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स्कोलास से पोप ˸ जीवन का अर्थ पाने में दूसरों की मदद करें
संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्कोलास ऑकारेन्तेस की ऑनलाईन सभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें प्रोत्साहन दिया।
विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है। इस अवसर पर परमधर्मपीठीय स्कोलास ऑकरेन्तेस फाँडेशन ने युवाओं, अभिभावकों एवं शिक्षकों की एक ऑनलाईन वैश्विक साईबर सभा का आयोजिन किया था। सभा के प्रतिभागी के रूप में संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें एक विडीयो संदेश प्रेषित कर अपना समर्थन एवं प्रोत्साहन दिया।
संत पापा ने कहा, "आज, इन वर्षों के बाद जिसमें हमने उस सवाल का पता लगाया है जो हमें प्रेरित करता है, आपको समुदाय पुकारते हुए बड़ी खुशी हो रही है ˸ मित्रों का समुदाय, भाइयों एवं बहनों का समुदाय।"
संत पापा ने याद किया है कि स्कोलास की शुरूआत संकट के बीच दो शिक्षकों के द्वारा एक अनियोजित चीज के रूप में हुई थी। उन्होंने कहा कि भले ही संकट ने हिंसा की भूमि को पीछे छोड़ दिया, शिक्षा ने लोगों को एक साथ लाया, उसे अर्थ प्रदान किया और इस तरह सुन्दरता उत्पन्न की।
संकट एवं सुन्दरता
संत पापा ने संदेश में कहा कि स्कोलास के चिंतन एवं मुलाकात की यात्रा मन में तीन तस्वीरें लाती है- फेल्लिनी ला स्त्रादा के "द फूल", कारावाजो के "संत मती का बुलावा" और डोस्टोवस्की का "द इडियेट"।
संत पापा ने बतलाया कि संकट ने हमें तोड़ा ताकि हम खुल सकें। यही कारण है कि अच्छी संगत के बिना संकट, खतरनाक होते हैं क्योंकि एक व्यक्ति दिशाहीन हो सकता है। अतः कभी भी अकेले संकट नहीं मोलना चाहिए चाहे यह छोटा अथवा व्यक्तिगत ही क्यों न लगे।
संकट में भय हम पर हावी हो जाता है। हम अपने आप में बंद हो जाते हैं, अपने आप को अर्थहीन समझते, अपनी बुलाहट को छिपा देते एवं सुन्दरता को नहीं देख पाते हैं। संत पापा ने डोस्टोवस्की का हवाला देते हुए कहा किन्तु "सुन्दरता ही विश्व को बचायेगा"।
उन्होंने कहा, "स्कोलास की शुरूआत संकट से हुई थी किन्तु इसने एक संस्कृति का सामना करने के लिए अपना मूक्का नहीं उठाया और न ही त्याग देने के लिए अपनी बांहें नीचे की, बल्कि "युवाओं के हृदय को सुना"।
शिक्षा
संत पापा ने कहा, "शिक्षा मात्र चीजों को जानना नहीं है। शिक्षित होने का अर्थ है सुनना, संस्कृति का निर्माण करना और मनाना।" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि शिक्षा नहीं सुन सकती, निर्माण नहीं कर सकती और नहीं मना सकती है तब यह शिक्षित नहीं कर सकती।
मुलाकात का अंतरराष्ट्रीय समुदाय
संत पापा ने कहा कि उन्होंने विभिन्न देशों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को देखा जो स्कूल में एक साथ सीखते, खेलते और नृत्य करते और "एक जैतून के पेड़" के रूप में "पूर्व और पश्चिम के बीच मुलाकात की संस्कृति का निर्माण" करते हैं।
संत पापा ने कहा कि बच्चों और युवाओं के सपनों और वयस्कों के अनुभवों का आदान-प्रदान होना आवश्यक है। अन्यथा मूल, इतिहास, प्रतिज्ञा, विकास और भविष्यवाणी कुछ भी नहीं रह जायेंगे।
प्रोत्साहन के शब्द
संत पापा ने सभी को प्रोत्साहन दिया कि वे आगे बढ़ें एवं तीन शब्दों – कृतज्ञता, अर्थ और सुन्दरता को न भूलें।
उन्होंने कहा कि स्कोलास के संस्थापकों के समान, जिन्होंने अपने पास जो था उसे सिर्फ अपने लिए नहीं रखा बल्कि मुक्त रूप से बांटा, उसी तरह उन्हें भी बोना, लुनना, मुस्कुराना और एक साथ चलना है एवं किसी भी संकट का सामना करने के लिए एक साथ जोखिम उठाना है।
स्कोलास ऑकारेन्तेस
स्कोलास ऑकारेंतेस, परमधर्मपीठीय अधिकार का एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसका उद्देश्य है शिक्षा और मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देनेवाली तकनीकी, एथलेटिक और कलात्मक पहल के माध्यम से दुनिया भर में छात्रों को एक साथ लाना।
यह कुल 190 देशों में फैला है और इसमें लगभग आधा मिलियन स्कूल और कई शैक्षिक नेटवर्क शामिल हैं।
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