोपीय राष्ट्रों का आह्वान किया है कि वे आतंक एवं मृत्य के भय से अपने देश का पलायन करनेवाले हज़ारों अफ़गानी लोगों को शरण प्रदान करें।
अफ़गानिस्तान में तालेबान के सत्ता अधिग्रहण के बाद से राष्ट्र में निवास कर रहे विदेशी तथा विदेशियों की सहायता करनेवाले हज़ारों अफ़गानी नागरिक, 31 अगस्त के अल्तिमेत्तम तक, देश छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। लगभग 80,000 लोगों को काबूल हवाई अड्डे से अन्यत्र ले जाया जा चुका है, तथापि, जो लोग बच चुके हैं उनकी स्थिति, गुरुवार के बम धमाके के बाद, और अधिक संवेदनशील एवं गम्भीर हो उठी है।
कई यूरोपीय राष्ट्रों जैसे बैलजियम, डेनमार्क एवं नेदरलैण्ड्स ने अफ़गानिस्तान से लोगों को खाली करने की प्रक्रिया समाप्त कर दी है, जबकि जर्मनी एवं फ्राँस भी शुक्रवार तक लोगों को अन्यत्र पहुँचाने की क्रिया को स्थगित करने का विचार कर रहे हैं।
हज़ारों अफ़गानियों के देश से पलायन की पृष्ठभूमि में कार्डिनल जाँ क्लाऊड होल्लरिख़ के नेतृत्व में यूरोप के काथलिक धर्माध्यक्षों ने यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्रों से अपील की है कि वे अपने यहाँ अफ़गानी शरणार्थियों को शरण प्रदान करें।
वाटिकन न्यूज़ से बातचीत में कार्डिनल होल्लरिख़ ने कहा, "यूरोपीय संघ के धर्माध्यक्ष उन लोगों के लिए चिंतित हैं जो "हताश हैं और अफगानिस्तान से बाहर निकलना चाहते हैं, क्योंकि अफ़गानिस्तान में वे दमनचक्र से भयभीत हैं।"
उन्होंने कहा, "यह बिलकुल स्पष्ट है कि यूरोपीय संघ के सभी राष्ट्रों को जहाँ तक सम्भव बन पड़े लोगों को बचाने के लिए, यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में, उनके स्वागत का हर संभव प्रयास करना होगा।"
अफ़गानिस्तान के पड़ोसी देशों में शरणार्थियों के लिये शिविरों के निर्माण के विचार को सिरे से खारिज करते हुए कार्डिनल होल्लरिख़ ने कहा, "हम जानते हैं कि अफ़गानिस्तान के पड़ोसी राष्ट्रों में राजनैतिक अस्थायित्व की स्थिति बनी हुई है तथा इन देशों में इस्लामिक चरमपंथ की पकड़ भी बहुत अधिक मज़बूत है, ऐसी स्थिति में अफ़गानिस्तान के लोगों को वहाँ भेजना ख़तरे से खाली नहीं होगा।"
कार्डिनल होल्लरिख़ ने यूरोपीय संघ की सीमा से संलग्न लिबिया के शरणार्थी शिविरों का उदाहरण दिया, जहाँ प्रायः शरणार्थियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता तथा उनका शोषण किया जाता है।
कार्डिनल महोदय ने यूरोपीय संघ के राजनितिज्ञों से आग्रह किया कि इस समय वे व्यक्तियों की सुरक्षा को महत्व दें तथा अपनी भौगोलिक-राजनीतिक रणनीतियों के बजाय मानव व्यक्तियों को अपनी राजनीति के केन्द्र में रखें।
उन्होंने कहा कि अफ़गानिस्तान के शरणार्थियों को शरण प्रदान करना यूरोपीय संघ के राष्ट्रों को यह दर्शाने का सुनहरा अवसर देगा कि वे लोगों को स्वीकार करने, उनका स्वागत करने तथा समाज में उनके एकीकरण के मूल्यों में विश्वास करते हैं।
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